RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

81617958

रिज़र्व बैंक ने भारत में विदेशी बैंकों की उपस्थिति के लिए रोडमैप और निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व और गवर्नेंस पर दिशानिर्देश जारी किये


28 फरवरी 2005

रिज़र्व बैंक ने भारत में विदेशी बैंकों की उपस्थिति के लिए रोडमैप और

निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व और गवर्नेंस पर दिशानिर्देश जारी किये

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारत में विदेशी बैंकों की उपस्थिति के लिए रोडमैप तथा निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व और गवर्नेंस पर दिशानिर्देश जारी किये। श्री पी. चिदंबरम, वित्त मंत्री, भारत सरकार ने आज 2005-2006 के लिए केंद्रीय बजट की घोषणा करते हुए अपने भाषण में कहा कि रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों के लिए रोडमैप तैयार कर लिया है और उसे जारी करेगा।

तदनुसार, निम्नलिखित तीन दस्तावेज़ जारी किये गये हैं :

(क) भारत में विदेशी बैंकों की मौजूदगी के लिए रोडमैप और उसके साथ

(ख) पूर्व स्वामित्ववाली बैंकिंग सहायक कंपनियां स्थापित करने के लिए परिशिष्ट तथा

(ग) निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व तथा गवर्नेंस पर दिशानिर्देश

भारत में विदेशी बैंकों की उपस्थिति के लिए रोडमैप

आपको याद होगा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार ने 5 मार्च 2004 को बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआर) पर मौजूदा दिशानिर्देशों को संशोधित किया था। इन दिशानिर्देशों में बैंकिंग क्षेत्र में अनिवासी भारतीयों तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश शामिल थे।

दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी स्रोतों से कुल विदेशी निवेश की अनुमति बैंक की चुकता पूंजी के अधिकतम 74 प्रतिशत तक की थी जबकि पूंजी की निवासी भारतीय धारिता कम से कम 26 प्रतिशत रखी जानी थी। इस बात का भी प्रावधान था कि भारत में विदेशी बैंक केवल निम्नलिखित तीन चैनलों में से एक के माध्यम से कार्य कर सकते थे। ये चैनल थे (व) शाखा (शाखाएं), (वव) पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी अथवा (ववव) निजी क्षेत्र में अधिकतम 74 प्रतिशत तक कुल विदेशी निवेश वाली सहायक कंपनी। भारत सरकार के परामर्श से रिज़र्व बैंक ने दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए भारत में विदेशी बैंकों की उपस्थिति के लिए रोडमैप जारी किया है।

इस रोडमैप को दो चरणों में बांटा गया है। पहले चरण के दौरान, मार्च 2005 और मार्च 2009 के बीच विदेशी बैंकों को पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों (डब्ल्यूओएस) स्थापित करके अथवा मौजूदा शाखाओं को पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों में परिवर्तित करके उपस्थिति दर्ज करने की अनुमति दी जायेगी।

इसकी सुविधा के लिए, रिज़र्व बैंक ने विस्तफ्त दिशानिर्देश जारी किये हैं। इन दिशानिर्देशों में, अन्य बातों के साथ-साथ, आवेदक विदेशी बैंकों के लिए पात्रता मानदंड, उदाहरण के लिए, स्वामित्व ढांचा, वित्तीय मज़बूती, पर्यवेक्षी रेटिंग तथा अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग आदि आते हैं। पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों की न्यूनतम पूंजी अपेक्षा 300 करोड़ रुपये अर्थात् तीन बिलियन रुपये होगी और उसे सुदृढ़ कार्पोरेट गवर्नेंस सुनिश्चित करने की ज़रूरत होगी। पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों को विदेशी बैंकों की मौजूदा शाखाओं के बराबर माना जायेगा और शाखा विस्तार के लिए वर्ष में 12 शाखाओं की मौजूदा विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की वचनबद्धताओं से परे जाने की छूट होगी तथा उन्हें बैंक रहित क्षेत्रों में शाखा विस्तार के लिए वरीयता दी जायेगी। रिज़र्व बैंक डब्ल्यूटीओ के अनुरूप बाज़ार पहुंच तथा राष्ट्रीय व्यवहार सीमा और साथ ही साथ पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों के परिचालनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यवहारों तथा देश की अपेक्षाओं के अनुरूप अन्य यथोचित सीमाएं निर्धारित कर सकता है।

