रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 14/2020: भारत में मौद्रिक नीति संचरण की आस्ति गुणवत्ता और क्रेडिट चैनल: बैंक-स्तरीय आंकड़ों से कुछ साक्ष्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 14/2020: भारत में मौद्रिक नीति संचरण की आस्ति गुणवत्ता और क्रेडिट चैनल: बैंक-स्तरीय आंकड़ों से कुछ साक्ष्य
15 दिसंबर 2020 रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 14/2020: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला के तहत "भारत में मौद्रिक नीति संचरण की आस्ति गुणवत्ता और क्रेडिट चैनल: बैंक-स्तरीय आंकड़ों से कुछ साक्ष्य" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा*। पेपर का लेखन जनक राज, देबा प्रसाद रथ, प्रतीक मित्र और जॉइस जॉन ने किया है। यह पेपर बैंक क्रेडिट विकास के निर्धारकों का विश्लेषण करके मौद्रिक संचरण के क्रेडिट चैनल पर भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की आस्ति की गुणवत्ता के प्रभाव का आकलन करता है। यह पाता है कि भारत में मौद्रिक संचरण का एक मजबूत क्रेडिट चैनल मौजूद है। हालांकि, इसकी प्रभावकारिता बैंकों की आस्ति की निम्नस्तरीय गुणवत्ता से प्रभावित होती है, जबकि बेहतर पूंजी स्थिति संचरण को मजबूत करने में मदद करती है। अतः, मौद्रिक नीति के क्रेडिट चैनल पर मौद्रिक नीति कार्रवाइयों का पूरा प्रभाव पड़ने के लिए, आस्ति की गुणवत्ता के तनाव को दूर करना और बैंकों की पूंजी की स्थिति को मजबूत करना अनिवार्य है। पेपर में यह भी पाया गया है कि 2013 के बाद से भारत में ऋण मंदी को बैंकिंग प्रणाली में आस्ति की गुणवत्ता के तनाव, आर्थिक गतिविधियों में मंदी और जमा वृद्धि में कमी के माध्यम से मूलतः व्याख्यायित किया जा सकता है। मौद्रिक नीति के निभावकारी रुख ने इस ऋण संवृद्धि मंदी को कम करने में मदद की है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/781 * रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |