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प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार पर नायर समिति की रिपोर्ट

21 फरवरी 2012

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार पर नायर समिति की रिपोर्ट

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 21 फरवरी 2012 को अपनी वेबसाइट पर विद्यमान वर्गीकरण की समीक्षा तथा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार और संबंधित मुद्दों के संबंध में संशोधित दिशानिर्देश प्रस्तावित करने के लिए गठित समिति (अध्यक्षः श्री वी. नायर, अध्यक्ष, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) की रिपोर्ट जारी किया।

रिज़र्व बैंक ने बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, अन्य संस्थाओं और आम जनता से समिति की रिपोर्ट पर विचार/अभिमत आमंत्रित किया है। इस रिपोर्ट पर सुझाव और अभिमत प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, 10 वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को 31 मार्च 2012 तक भेजे जा सकते हैं।

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार पर अंतिम परिपत्र इस रिपोर्ट पर प्रतिसूचना, अभिमत और सुझाव प्राप्त करने के बाद जारी किए जाएँगे।

समिति का गठन

रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीति वक्तव्य 2011-12 में की गई घोषणा के अनुपालन में 25 अगस्त 2011 को  श्री एम. वी. नायर की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया। इस समिति को विद्यमान वर्गीकरण की समीक्षा तथा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार और संबंधित मुद्दों के संबंध में संशोधित दिशानिर्देश प्रस्तावित करना था। इस समिति में विभिन्न क्षेत्रों से 10 सदस्य थे और डॉ. दीपाली पंत जोशी, प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक इसकी सदस्य सचिव थीं। इस समिति को व्यापक आधार पर विचारणीय विषय दिए गए थे।

समिति की प्रमुख अनुशंसाएँ

एक विस्तृत और व्यापक परामर्शी प्रक्रिया स्वीकार करते हुए समिति ने समाज के विविधतापूर्ण खण्डों और क्षेत्रों द्वारा सामना किए जा रह मुद्दों की पहचान की; उनकी समग्र रूप से जाँच की और अनुशंसाएँ की जो निर्देशित ऋण का उद्देश्य प्राप्त करने में सहायता करेंगी।

  1. प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के लिए घरेलू अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का लक्ष्य समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोज़र का ऋण सममूल्य (सीइओबीइ) जो भी उच्चतर हो, को 40 प्रतिशत पर बनाए रखा जाए।

  2. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कृषि के बीच के भेद को हटाते हुए `कृषि और सहबध्द क्रियाकलाप' का क्षेत्र प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के भीतर संमिश्र क्षेत्र हो। कृषि और सहबध्द क्रियाकलापों का लक्ष्य एएनबीसी अथवा सीइओबीइ, जो भी अधिक हो, का 18 प्रतिशत होना चाहिए।

  3. कृषि और सहबध्द क्रियाकलापों के भीतर छोटे और सीमांत किसानों के लिए उपलक्ष्य की सिफारिशें  एएनबीसी अथवा सीइओबीइ, जो भी अधिक हो, का 9 प्रतिशत के सममूल्य पर 2015-16 तक चरणों में प्राप्त किया जाए।

  4. मध्यम और लघु उद्यम क्षेत्र (एमएसइ) को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र में जारी रखा जाए। मध्यम और लघु उद्यम क्षेत्र के भीतर माइक्रो उद्यम के लिए एक सह-लक्ष्य की सिफारिश एएनबीसी अथवा सीइओबीइ, जो भी अधिक हो, का 7 प्रतिशत के सममूल्य पर 2013-14 तक चरणों में प्राप्त किया जाए

  5. बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाए कि  "लघु और सीमांत कृषकों"  और माइक्रो उद्यम" के अंतर्गत बकाया लाभार्थी खातों की संख्या में से प्रत्येक 15 प्रतिशत की न्यूनतम वार्षिक वृद्धि दर दर्ज़ की जाए।

  6. आवास और शिक्षा ऋण प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत जारी रखी जाए। एकल व्यक्ति के लिए एक आवास के लिए 25 लाख रुपए तक की गृह निर्माण / गृह खरीद के लिए ऋण; खराब हुए आवासीय मकानों की मरम्मत के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 2 लाख रुपए तक और अन्य केन्द्रों में 5 लाख रुपए तक के ऋण प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत प्रदान किए जाएं। 

  7. आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग और निम्न आय समूह के लिए आवासीय मकानों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए इन व्यक्तियों को प्रदान किए जाने वाले आवास ऋणों को कमज़ोर वर्ग श्रेणी में शामिल किया जाए।

  8. प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत महिलाओं के सभी ऋणों को भी कमज़ोर वर्गों के ऋण में गिना जाए।

  9. प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत भारत में अध्ययन और विदेश में अध्ययन के लिए ऋण की वर्तमान सीमा क्रमश: रु.10 लाख और रु.20 लाख को बढ़ाकर रु.15 लाख और रु.25 लाख किया जाए।

  10. विदेशी बैंकों के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र लक्ष्य एएनबीसी अथवा सीइओबीइ, जो भी अधिक हो, का 40 प्रतिशत तक बढ़ा दिया जाए। साथ ही माइक्रो उद्यम के लिए अंकित 7 प्रतिशत के भीतर निर्यातों के लिए 15 प्रतिशत और मध्यम और लघु उद्यम क्षेत्र के लिए 15 प्रतिशत का सह-लक्ष्य रखा जाए।

  11. समिति ने बाज़ार सहभागियों के रूप में घरेलू अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, विदेशी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ प्रयोगिक आधार पर निष्क्रिय प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाण-पत्र की अनुमति देने की सिफारिश की है।

  12. गैर-बैंक वित्तीय बिचौलियों को बैंक ऋण प्रदान किया जाए ताकि विशेष हिस्सों को आगे उधार दिया जा सके। उसके  लिए एएनबीसी अथवा सीइओबीइ, जो भी अधिक हो, का अधिकतम 5 प्रतिशत तक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए गिने जाने की अनुमति दी जानी चाहिए बशर्तें कुछ सावधानियां और प्रलेखीकरण मानक अपनाए जाते हैं।

  13. रिपोर्ट आधारित रिपोर्टिंग की वर्तमान प्रणाली की कुछ सीमांए है और उसे डाटा-आधारित रिपोर्टिंग से सुधारा जा सकता है। पूर्व निर्धारित मानदण्ड़ों, संदर्भ तारीख, आवधिकता, रिपोर्टिंग की इकाई आदि जैसे डाटा रिपोर्टिंग के मामलों को संबोधित करना आवश्यक है।

समिति की सिफारिशों से आशा है कि इस विषय को संबोधित करने में उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा जिसमें उन लोगों को ऋण प्राप्त हो सकेगा जिन्हें ऋण प्राप्त करने की पहुँच का अभाव है और जो उस क्षेत्र को व्यापक रोज़गार निर्मित करने वाले है।  आशा है कि इन सिफारिशों से देश के विकासात्मक और समावेशित लक्ष्यों को प्रोत्साहन मिलेगा।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1334

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