14 जुलाई 2016 भारतीय रिजर्व बैंक ने फिन टेक और डिजिटल बैंकिंग पर अंतर- विनियामक कार्यसमूह स्थापित किया भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में फिन टेक और डिजिटल बैंकिंग से संबंधित विनियामक मुद्दों के सभी पहलुओं का अध्ययन करने के लिए एक अंतर विनियामक कार्यसमूह(डब्ल्यूजी) का गठन किया है । कार्यसमूह की स्थापना वित्तीय क्षेत्र के साथ ही साथ वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं में फिन टेक नवाचारों और उनके प्रभावों के बढ़ते महत्व को देखते हुए की गई है। वित्तीय स्थिरता और विकास कांउसिल- उप समिति (एफएसडीसी-एससी) की दिनांक 26 अप्रैल 2016 को आयोजित बैठक में ऐसे कार्यसमूह की स्थापना का निर्णय लिया गया था जो फिन टेक और उसके प्रभाव के बारीक पहलुओं पर गौर और समीक्षा कर सके ताकि विनियामक ढांचे को उचित रूप से नई दिशा और समीक्षा और तेजी से विकसित फिन टेक परिदृश्य की गतिशीलता पर प्रतिक्रिया दी जा सकें। कार्यसमूह का गठन निम्नानुसार है:
(i) श्री सुदर्शन सेन, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिजर्व बैंक |
अध्यक्ष |
(ii) डॉ शरत कुमार मलिक, मुख्य महाप्रबंधक, सेबी |
सदस्य |
(iii) श्री आर.के. शर्मा, संयुक्त निदेशक, इरडा |
सदस्य |
(iv) श्री राकेश शर्मा, महाप्रबंधक, पीएफआरडीए |
सदस्य |
(v) श्री ए पी होता, एमडी और सीईओ, एनपीसीआई |
सदस्य |
(vi) डॉ ए एस रामशास्त्री, निदेशक, आईडीआरबीटी |
सदस्य |
(vii) श्री आर रविकुमार, मुख्य महाप्रबंधक, डीबीएस, भारतीय रिजर्व बैंक |
सदस्य |
(viii) श्रीमती नंदा एस दवे, मुख्य महाप्रबंधक, डीपीएसएस, भारतीय रिजर्व बैंक |
सदस्य |
(ix) श्री मृत्युंजय महापात्र, डीएमडी, और सीआईओ, एसबीआई |
सदस्य |
(x) श्री नितिन चुघ, मुख्य, डिजि. बैंकिंग, एचडीएफसी बैंक |
सदस्य |
(xi) श्री अमीष मेहता, सीएफओ, क्रिसिल |
सदस्य |
(xii) श्री ए जोसेफ, जेएलए, एलडी, भारतीय रिजर्व बैंक |
सदस्य |
(xiii) श्री प्रशांत कुमार सेठ, मप्र, डीबीआर, भारतीय रिजर्व बैंक |
सदस्य-सचिव |
कार्यसमूह के विचारार्थ विषय निम्नानुसार होंगे :
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इसमें शामिल प्रमुख फिन टेक नवोन्मेषों/गतिविधियो, काउंटरपार्टियों/संस्थाओं, प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों की सामान्य समझ हासिल करने के लिए कार्यक्षेत्र कार्रवाई करना और किस प्रकार से बाजार तथा विशेषकर वित्तीय क्षेत्र नए डिलीवरी चैनल, उत्पाद और प्रौद्योगिकियां अपना रहे हैं।
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डिजीटलीकरण और वित्तीय प्रौद्योगिकी के उपयोग से वित्तीय प्रणाली में अवसरों और जोखिमों का आकलन करना तथा किस प्रकार से वित्तीय उत्पाद नवोन्मेष और डिलीवरी का बेहतर उपयोग इसके उपयोगकर्ताओं/ग्राहकों तथा अन्य स्टेकधारकों के लाभ के लिए किया जा सकता है।
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वित्तीय क्षेत्र के विभिन्न कार्यों जैसे मध्यस्थता, समाशोधन, गैर-वित्तीय संस्थाओं द्वारा किए जा रहे भुगतान के प्रभावों और चुनौतियों का आकलन करना।
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इस मामले में देश से बाहर की पद्धतियों की जांच करना, विश्वभर में दखल अंदाजी के लिए सफल विनियामकीय प्रतिक्रियाओं के मॉडलों का अध्ययन करना।
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उचित विनियामकीय जवाबी योजना तैयार करना जिससे कि फिन टेक/डिजीटल बैंकिंग से जुड़े अवसर बढ़ाने के साथ-साथ उभरती हुई चुनौतियों और जोखिम आयामों को व्यवस्थित करने के लिए विनियामकीय दिशानिर्देशों और सांविधिक प्रावधानों को पुनः संरेखित/उन्मुखी बनाया जा सके।
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उपर्युक्त मुद्दों से संबंधित अन्य कोई मामला।
कार्यसमूह इसके विचारार्थ विषयों से संबंधित किसी भी क्षेत्र के प्रतिनिधियों से विचार आमंत्रित कर सकता है और अपने विवेक से भुगतान, टेलिकॉम, सॉफ्टवेयर और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र की संस्थाओं को चुन सकता है। कार्यसमूह अपनी रिपोर्ट इसकी पहली बैठक की तारीख से छह महीने के अंदर प्रस्तुत करेगा। अल्पना किल्लावाला प्रधान परामर्शदाता प्रेस प्रकाशनी : 2016-2017/114 |