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आरबीआई वर्किंग पेपर सीरीज़-16/2012 भारत का सतत सीएडी स्तर

8 अगस्त 2012

आरबीआई वर्किंग पेपर सीरीज़-16/2012
भारत का सतत सीएडी स्तर

भारत के करंट अकाउंट डेफिसिट (सीएडी) का स्थायी स्तर मध्यम अवधि में जीडीपी के 2.4 से 2.8 प्रतिशत के बीच होगा। यह इस धारणा पर होगा कि जीडीपी विकास दर 6.0 और 8.0 प्रतिशत के बीच है, मुद्रास्फीति 5.0 प्रतिशत के आसपास है और ब्याज दर और पूंजी प्रवाह का आकार हाल के दिनों में उनके रुझानों का व्यापक रूप से पालन करता है। यह आज रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर प्रकाशित इस वर्किंग पेपर की प्रमुख खोज थी। श्री राजन गोयल ‘सस्टेनेबल लेवल ऑफ इंडिया करंट अकाउंट डेफिसिट’ शीर्षक वाले वर्किंग पेपर के लेखक है।

पेपर का तर्क है कि अत्यधिक चालू खाता घाटा (सीएडी) एक अर्थव्यवस्था को बाहरी ऋण या मुद्रा संकट के प्रति संवेदनशील बनाता है जो बदले में वित्तीय अस्थिरता की ओर जाता है और पर्याप्त उत्पादन और कल्याणकारी घाटे का कारण बनता है। पेपर में यह पाया गया है कि भारतीय संदर्भ में, हालांकि 2008-09 से 2010-11 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में सीएडी का औसत लगभग 2.7 प्रतिशत था, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था पर कोई दवाब नहीं हुआ, सकल घरेलू उत्पाद के 4.0 प्रतिशत से अधिक सीएडी होने के कारण 2011-12 में 12.8 बिलियन यूएस अमेरिकी डॉलर के शुद्ध गिरावट का कारण बना। यह देखते हुए कि भारत में सीएडी का स्थायी स्तर ऐतिहासिक रूप से जीडीपी के 2 प्रतिशत से कम माना जाता है, पेपर इस बात की जांच करता है कि क्या यह स्तर ऊपर चला गया है और यदि ऐसा है तो वर्तमान परिदृश्य में सीएडी का संभावित स्थायी स्तर क्या है।

यह पेपर तब भारत के लिए सीएडी के स्थायी स्तर का अनुमान लगाने के लिए शुद्ध बाहरी देनदारियों की सीमा स्तर पर एक सांख्यिकीय मॉडल लागू करता है ताकि अर्थव्यवस्था को बाहरी क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उसका उल्लंघन न करना पड़े। थ्रेशोल्ड स्तर पर आने के लिए चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं के एक पैनल पर आधारित प्रोबिट विश्लेषण का उपयोग किया गया है।

टिप्पणी : रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्‍वरूप का ध्यान रखा जाए।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/216

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