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भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यदल ने कहा कि कारोबारी संवाददाता (बीसी) प्रतिदर्श वित्तीय समावेशन के लिए महत्त्वपूर्ण है; कारोबारी संवाददाता के लिए नई संस्थाओं का सुझाव दिया

19 अगस्त 2009

भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यदल ने कहा कि कारोबारी संवाददाता (बीसी) प्रतिदर्श वित्तीय समावेशन के लिए महत्त्वपूर्ण है; कारोबारी संवाददाता के लिए नई संस्थाओं का सुझाव दिया

भारतीय रिज़र्व बैंक के एक कार्यदल ने ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंकों के लिए कारोबारी संवाददाताओं (बीसी) की नियुक्ति हेतु निम्नलिखित नई संस्थाओं की अनुशंसा की है :

i) एकल किराना/मेडिकल/उचित मूल्य दुकानदार
ii) एकल सार्वजनिक कॉल कार्यालय (पीसीओ) ऑपरेटर
iii) भारत सरकार/बीमा कंपनियों के लघु बचत योजनाओं के एजेंट
iv) एकल व्यक्ति जो पेट्रोल पंप के मालिक हैं
v) सेवा निवृत्त शिक्षक
vi) बैंकों से जुड़े सुचारू रूप से चल रहे स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) के प्राधिकृत कार्यकर्ता
vii) वित्तीय समावेशन पर समिति (अध्यक्ष : डॉ. सी रंगराजन) द्वारा पहचान किए गए वित्तीय रूप से सुविधा रहित जिलों में ऋण कंपनियों के स्वरूप में जमाराशियाँ स्वीकार न करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जिनका व्यष्टि वित्त संविभाग उनके ऋण बकाया के 80 प्रतिशत से कम नहीं है।

यह अनुशंसा करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यदल ने यह विचार व्यक्त किया है कि बैंकों को वित्तीय समावेशन के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण रूप में कारोबारी संवाददाता (बीसी) प्रतिदर्श को स्वीकार किए जाने की आवश्यकता है। चूँकि पारंपरिक ‘ईंट और गारा’ शाखाएं इस विशाल देश के भीतरी भागों में एक सीमित क्षेत्र तक ही प्रवेश कर सकती हैं, इस प्रतिदर्श ने बैंकों को किफायती तरीके से पहुँच विहीन क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने का एक कार्यकारी विकल्प प्रस्तुत किया है।

कार्यकारी दल ने उल्लेख किया है कि कारोबारी संवाददाताओं (बीसी) का उपयोग न केवल नो फ्रिल खाते खोलने और उनकी देखरेख बल्कि वित्तीय गतिविधियों के पूरे विस्तार के लिए की जाए। इसके अतिरिक्त बैंकिंग प्रणाली के माध्यम विभिन्न सरकारी भुगतानों को मार्ग उपलब्ध कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं के साथ ये कारोबारी संवाददाता कम मूल्य के लेनदेन की भारी मात्रा को व्यवस्थित करने में बैंकों के लिए एक आदर्श माध्यम बन सकते हैं। जैसाकि अनुभव दर्शाता है आइसीटी समाधानों के साथ जुड़कर कारोबारी संवाददाता प्रतिदर्श बैंकों को वित्तीय समावेशन को सुविधा प्रदान करते हुए आवश्यक रूप से उनकी पहुँच में बढ़ोतरी कर सकता है।

इस कार्यदल ने आगे यह विचार व्यक्त किया है कि उच्चाधिकार समिति की अपनी प्रारूप रिपोर्ट में अग्रणी बैंक योजना की समीक्षा के लिए यथा अनुशंसित मार्च 2011 तक नियमित आधार पर कम-से-कम सप्ताह में एक बार 2000 से अधिक की आबादी के लिए प्रत्येक गांव में एक बैंकिंग स्थल होने के उद्देश्य को कारोबारी संवाददाता प्रतिर्श में आवश्यक रूप से क्रमिक बढ़ोत्तरी के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

इस कार्यदल की अन्य प्रमुख अनुशंसाओं में प्रारंभिक स्तरों पर बैंकों द्वारा कारोबारी संवाददाता और कारोबारी संवाददाताओं की पकड़ के माध्यम से सेवा प्रदान करने के लिए एक प्रारदर्शी तरीके से ग्राहक से औचित्यपूर्ण सेवा प्रभारों की वसूली हेतु बैंकों को अनुमति देने के द्वारा कारोबारी संवाददाता प्रतिदर्श की दीर्घावधि व्यवहार्यता में सुधार के लिए उपाय शामिल हैं। इस कार्यदल ने यह सुझाव भी दिया है कि दूरस्थ मानदण्डों के संबंध में डीसीसी से ‘अनापत्ति’ प्राप्त करने की अपेक्षा में कुछ रियायत दी जाए।

सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के संबंध में समिति ने सुझाव दिया है कि अगली कार्रवाई करने का निर्णय लेने से पूर्व कम-से-कम एक-दो राज्यों में इसे प्रायोगिक आधार पर संचालित किया जाना चाहिए।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र में उत्तर पूर्वी क्षेत्र (अध्यक्ष : श्रीमती उषा थोरात) के लिए वित्तीय क्षेत्र योजना पर समिति (सीएफएसपी) द्वारा सुझाए गए अनुसार ऐसी स्थानीय संस्थाएं जो भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों में उपलब्ध संस्थाओं की भी सूची में शामिल नहीं हैं को बीसी के रूप में नियुक्त करने पर विचार किया जा सकता है बशर्तें ऐसी संस्थाओं का बैंक उचित विचार-विमर्श करने के बाद प्रस्ताव करता है और इन संस्थाओं का डीएलसीसी सुझाव देता है। ऐसे मामलों में निर्णय लेने का अधिकार भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय के पास होगा।

पृष्ठभूमि

यह स्मरण होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनवरी 2006 में बैंकों को अनुमति दी थी कि वे मध्यवर्ती संस्थाओं का कारोबारी सुविधादाता (बीएफ) अथवा कारोबारी संवाददाताओं (बीसी) के रूप में वित्तीय और बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उपयोग करें। इसका उद्देश्य बृहत्तर वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने और बैंकिंग क्षेत्र की पहुँच में वृद्धि करना था। वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार समितियों/न्यास अधिनियमों के अंतर्गत गठित गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ)/लघु वित्त संस्थाओं (एमएफआइ), पारस्परिक सहायता प्राप्त सहकारी समिति अधिनियमों अथवा राज्यों के सहकारी समिति अधिनियमों के अंतर्गत पंजीकृत समितियाँ, धारा 25 वाली कंपनियाँ जो अकेली संस्थाओं के रूप में स्थित हैं अथवा जिनमें गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, बैंकों, टेलीकॉम कंपनियों तथा अन्य कंपनी संस्थाओं अथवा उनकी धारण कंपनियों की 10 प्रतिशत से अधिक इक्विटी धारिता नहीं है, डाक घर और सेवा निवृत्त बैंक कर्मचारी, भूतपूर्व सैनिक और सेवा निवृत्त सरकारी कर्मचारी बैंकों के कारोबारी संवाददाताओं के रूप में कार्य कर सकते हैं। कारोबारी संवाददाताओं को अनुमति दी गई है कि वे बैंक परिसर के अलावा अन्य स्थानों पर बैंकों के एजेंट के रूप में बैंकिंग कारोबार संचालित करें। तथापि, हाल की अवधि में विभिन्न क्षेत्रों से यह मांग की गई थी कि कारोबारी संवाददाताओं के रूप में कार्य करने वाली पात्र संस्थाओं का बैंकिंग प्रणाली की पहुँच में वृद्धि को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से विस्तार किया जाए। इसके बाद रिज़र्व बैंक ने कारोबारी संवाददाता (बीसी) प्रतिदर्श की समीक्षा के लिए एक कार्यदल का गठन किया था। इस कार्यदल में चयनित वाणिज्यिक बैंकों और रिज़र्व बैंक के अधिकारियों को सदस्य के रूप में तथा श्री पी.विजय भास्कर, प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग को अध्यक्ष के रूप में शामिल किया गया था।

अन्य बातों के साथ-साथ इस कार्यदल ने कारोबारी संवाददाता (बीसी) प्रतिदर्श के कार्यान्वयन में प्राप्त अनुभव की समीक्षा की और उन व्यक्तियों/संस्थाओं के वर्गों के विस्तार के लिए उपाय सुझाए जो इस प्रतिदर्श से संबंधित विभिन्न विनियामक और अन्य आकस्मिक मामलों की समीक्षा करने के बाद बैंकों के कारोबारी संवाददाताओं के रूप में कार्य कर सकते हैं।

कारोबारी संवाददाता (बीसी) प्रतिदर्श की समीक्षा के लिए कार्यदल की रिपोर्ट का संपूर्ण पाठ भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर डाल दिया गया है।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/278

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