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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भुगतान और निपटान प्रणालियों के लिए विज़न डाक्युमेंट जारी

3 मई 2005

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भुगतान और निपटान प्रणालियों के लिए विज़न डाक्युमेंट जारी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भुगतान और निपटान प्रणालियों के लिए विज़न डाक्युमेंट जारी किया। इस डाक्युमेंट में भुगतान प्रणाली के क्षेत्र में पिछले तीन वर्ष के दौरान की उपलब्धियों की सूची दी गयी है तथा अलग तीन वर्ष के दौरान उसे और उन्नत बनाने के लिए रोडमैप दिया गया है।

भुगतान प्रणालियों की उन्नति के प्रयासों के लिए डाक्युमेंट में सेफ्टी, सुरक्षा, सुदृढ़ता और कार्यक्षमता को मुख्य विषय-वस्तुओं के रूप में पहचाना गया है। जबकि भुगतान और निपटान प्रणालियों में सेफ्टी, जोखिम कम करने के उपायों से संबंधित होती है, तो सुरक्षा भुगतान प्रणालियों की ईमानदारी के विश्वास से संबंधित होती है। सभी भुगतान प्रणालियां साउंड फुटिंग पर परिकल्पित होती हैं, जिसके साथ परिचालनगत क्रियाविधियों के लिए पर्याप्त कानूनी सहायता और पारदर्शिता मानदंड होते हैं। किफायती समाधानों के लिए प्रौद्योगिकी के लाभों को ऊपर उठाकर (लिवरेजिंग) कार्यक्षमता बढ़ायी जा सकती है।

डाक्युमेंट में अगले तीन वर्ष के दौरान निश्चित मीलपत्थरों के साथ भुगतान प्रणालियों की उन्नति के लिए कार्यबिंदुओं का वर्णन किया गया है। पहले वर्ष के दौरान अर्थात् 2005-06 में सभी खुदरा भुगतान प्रणालियों के लिए नयी संस्था स्थापन करना और राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली के परिचालन पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा। नयी संस्था एक लिमिटेड कंपनी होगी, जो बैंकों के स्वामित्व में होगी और उनके द्वारा परिचालित की जायेगी तथा वह सभी खुदरे समाशोधन परिचालनों - दोनों कागज़ आधारित और इलेक्ट्रॉनिक, के लिए अंब्रेला संगठन के रूप में कार्य करेगी। एक मज़बूत प्रौद्योगिकी गहन इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण सुविधा शुरू करने के अलावा, प्रस्तावित संस्था मौजूदा माइकर समाशोधन की जगह पर चेक ट्रंकेशन आधारित समाशोधन के लिए पहल करेगी। एटीएम स्विचिंग, मल्टी एप्लीकेशन स्मार्ट काड़, ई-कॉमर्स और एम-कॉमर्स नयी संस्था की अन्य गतिविधियां होंगी। प्रस्तावित राष्ट्रीय निपटान प्रणाली एक ही जगह सभी समाशोधन लेनदेनों का केंद्रीवफ्त निपटान आसान बनायेगी ताकि बैंक अपनी बकाया राशि इकट्ठा कर सकें और अपने चलनिधि का अनुकूलतम दृष्टि से प्रबंध कर सकें। प्रारंभ में दिसंबर 2005 तक चार महानगरीय केंद्रों (अर्थात् मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नै) के समाशोधन निपटान, राष्ट्रीय निपटान प्रणाली के अंतर्गत निपटाये जायेंगे।

आरटीजीएस की पहुंच बढ़ाते हुए इलेक्ट्रॉनिक भुगतान उत्पादों को प्राथमिकता मिलेगी। रिज़र्व बैंक का यह अनुमान है कि ईएफटी उत्पादों को उसके भिन्न भिन्न घटकों लज़्आरटीजीएस, ईएफटी, स्पेशल ईएफटी, नैशनल ईएफटी, नैशनल ईएफटी (बढ़ायी गयी)ल के साथ मिलाकर उसका सम्मिश्रण 500 केंद्रों के करीब 10,000 बैंक शाखाओं में मार्च 2006 तक उपलब्ध होगा। चेक ट्रंकेशन परियोजना का प्रारंभ मार्च 2006 तक नैशनल कैपिटल रिजन में किया जायेगा और उसे अगले दो वर्ष के दौरान अन्य तीन महानगरीय केंद्रों (मुंबई, कोलकाता और चेन्नै) में बढ़ाया जायेगा।

विज़न डाक्युमेंट भुगतान प्रणाली अधिनियम और बिल के अंतर्गत बनाये गये विनियमनों द्वारा सुदृढ़ कानूनी आधार के निर्माण पर बल देता है। आरटीजीएस, सरकारी प्रतिभूति समाशोधन, फॉरेक्स समाशोधन और हाइ वैल्यू क्लिअरिंग, प्रणालीबद्ध रूप से महत्त्वपूर्ण भुगतान प्रणालियों के मूल सिद्धांतों के साथ करना इसका अन्य महत्त्वपूर्ण उेश्यि है। इस अनुपालन पहल का एक भाग एक सुदृढ़ कानूनी आधार बनाना होगा विज़न डाक्युमेंट में यह भी सूचित किया गया है कि मार्च 2007 तक 14 केंद्रों (40 मौजूदा केंद्रों के अलावा) पर माइकर समाशोधन का प्रारंभ किया जायेगा।

ग्राहक सुविधा और संरक्षण के संबंध में यह परिकल्पना की गयी है कि सभी भुगतान प्रणाली सेवा देनेवाले, ग्राहक सुविधा केंद्रों की स्थापना करेंगे और सेवाओं में किसी भी तरह की कमी के लिए यथोचित क्षतिपूर्ति नीति और क्रियाविधियां तैयार करेंगे।

आपको याद होगा कि डॉ. वाइ. वी. रेड्डी, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में घोषित वार्षिक नीति वक्तव्य में यह घोषणा की थी कि रिज़र्व बैंक भुगतान और निपटान प्रणाली के लिए एक विज़न डाक्युमेंट जारी करेगा।

दीपा वाडदेकर

प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/1144

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