भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 18/2012 भारत में सकल मॉंग पर मौद्रिक नीति के प्रभाव का आकलन - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 18/2012 भारत में सकल मॉंग पर मौद्रिक नीति के प्रभाव का आकलन
24 दिसंबर 2012 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 18/2012 रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला के अंतर्गत ''भारत में सकल मॉंग पर मौद्रिक नीति के प्रभाव का आकलन'' शीर्षक एक वर्किंग पेपर जारी किया। इस पेपर के लेखक श्री जीवन कुमार खुंद्रक्पम हैं। इस बात पर आम सहमति दिखाई देती है कि मौद्रिक नीति कम-से-कम अल्पावधि में वास्तविक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। तथापि, वे तरीके और माध्यम जिनसे मौद्रिक नीति उत्पादन और कीमतों को प्रभावित करती है आज भी एक खुला और नहीं निपटाया गया मुद्दा है। वास्तविक अर्थव्यवस्था पर अपने अल्पावधि प्रभाव पर बिल्कुल असहमति को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि यह समझा जाए कि अर्थव्यवस्था का कौन सा क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित महसूस करता है। इस संदर्भ में दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सकल मांग के संपूर्ण संघटकों में यह प्रभाव क्या असमान रूप से महसूस किया जाता है या नहीं। उदाहरण के लिए मौद्रिक कड़ाई के बाद निवेश में मंदी के कारण सकल मांग में कमी के समष्टिआर्थिक प्रभाव उससे अलग होंगे जो उपभोग मांग में मंदी के कारण कमी से होते हैं। इस पेपर ने सकल मांग के विभिन्न संघटकों नामत: निजी उपभोग, सरकारी उपभोग, निवेश, भारत में निर्यात और आयात पर मौद्रिक नीति (ब्याज दर में परिवर्तन) के प्रभाव का आकलन करने का प्रयत्न करता है। यह वर्ष 2000 की पहली तिमाही से वर्ष 2011 की पहली तिमाही तक तिमाही आंकड़ों पर संरचनात्मक वीएआर प्रतिदर्ष का उपयोग करके किया जाता है। इस पेपर के निष्कर्ष यह उल्लेख करते हैं कि-
टिप्पणी : भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में वर्किंग पेपर श्रृंखला लागू की। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों के अनुसंधान में प्रगति को प्रस्तुत करते हैं तथा उपयुक्त टिप्पणियों और अगली चर्चाओं के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं। अभिमत और टिप्पणियां लेखकों को भेजी जा सकती हैं। ऐसे पेपरों का उद्धरण और उपयोग इसके अनंतिम स्वरूप को ध्यान में रखकर किया जाए। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1051 |