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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 13/2012 भारत में राजकोषीय रूझान, विश्‍वसनीयता और जारी मुद्रास्‍फीति

26 जुलाई 2012

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 13/2012
भारत में राजकोषीय रूझान, विश्‍वसनीयता और जारी मुद्रास्‍फीति

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाईट पर '' भारत में राजकोषीय रूझान, विश्‍वसनीयता और जारी मुद्रास्‍फीति'' शीर्षक वर्किंग पेपर जारी किया। यह पेपर श्री पंकज कुमार और श्री प्रतीक मित्रा द्वारा लिखित है।

हाल की विगत अवधि में भारत ने उच्‍चतर और निरंतर जारी मुद्रास्‍फीति का अनुभव किया है। इसकी प्रतिक्रिया में भारतीय रिज़र्व बैंक ने संचयी रूप से फरवरी 2010 और अक्‍टूबर 2011 के बीच नकदी आरक्षित अनुपात 100 आधार अंकों तक तथा नीति दर (रिपो दर) 375 आधार अंकों तक बढ़ाया है। तथापि, इन नीति कार्रवाईयों के बावजूद मुद्रास्‍फीति दर अडि़यल रूप से उच्‍चतर बनी हुई है। लेखकों ने हमारी वर्तमान मुद्रास्‍फीति संकट के कारणों की जांच की है।

पेपर यह जानकारी देता है कि भविष्‍य के सरकारी अधिशेषों के लिए ठोस संभावनाओं के अलग रहते हुए भारी समसामयिक सरकारी घाटा इस बारे में वास्‍तविक संदेहों को प्रोत्‍साहन देता है कि क्‍या मौद्रिक संयम घाटे को वित्तीय सहायता के लिए तुरंत अथवा बाद में छोड़ा जा सकता है। इसके परिणामस्‍वरूप वर्तमान का मुद्रा आपूर्ति संयम - एक दुख:दायी मौद्रिक गणित की प्रतियोगिता के बावजूद मुद्रास्‍फीतिकारी प्रत्‍याशाओं में बढ़ोतरी होगी।

इस पेपर के नीति प्रभाव पुर्णत: स्‍पष्‍ट हैं। विवेकपूर्ण मुद्रास्‍फीति नीति विरोध में घाटे को रोक रखना शामिल है। यह प्रतिबंधात्‍मक मौद्रिक नीतियों की घोषणा करने और इसे कायम रखने के लिए तब तक अपर्याप्‍त है जब तक बज़ट घाटे में एक समन्वित कमी शामिल न की जाए।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखलाएं लागू की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्‍टाफ सदस्‍यों की प्र‍गति में अनुसंधान का प्रतिनिधित्‍व करते हैं तथा इन्‍हें स्‍पष्‍ट अभिमत और आगे चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपर में व्‍यक्‍त विचार लेखकों के हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं। अभिमत और टिप्‍पणियों लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग इसके अनंतिम स्‍वरूप को ध्‍यान में रखकर किए जाएं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/139

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