रिज़र्व बैंक पहली नवम्बर से बैंकों पर दण्ड और - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक पहली नवम्बर से बैंकों पर दण्ड और
20 अक्तूबर 2004
रिज़र्व बैंक पहली नवम्बर से बैंकों पर दण्ड और
विशिष्ट पर्यवेक्षी कार्रवाइयां प्रकट करेगा
भारतीय रिज़र्व बैंक ने, निवेशकों तथा जमाकर्ताओं के हित में यह निर्णय लिया है कि वह बैंकों पर उसके द्वारा लगाये गये दण्ड सामने लायेगा। वाणिज्यिक बैंकों को जारी एक परिपत्र में बैंक ने कब है कि वह पहली नवम्बर 2004 से एक प्रेस प्रकाशनी जारी करके उन परिस्थितियों के ब्यौरे देगा जिनके अन्तर्गत बैंक पर दण्ड लगाया गया है। रिज़र्व बैंक, बैंक पर दण्ड लगाये जाने के बारे में जानकारी पब्लिक डोमेन पर भी रखेगा। इसके अलावा, रिज़र्व बैंक ने बैंकों से कब है कि वे अपनी वार्षिक रिर्पोटों में तुलन पत्र के ‘लेखों पर विवरणियों’ में दण्ड का उल्लेख करें। विदेशी बैंकों के मामले में, दण्ड के बारे में भारतीय परिचालन के लिए अगले तुलनपत्र के लेखों पर टिप्पणियों में बताया जाना बेगा। रिज़र्व बैंक उनकी निरीक्षण रिपोर्टों के आधार पर बैंकों को जारी कड़े नियमों अथवा निदेशो के संबंध में भी प्रेस प्रकाशनी जारी करेगा।
रिज़र्व बैंक, बैंकों की पारदर्शिता में सुधार लाने के लिए समय समय पर कई कदम उठाता रहा है। प्रकट करने संबंधी अपेक्षाओं की भी लगातार समीक्षा की जाती रहेगी और उन्हें संशोधित किया जाता रहेगा।
वर्तमान में, रिज़र्व बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4) के प्रावधानों के अन्तर्गत ये अधिकार दिये गये हैं कि वह इस अधिनियम के प्रावधानों अथवा अधिनियम की किन्हीं अन्य अपेक्षाओं अथवा अधिनियम के अन्तर्गत रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट आदेश, नियम अथवा शर्त के उल्लंघनों के लिए किसी वाणिज्यिक बैंक पर दण्ड लगा सकता है। बैंक पर दण्ड लगाने का निर्णय, बैंक को सूचित करने तथा उसका स्पष्टीकरण प्राप्त करने के बाद लिया जाता है ताकि बैंक को सुने जाने के लिए यथोचित अवसर दिया जा सके।
यह नोट करना उल्लेखनीय है कि बासले घ्घ् का तीसरा स्तम्भ इसी विषय को लेकर है कि जनता तक बैंक के प्रकटीकरण में बढ़ी हुई पारदर्शिता के जरिये बाज़ार अनुशासन द्वारा किस तरह से बैंकिंग प्रणाली में सुरक्षा तथा सुदृढ़ता को मजबूत किया जा सकता है। इस बात को भी अन्तर्राष्ट्रीय रूप से स्वीकार किया गया है कि जहां पारदर्शिता से बाजार अनुशासन में मजबूती आती है, वहीं, अपने ग्राहकों के संबंध में गोपनीयता बनाये रखने की सहज ज़रूरत के चलते, बैंक ऐसी स्थिति में नहीं भी हो सकते कि वे सभी ऐसे आंकड़े प्रकट करें जो उनके जोखिम प्रोपाइल के आकलन से संबंध रखते हैं।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/426