रिज़र्व बैंक ने जम्मू और कश्मीर के लिए ऋण बढ़ाने पर कार्यदल गठित किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने जम्मू और कश्मीर के लिए ऋण बढ़ाने पर कार्यदल गठित किया
6 मई 2005
रिज़र्व बैंक ने जम्मू और कश्मीर के लिए ऋण बढ़ाने पर कार्यदल गठित किया
डॉ. वाइ. वी. रेड्डी, राज्य के मुख्यमंत्री श्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से मिले और उन्होंने जम्मू और कश्मीर के लिए ऋण पर कार्यदल गठित करने का प्रस्ताव रखा। डॉ. रेड्डी, भारतीय रिज़र्व बैंक के बोड़ की बैठक की मेज़बानी करने के लिए श्रीनगर में थे। भारतीय रिज़र्व बैंक का केंद्रीय निदेशक मंडल प्रमुख आर्थिक, मौद्रिक तथा वित्तीय गतिविधियों का जायजा लेने के लिए आज श्रीनगर में मिला। डॉ. रेड्डी ने बैठक की अध्यक्षता की। रिज़र्व बैंक के बोड़ की बैठक रिज़र्व बैंक के बनने के बाद से श्रीनगर में दूसरी बार आयोजित की जा रही है। बोड़ इससे पहले यहां 1998 में मिला था।
जम्मू और कश्मीर के लिए ऋण पर कार्यदल ऐसे क्षेत्रों का पता लगायेगा, जहां राष्ट्रीयवफ्त बैंक स्वरोज़गार योजनाओं, लघु और मझौले उद्यम क्षेत्र, वफ्षि, पर्यटन तथा अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए ऋण देने में राज्य की मदद कर सकें। कार्यदल सही उद्यमियों का पता लगाने के लिए क्रियाविधियों को सरल बनाने, ऋण मूल्यांकन, प्रलेखन तथा वितरण क्रियाविधियों को सरल बनाने के लिए तरीके तलाश करेगा। कार्यदल राज्य में शाखाओं के सबसे बड़े नेटवर्क वाले तीन अथवा चार बैंकों के प्रतिनिधियों, नाबाड़ तथा सिडबी के प्रतिनिधियों और साथ ही साथ राज्य में उद्यमियों के कम से कम तीन प्रतिनिधियों को लेते हुए बनाया जायेगा। कार्यदल अपनी बैठकों में विशेषज्ञों को आमंत्रित करके उनकी सेवाओं का लाभ उठायेगा। रिज़र्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी को भी कार्यदल से जोड़ा जायेगा।
रिज़र्व बैंक एक ऐसी योजना तैयार करेगा जिसके अंतर्गत जम्मू और कश्मीर में बैंकों को अपनी शाखाओं तथा सिडबी की ऐसी शाखाओं के बीच बेहतर तालमेल के लिए तंत्र विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा जो कि भारत सरकार, लघु उद्योग मंत्रालय द्वारा निर्धारित किये गये क्लस्टरों में स्थित हैं। कूटनीतिपूर्ण सहयोग की योजना के अंतर्गत (व) सिडबी की मौजूदा शाखाओं जिन्हें लघु उद्यम वित्तीय केंद्र (एसइएफसी) का नया नाम दिया जायेगा, बैंक शाखाओं के साथ साथ लघु औद्योगिक इकाइयों की मीयादी ऋण आवश्यकता का सहवित्तपोषण करेगी और इन इकाइयों की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को बैंकों द्वारा पूरा किया जायेगा; (वव) लघु औद्योगिक इकाइयों की ऋण आवश्यकताओं के मूल्यांकन में सिडबी की विशेषज्ञता का लाभ वाणिज्यिक बैंकों की शाखाएं उठायेंगी; (ववव) सिडबी क्रियाविधियां आसान बनाने में बैंकों की मदद करने के लिए अन्य विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध करायेगा। लघु उद्यम वित्तीय केंद्रों की सेवाएं बहुत छोटी औद्योगिक इकाइयों के लिए भी उपलब्ध होंगी।
केंद्रीय बोड़ की बैठक के बाद शाम को डॉ. रेड्डी रिज़र्व बैंक के अन्य तीन उप गवर्नरों के साथ फेडरेशन चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज कश्मीर के प्रतिनिधियों से मिले। फेडरेशन के अध्यक्ष श्री एस. शकील कलंदर ने राज्य में आर्थिक स्थिति की संक्षिप्त समीक्षा प्रस्तुत की और गवर्नर महोदय को एक ज्ञापन दिया जिसमें राज्य में बैंक ऋण की उपलब्धता बढ़ाने के लिए पांच सुझाव दिये गये थे। ये थे मीयादी ऋण देने वाली संस्थाओं का ढांचा बदलना, जोखिम उठानेवाली संस्थाओं की स्थापना करना, बीमार उद्योगों का पुनर्वास, ऋण जमा अनुपात को बढ़ाना और ऐसी बैंक शाखाओं को फिरसे खोलना/फिर से शिफ्ट करना जो सुरक्षा की चिंताओं के कारण बंद पड़ी हैं।
सुझावों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. रेड्डी ने फेडरेशन के प्रतिनिधियों को यह आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री के साथ उनकी बैठक के दौरान राज्य में जिस कार्यदल के गठन की सहमति हुई है, वह इन मामलों की जांच करेगा और राज्य में बैंक शाखाओं के नेटवर्क को मज़बूत करने तथा ऋण सुपुर्दगी में सुधार लाने के लिए योजनाएं तैयार करेगा। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया की जो बरस हमने खो दिये हैं उनके साथ गति पकड़ने के लिए राज्य में बहुत कुछ किये जाने की ज़रूरत है और भारतीय रिज़र्व बैंक, वाणिज्यिक बैंकों, फेडरेशन चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज कश्मीर तथा राज्य सरकार के बीच इस दिशा में निकट से सहयोग बनाये रखने की ज़रूरत है।
डॉ. रेड्डी राज्य में कार्यरत तीन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्षों तथा प्रायोजक बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारियों की मौजूदगी में मिले। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों को ऋण चैनलाइज करने में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की महत्ता को रेखांकित किया। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्षों ने उनकी शाखाओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा तथा उनकी शाखाओं के लिए पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध कराये जाने के मामले उठाये। यह निर्णय लिया गया कि जम्मू में रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय में पहले से ही गठित उच्चाधिकार-प्राप्त समिति को और मज़बूत बनाया जाए। यह उच्चाधिकार-प्राप्त समिति मूल रूप से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा वफ्षि और संबंधित क्षेत्रों को ऋणों की उपलब्धता देखने और निगरानी करने के लिए गठित की गयी है।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/1163