भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं.3: भारत में वैश्विक स्पिलओवर (प्रभाव-विस्तार) और मौद्रिक नीति का संचारण - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं.3: भारत में वैश्विक स्पिलओवर (प्रभाव-विस्तार) और मौद्रिक नीति का संचारण
26 फरवरी 2016 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं.3: भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के अंतर्गत भारत में वैश्विक स्पिलओवर और मौद्रिक नीति का संचारण शीर्षक से एक वर्किंग पेपर आज अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराया है। इस पेपर के सह-लेखक हैं माइकल देबब्रत पात्र, सितिकांत पट्टनायक, जाइस जॉन और हरेंद्र कुमार बेहरा। विश्व की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मौद्रिक नीति के लिए अलग-अलग उपाय कर रही हैं, वहीं भारत को स्पिल ओवर के बड़े जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। इस पेपर में भारत में देशी वित्तीय बाज़ारों के माध्यम से मौद्रिक नीति की संचारण-सरणियों पर वैश्विक स्पिलओवरों के प्रभाव का विवेचन किया गया है। स्टाइलाइज़्ड तथ्यों के आधार पर और वैश्विक स्पिलओवरों के संकेतक (आईजीएस) विकसित करने के लिए एक गतिशील कारक मॉडल का उपयोग करते हुए एक समय-सापेक्ष पैरामीटर वेक्टर ऑटो-रेग्रेशन (टीवीपी-वीएआर) मॉडल का आकलन किया जाता है। इन परिणामों से यह पता चलता है कि देशी मौद्रिक नीति के विचलित होने के संबंध में कोई ठोस प्रमाण तो नहीं है फिर भी बाज़ार स्पेक्ट्रम के कतिपय खंडों पर वैश्विक स्पिलओवरों का प्रभाव पड़ रहा है। जहां तक मौद्रिक नीति का मामला है वह देशी लक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य में नीति विकल्प के रूप में स्वतंत्रता के अभाव प्रति नहीं, बल्कि देशी वित्तीय बाज़ार की परिस्थितियों में अस्थिरता-प्रेरित दबाव के प्रति संवेदनशील है। *रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों की प्रगति में अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। अनिरुद्ध डी. जाधव प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2022 |