भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखता : 7/2012 भारत में बैंकों के सांकेतिक और वास्तविक प्रभावी उधार दर के उपाय - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखता : 7/2012 भारत में बैंकों के सांकेतिक और वास्तविक प्रभावी उधार दर के उपाय
18 मई 2012 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखता : 7/2012 नब्बे के दशक में ब्याज दरों के चल रहे अविनियमन के चलते भारत में बैंकों की ऋण मूल्यन व्यवस्था में उल्लेखनीय परिवर्तन देखा गया। वाणिज्यिक बैंकों के लिए सांकेतिक प्रभावी उधार दर के लिए एक व्यापक उपाय के अभाव में इस परिवर्तन का आकलन चुनौतिपूर्ण बना रहा। इस संदर्भ में इस पेपर ने व्यापक बीएसआर डेटाबेस पर आधारित 1992-2010 की अवधि के लिए भारत में बैंक ऋण के लिए भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) पर तुलनात्मक वार्षिक समय श्रृंखला को उपलब्ध कराया है। डब्ल्यूएएलआर श्रृंखला पहले किए गए प्रयोग से अत्यधिक बड़ा डेटासेट उपलब्ध कराता है। इससे बैंक उधार दर के मौद्रिक अंतरण के माध्यम से अनुभवजन्य आकलन के लिए एक महत्वपूर्ण डेटा अंतर को कम करने की अपेक्षा की जा रही है। संपूर्ण बैंकिंग उद्योग और संपूर्ण क्षेत्रभर के लिए डब्ल्यूएएलआर ने सांकेतिक संदर्भ में धीमी कमी दशाई है। साथ ही, अपस्फीतिकारक डब्ल्यूपीआइ जीडीपी पर आधारित सांकेतिक डब्ल्यूएएलआर से प्राप्त उत्पाद और वास्तविक उधार दर के बीच विपरित संबंध की अवधारणा की जांच एक सरल लौटने वाले ढॉंचे से की जाती है। इसके परिणाम अपेक्षानुसार थे। साथ ही, वर्ष 1997-2010 की अवधि में इसके संबंधों की मज़बूती बेहतर हुई। यह उधार दरों का चल रहा अविनियमन के प्रभाव को दर्शाता है जिसने ब्याज दर से उत्पाद की संवेदनशीलता को बढ़ा दिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 से भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला लागू किया है। उक्त पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों की अनुसंधान में प्रगति को दर्शाते हैं और अभिमत प्राप्त करने तथा आगे चर्चा के लिए इसका प्रचार-प्रसार किया जाता है। इन पेपरों में दिए गए अभिमत लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं हैं। कृपया अपने अभिमत और विचार लेखकों को प्रेषित करें। ऐसे पेपरों का उदाहरण और प्रयोग के लिए उनके प्रावधानों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1841 |