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रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 06/2022: ब्लैक स्वान से बैंकों को बचाना: ऑप्शन और ट्रेड-ऑफ

22 मार्च 2022

रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 06/2022:
ब्लैक स्वान से बैंकों को बचाना: ऑप्शन और ट्रेड-ऑफ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला1 के तहत “ब्लैक स्वान से बैंकों को बचाना: ऑप्शन और ट्रेड-ऑफ” शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का लेखन सौरभ घोष, पवन गोपालकृष्णन और अभिषेक रंजन ने किया है।

बैंकिंग क्षेत्र, संसाधन आवंटन और आर्थिक सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए, दुनिया भर के सार्वजनिक नीति निर्माताओं द्वारा ब्लैक स्वान इवेंट (कोविड-19 महामारी सहित) के दौरान बैंकिंग क्षेत्र की आघात-सहनीयता सुनिश्चित करने के लिए कई पहल की गई हैं। इनमें पूंजी लगाना, ऋण अधिस्थगन और पुन: संरचना शामिल हैं। यह पेपर पूंजी लगाने की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित करता है क्योंकि वह बैंकों को प्रतिकूल झटकों, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी चूक हो सकती है, के विरुद्ध एक सहारा प्रदान करता है। यह विभिन्न परिदृश्यों, जिसमें अवरुद्ध या लचीली जमा दरें शामिल हैं, के तहत पूंजी लगाने की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करता है। पेपर के निष्कर्षों से यह संकेत मिलता है कि एक बैंक का पुनर्पूंजीकरण, एक लचीली जमा/उधार दर के माहौल में सबसे अच्छा किया जाता है, क्योंकि इससे बेहतर संचरण होता है। लेकिन लचीली ब्याज दरों (एक सहज चक्र के दौरान) के परिणामस्वरूप ब्याज आय में गिरावट के कारण उपभोक्ताओं द्वारा खर्च में कमी आ सकती है। अतः, इस ट्रेड-ऑफ को संतुलित करने के लिए सार्वजनिक नीति की आवश्यकता हो सकती है, और एक इष्टतम नीति मिश्रण प्राप्त करने के लिए बैंकिंग पूंजी लगाने जैसे उपयुक्त और कैलिब्रेटेड आपूर्ति-पक्ष सुधार उपायों के साथ-साथ मांग पुनरुद्धार नीतियों को कार्यान्वित करना महत्वपूर्ण हो सकता है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1894


1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है तो कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों के भी अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। इन्हें टिप्पणियों और आगे की चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्‍वरूप का ध्यान रखा जाए।

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