रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 08/2020: भारत में अधीनस्थ सरकार की ऋण स्थिरता: एक अनुभवजन्य विश्लेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 08/2020: भारत में अधीनस्थ सरकार की ऋण स्थिरता: एक अनुभवजन्य विश्लेषण
2 जुलाई 2020 रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 08/2020: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यपत्रक श्रृंखला* के तहत एक वर्किंग पेपर रखा जिसका शीर्षक “भारत में अधीनस्थ सरकार की ऋण स्थिरता: एक अनुभवजन्य विश्लेषण” है। इस पेपर के लेखक संगीता मिश्रा, किर्ती गुप्ता और पुष्पा त्रिवेदी हैं। यह पेपर भारतीय राज्यों के लिए ऋण की स्थिरता का आकलन करता है। उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (यूडीएवाई) जैसी योजनाओं के कारण होनेवाले वित्तीय झटकों ने राजकोषीय दबाव को बढ़ा दिया है, जिससे समय-समय पर राज्यों की ऋण गतिशीलता बिगड़ गई है। इस तरह के राजकोषीय झटकों और आकस्मिक देयताओं के उपयोग के बढ़ते उदाहरणों की पहचान कर, पेपर पारंपरिक देनदारियों / ऋण और संवर्धित ऋण दोनों का उपयोग करता है जो राज्यों की गारंटी के बारे में जानकारी शामिल करने और राज्यों के बजट पर उनकी संभावित गिरावट के कारण आता है। स्थिरता का आकलन एक मानक संकेतक आधारित दृष्टिकोण और राजकोषीय उत्तरदायित्व विधान(एफआरएल) अवधि के पश्चात के लिए पैनल डेटा फ्रेमवर्क का उपयोग करके किया जाता है। परिणाम बताते हैं कि राज्यों के ऋण बस तब तक स्थिर है जब तक कि अस्थिरता के कुछ संकेतों के उभरने की संभावना है। राज्यों द्वारा दी गई गारंटी, अगर उपयोग की जाती है, तो निश्चित रूप से भारतीय राज्यों की ऋण स्थिरता के लिए संभावित जोखिम पैदा कर सकता है । आकस्मिक देयताओं / ऑफ -बजट उधारों के संबंध में अधिक पारदर्शिता के साथ एक मध्यम अवधि संयोजित एंकर के रूप में ऋण के समावेश के साथ राज्यों के एफआरएल के पुन:आने के संदर्भ में इसका स्पष्ट नीतिगत निहितार्थ है। पेपर में कोविड-19 महामारी अवधि और राज्य वित्त पर इसके प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/11 * रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |