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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 9 / 2012 मुद्रास्‍फीति पर मौद्रिक नीति कार्रवाईयों का प्रभाव नरम तथा अंतरालों के अधीन है - आरबीआई - Reserve Bank of India

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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 9 / 2012 मुद्रास्‍फीति पर मौद्रिक नीति कार्रवाईयों का प्रभाव नरम तथा अंतरालों के अधीन है

25 जून 2012

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 9 / 2012
मुद्रास्‍फीति पर मौद्रिक नीति कार्रवाईयों का प्रभाव नरम तथा अंतरालों के अधीन है

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाईट पर ''भारत में मौद्रिक अंतरण व्‍यवस्‍था : एक तिमाही प्रतिदर्श'' शीर्षक एक वर्किंग पेपर संख्‍या 9 / 2012 डाला। यह वर्किंग पेपर श्री मुनीष कपूर और श्री हरेंद्र बेहेरा द्वारा लिखित है।

पेपर ''भारत में मौद्रिक अंतरण व्‍यवस्‍था : एक तिमाही प्रतिदर्श'' वृद्धि और मुद्रास्‍फीति पर मौद्रिक नीति कार्रवाईयों की जांच करता है। कृषि क्षेत्र से उत्‍पन्‍न अस्थिरता को देखते हुए यह पेपर समग्र वृद्धि और समग्र मुद्रास्‍फीति दोनों के साथ-साथ गैर-कृषि वृद्धि और गैर-खाद्य विनिर्मित उत्‍पाद मुद्रास्‍फीति अर्थात् कृषि क्षेत्र के प्रभावों से विहीन संघटक जो मौद्रिक कार्रवाईयों के प्रति अधिक उदार हैं के प्रतिदर्श उपस्थित करता है। यह पेपर तेल की कीमतों, वास्‍तविक विनिमय दर और राजकोषीय चर वस्‍तुओं के प्रभाव का वृद्धि और विनिमय दर तथा मुद्रास्‍फीति पर न्‍यूनतम समर्थित कीमतों का भी आकलन करता है।

प्रतिदर्श प्रोत्‍साहन यह दर्शाते हैं कि सामान्‍य प्रभावी नीति दर में एक तिमाही 100 आधार अंकों (बीपीएस) की वृद्धि से गैर-कृषि वृद्धि में 40 आधार अंकों की (दो तिमाहियों के अंतराल के साथ) तथा गैर-खाद्य विनिर्मित उत्‍पाद मुद्रास्‍फीति (5 तिमाहियों के अंतरालों के साथ) पर 25 आधार अंकों की तीव्र कमी होती है। ये परिणाम वास्‍तविक ब्‍याज दर के वैकल्पिक उपायों के प्रति संवेदनशील हैं। इस पेपर में प्रस्‍तुत वृद्धि और मुदास्‍फीति पर ब्‍याज दर के आकलन औसत गुणांक हैं तथा अन्‍य बातों के साथ-साथ वृद्धि और मुद्रास्‍फीति पर मौद्रिक नीति कार्रवाईयों का वास्‍तविक प्रभाव कारोबारी चक्र और चलनिधि स्थितियों के चरण पर निर्भर करेगा।

समग्र रूप में परिणाम यह उल्‍लेख करते हैं कि ब्‍याज दर माध्‍यम भारतीय संदर्भ में प्रभावी है तथा वृद्धि और मुद्रास्‍फीति पर प्रभाव का परिमाण प्रमुख उन्‍नत और उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं से तुलनायोग्‍य है। तथापि, भारत और अन्‍य देशों के लिए साक्ष्‍य यह प्रस्‍तावित करते हैं कि मुद्रास्‍फीति पर मौद्रिक नीति कार्रवाईयों का प्रभाव नरम तथा अंतरालों के अधीन है। वर्ष 2010 और 2011 के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मौद्रिक कड़ाई के बावजूद मुद्रास्‍फीति उच्‍च बनी रही और यह खाद्य मुद्रास्‍फीति के संरचनात्‍मक संघटक के साथ-साथ वर्ष 2010 की दूसरी छमाही से शुरू होकर वर्ष 2011 की पहली छमाही तक जारी अंतर्राष्‍ट्रीय पण्‍य वस्‍तुओं की कीमतों में उछाल के कारण हो सकती है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखलाएं लागू की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्‍टाफ सदस्‍यों की प्र‍गति में अनुसंधान का प्रतिनिधित्‍व करते हैं तथा इन्‍हें स्‍पष्‍ट अभिमत और आगे चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपर में व्‍यक्‍त विचार लेखकों के हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं। अभिमत और टिप्‍पणियों लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग इसके अनंतिम स्‍वरूप को ध्‍यान में रखकर किए जाएं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/2058

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