इस चरण के दौरान, पात्र विदेशी बैंकों द्वारा भारतीय निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयर धारिता ग्रहण करने के लिए अनुमति, ढांचा बदलने (रीस्ट्रक्चरिंग) के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा पहचान किये गये बैंकों तक सीमित होगी। यदि रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि इस तरह संबंधित विदेशी बैंक द्वारा इस तरह का निवेश निवेशिती (इन्वेस्टी) बैंक में सभी पण्य धारकों के दीर्घकालिक हित में होगा तो वह इस तरह के अधिग्रहण की अनुमति दे सकता है। जहां इस तरह का अधिग्रहण भारत में उपस्थिति वाले विदेशी बैंक द्वारा है तो एक जैसी उपस्थिति की संकल्पना के अनुरूप ढलने के लिए अधिकतम छह माह की अवधि की अनुमति दी जायेगी।

दूसरा चरण प्राप्त अनुभवों की समीक्षा के बाद तथा बैंकिंग क्षेत्र में सभी पण्य धारकों के साथ विधिवत् परामर्श करके अप्रैल 2009 में शुरू किया जायेगा। इस समीक्षा में डब्ल्यूओएस को राष्ट्रीय व्यवहार के विस्तार, पण्य कम करने तथा दूसरे चरण में किसी विदेशी बैंक द्वारा भारत में किसी निजी क्षेत्र के बैंक के विलयन/अधिग्रहण के अनुमति देने से संबंधित मुद्दों की जांच शामिल होगी।

निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए स्वामित्व एवं

गवर्नेंस पर दिशानिर्देश

आपको याद होगा कि रिज़र्व बैंक ने चर्चा एवं फीडबैक के लिए 2 जुलाई 2004 को निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व एवं गवर्नेंस के लिए प्रारूप नीति फ्रेमवर्क जारी किया था। इन दिशानिर्देशों में बैंकों में विविधिवफ्त स्वामित्व की वांछनीयता, महत्वपूर्ण शेयर धारकों, निदेशकों तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी के उचित और विधिवत् स्टेटस, और न्यूनतम पूंजी/निवल हैसियत मानदंडों की ज़रूरत पर जोर दिया गया था। इस परिवर्तन के लिए यथोचित व्यवस्थाएं की गयी थीं जबकि नीति तथा प्रक्रियाओं को पारदर्शी और उचित बनाये रखा गया था। इन दिशानिर्देशों को पर्याप्त लंबे समय तक पब्लिक डोमैन पर रखा गया है और इन पर व्यापक रूप से चर्चा की गयी है। बैंकिंग प्रणाली में बेहतर गवर्नेंस और प्रबंधन के लिए ज़रूरत पर आम सहमति है और यथा संभव विविधिवफ्त स्वामित्व की वांछनीयता है जबकि स्वामियों तथा निदेशकों के उचित तथा विधिवत् स्टेटस को सुनिश्चित करने के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य को ध्यान में रखना है। मौजूदा बैंकों पर ढांचे को लागू करने पर तथा 10 प्रतिशत से अधिक शेयर धारित सुनिश्चित करने की ज़रूरत पर कई मामले भी उठाये गये थे ताकि बैंकिंग क्षेत्र के ढांचे को नया रूप दिया जा सके।

प्राप्त फीडबैक के आधार पर तथा भारत सरकार से परामर्श करके रिज़र्व बैंक ने अब स्वामित्व एवं गवर्नेंस पर दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दे दिया है। दिशानिर्देशों में, अन्य बातों के साथ साथ उचित तथा विधिवत मानदंडों के अनुपालन के साथ बैंकिंग क्षेत्र का ढांचा बदलने और समेकन सुनिश्चित करने के लिए शेयर धारिता के उच्चतर स्तरों की व्यवस्था है। विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा अधिग्रहण/हस्तांतरण की स्वीवफ्ति के लिए मौजूदा नीति, 3 फरवरी 2004 को जारी शेयरों के अधिग्रहण/हस्तांतरण की स्वीवफ्ति पर दिशानिर्देशों पर आधारित बनी रहेगी और रिज़र्व बैंक सभी लाभकारी हितों वाले संबंधित विदेशी संस्थागत संस्थाओं से प्रमाणपत्र मांग सकता है।

उपर्युक्त नीतियों को लागू करने समय रिज़र्व बैंक द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि अपनाया जानेवाला नज़रिया परामर्श लेनेवाला हो, प्रक्रियाएं पारदर्शी और उचित हों और बिना बाधा वाला मार्ग अपनाया जाये।

 

अल्पना किल्लावाला

मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/910

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?