रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 08/2022: आत्म निर्भार भारत की ओर: संबद्धताओं और क्षरण (लिंकेज और लीकेज) की जांच - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 08/2022: आत्म निर्भार भारत की ओर: संबद्धताओं और क्षरण (लिंकेज और लीकेज) की जांच
7 जुलाई 2022 रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 08/2022: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के अंतर्गत “आत्म निर्भार भारत की ओर: संबद्धताओं और क्षरण की जांच” शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का लेखन सौरभ शर्मा, इप्सिता पाधी और देब प्रसाद रथ ने किया है। कोविड संकट से निपटने के लिए आत्म निर्भर भारत मिशन छत्र योजना के अंतर्गत कई दौर के वित्तीय प्रोत्साहनों की घोषणा की गई है। इस संदर्भ में, यह महत्वपूर्ण है कि नीतिगत हस्तक्षेप, अर्थव्यवस्था की उत्पादन संरचना के साथ संरेखित हों ताकि अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके। यह पेपर क्षेत्रीय गुणजों के आधार पर अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने के लिए निविष्टि-उत्पाद विश्लेषण का उपयोग करता है। यह 'क्षरण’, अर्थात घरेलू उत्पादन में एक यूनिट परिवर्तन से संबंधित मध्यवर्ती आयात में परिवर्तन की भी जांच करता है। संबद्धताओं और क्षरण के मध्य पारस्परिक क्रिया का विश्लेषण किया जाता है, जो दो भिन्न पैटर्न को प्रकट करता है - सेवाओं के मामले में, उच्च आयात उच्च घरेलू संबद्धताओं से जुड़े हुए हैं, जबकि उद्योग के लिए विपरीत, अर्थात उच्च मध्यवर्ती आयात कम घरेलू संबद्धताओं से जुड़े हुए हैं। यह पेपर निर्यात को बढ़ावा देने वाले क्षेत्रों के साथ उन क्षेत्रों की भी पहचान करता है जहां आपूर्ति श्रृंखला आघात सहनीयता हेतु घरेलू क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/492 * भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों, जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है, के अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। इन्हें टिप्पणियों और आगे की चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |