भारतीय रिज़र्व बैंक ने रिपो/प्रत्यावर्तनीय रिपो लेनदेनों के लिए एकसमान लेखांकन पर प्रारूप दिशानिर्देशों पर अभिमत आमंत्रित किए - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने रिपो/प्रत्यावर्तनीय रिपो लेनदेनों के लिए एकसमान लेखांकन पर प्रारूप दिशानिर्देशों पर अभिमत आमंत्रित किए
14 नवंबर 2008
भारतीय रिज़र्व बैंक ने रिपो/प्रत्यावर्तनीय रिपो लेनदेनों के लिए
एकसमान लेखांकन पर प्रारूप दिशानिर्देशों पर अभिमत आमंत्रित किए
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर "रिपो/प्रत्यावर्तनीय रिपो लेनदनों के लिए लेखांकन के लिए प्रारूप दिशानिर्देश" पर अभिमत/विचार आमंत्रित किए। कृपया प्रारूप दिशानिर्देशों पर अपने अभिमत/विचार अंतिम तारीख 15 दिसंबर 2008 तक मुख्य महाप्रबंधक, आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई-400001 को भेजे अथवा इ-मेल करें।
प्रस्तावित दिशानिर्देशों का प्रारूप का उद्देश्य मार्च 2003 में जारी दिशानिर्देशों को संशोधित करना है जिसके अंतर्गत ‘रिपो’ को तब के उपलब्ध विधिक प्रावधानों के अनुसार दो एकल बिक्री/खरीद लेनदेनों का समेकन माना जाता था। उसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधित) अधिनियम 2006 ने ‘रिपो’ को ‘एक स्वीकार्य मूल्य पर स्वीकार्य भविष्य की तारीख को प्रतिभूतियों की पुर्नखरीद के एक करार के साथ प्रतिभूतियों की बिक्री द्वारा निधियों के उधार के लिए एक लिखत’ के रूप में पारिभाषित किया जिसमें उधार निधियों का ब्याज भी शामिल है"। लेखांकन मानदण्ड का अब यह प्रस्ताव हैं कि ‘रिपो’ को एक संपार्श्विकृत ऋण/उधार लेनदेन के आर्थिक महत्त्व को लिया जाए जोकि भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधित) अधिनियम 2006 द्वारा मानताप्राप्त प्रतिभूतियों की विधिक बिक्री/खरीद का ढाँचा है। लेखांकन मानदण्डों में यह संशोधन रिपो सहभागियों के तुलनपत्र में ऐसे लेनदेनों को शामिल करेगा जो उसके सही आर्थिक मूल्य को दर्शाएगा और इससे पारदर्शीता बढ़ेगी।
संशोधित प्रारूप दिशानिर्देशों की मुख्य-मुख्य बातें निम्नानुसार हैं -
- रिपो के अंतर्गत बेची गई प्रतिभूतियों को रिपो विक्रेता के निवेश खातों में दर्शाया जाना जारी रहेगा। तदनुसार, रिपो का खरीदार अपने निवेश खाते में रिपो के अंतर्गत प्राप्त की गई प्रतिभूतियों को नहीं दर्शाएगा। तथापि, रिपो खरीदार और रिपो विक्रेता के बीच प्रतिभूतियों का वास्तविक अंतरण को तुलनपत्र में प्रति-प्रविष्टि के माध्यम से दर्शाया जाएगा।
- रिपो के अंतर्गत प्राप्त की गई प्रतिभूतियाँ रिपो खरीदार के बही खाते में बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 के प्रयोजन के लिए चल आस्तियों के रूप में गिना जाना जारी रहेगा। तदनुसार, रिपो के अंतर्गत बेची गई प्रतिभूतियाँ विक्रेता के निवेश खाते में रिपो के अंतर्गत बेची गई प्रतिभूतियाँ दर्शाना जारी रहने के बावजूद उसे रिपो विक्रेता के सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) का लाभ नहीं प्राप्त होगा।
- रिपो उधार के कारण हुई देयताओं को आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) की गणना के लिए निवल माँग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) में शामिल किया जाएगा। तथापि, अंतर-बैंक लेनदेनों को पहले की तरह ही निवल करना जारी रहेगा।
- प्रतिभूतियों के अंतरण को भी प्रतिपक्ष की बहियों में लेखांकन के लिए बेहतर पारदर्शिता के लिए प्रति प्रविष्टियों के रूप में दर्शाया जाना चाहिए।
- भारतीय रिज़र्व बैंक प्राप्त अभिमत/प्रतिसूचना की जाँच करने के बाद अंतिम दिशानिर्देश जारी करेगा।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2008-2009/689