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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 11/2012 भारत में मौद्रिक नीति अंतरण: ब्‍लैक बॉक्‍स के भीतर झांकना

27 जून 2012

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 11/2012
भारत में मौद्रिक नीति अंतरण: ब्‍लैक बॉक्‍स के भीतर झांकना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाईट पर ''भारत में मौद्रिक नीति अंतरण: ब्‍लैक बॉक्‍स के भीतर झांकना'' शीर्षक एक वर्किंग पेपर डाला। यह वर्किंग पेपर श्री जीवन कुमार खुद्रक्‍पम और श्री राजीव जैन द्वारा लिखित है।

मौद्रिक नीति अंतरण एक प्रक्रिया है जिसके माध्‍यम से मौद्रिक नीति के निर्णय सामान्‍य रूप में अर्थव्‍यवस्‍था तथा विशेष रूप में मूल्‍य स्‍तर को प्रभावित करते हैं। यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें नीति कार्रवाइयों का अंतरण कई माध्‍यमों से बाजार ब्‍याज दरों तथा इसके बाद वास्‍तविक क्ष्‍ेात्र की ओर बढ़ता है। अत: मौद्रिक नीति अंतरण व्‍यवस्‍था अभी भी एक ''ब्‍लैक बॉक्‍स'' मानी जाती है। इस संदर्भ में यह पेपर वर्ष 1996-97:1 से वर्ष 2011-12:1 के लिए तिमाही ऑंकड़ों पर एसवीएआर नमूनों का उपयोग करते हुए भारत में उत्‍पादन वृद्धि और मुद्रास्‍फीति के लिए मौद्रिक नीति के विभिन्‍न अंतरण माध्‍यमों के सापेक्षिक महत्‍व की जॉंच करता है।

पेपर यह पता करता है कि बाहृय बहिर्गत कारक भारत में सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि और मुद्रास्‍फीति पर 'मूल्‍य पहेली' की समस्‍या को दूर करते समय मौद्रिक नीति अंतरण के प्रभाव जारी रखते हैं। अंतरण के विभिन्‍न माध्‍यमों के बीच ब्‍याज दर माध्‍यम, ऋण माध्‍यम और आस्ति मूल्‍य माध्‍यम महत्‍वपूर्ण पाए जाते हैं जबकि विनिमय दर माध्‍यम कमजोर होता है। नीति दर पर एक सकारात्‍मक आघात से दो तिमाहियों के अंतराल के साथ ऋण वृद्धि में मंदी आती है और उसके बाद सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि और मुद्रास्‍फीति नकारात्‍मक रूप से प्रभावित होती है। वही मौद्रिक नीति आघात तीसरी तिमाही के बाद से आस्ति मूल्‍यों को नकारात्‍मक रूप से प्रभावित करता है और बदले में सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि और मुद्रास्‍फीति पर सुस्‍पष्‍ट नकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है। विनिमय दर माध्‍यम का सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि पर महत्‍वहीन प्रभाव देखा गया है लेकिन मुद्रास्‍फीति पर इसका गैर-नगण्य प्रभाव होता है। ब्‍याज दर माध्‍यम का यह उल्‍लेख करते हुए कि ब्‍याज दर माध्‍यम भारत में मौद्रिक नीति अंतरण के लिए अधिक महत्‍वपूर्ण माध्‍यम है, सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि पर मौद्रिक आघातों के कुल प्रभाव का लगभग आधा तथा मुद्रास्‍फीति पर कुल प्रभावों का लगभग एक तिहाई प्रभाव देखा गया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखलाएं लागू की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्‍टाफ सदस्‍यों की प्रगति में अनुसंधान का प्रतिनिधित्‍व करते हैं तथा इन्‍हें स्‍पष्‍ट अभिमत और आगे चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है।  इन पेपर में व्‍यक्‍त विचार लेखकों के हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं। अभिमत और टिप्‍पणियों लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग इसके अनंतिम स्‍वरूप को ध्‍यान में रखकर किए जाएं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/2078

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