भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अभिनव सहकारी बैंक लि., राहुरी, (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अभिनव सहकारी बैंक लि., राहुरी, (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द
8 मार्च 2013 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अभिनव सहकारी बैंक लि., राहुरी, (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अभिनव सहकारी बैंक लि., राहुरी, (महाराष्ट्र) अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 7 फरवरी 2013 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। निबंधक, सहकारी समितियां, महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर ₹1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 25 मार्च 2000 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। 31 मार्च 2005 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक का सीआरएआर 9% की सांविधिक अपेक्षा के मुकाबले 4.6% था तथा निवल एनपीए निवल अग्रिम के 17.8% था जिसके बाद बैंक पर परिचालनात्मक अनुदेश लगाए गए। 31 मार्च 2006, 31 मार्च 2007, 31 मार्च 2008, 31 मार्च 2009, 31 मार्च 2010, 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए आगामी निरीक्षण तथा अगस्त 2008 और मार्च 2009 में की गयी संवीक्षा से जैसा कि पता चला है बैंक के वित्तीय संकेतकों में निरंतर गिरावट जारी रही। उपर्युक्त निरीक्षण और संवीक्षा में भारतीय रिज़र्व बैंक के कई दिशानिर्देशों / निर्देशों / परिचालन प्रतिबंधों का उल्लंघन देखा गया, जिसमें से कुछ महत्वपूर्ण उल्लंघन निम्नानुसार हैं: ए) बैंक ने एक सहकारी समिति के ऋण और अग्रिमों का नवीनीकरण किया जिसमें बैंक का एक निदेशक अध्यक्ष के रूप में कार्यरत था; बी) बैंक ने अपेक्षित सीआरआर और एसएलआर नहीं रखा था; सी) बैंक ने अधिनियम की धारा 6 के उल्लंघन में कमीशन के आधार पर 'प्रत्यक्ष बिक्री एसोसिएट' के नाम में एचडीएफसी बैंक के एक बिजनेस फेसिलीटेटर के रूप में कार्य किया था; डी) बैंक ने एक एकल उधारकर्ता को गैर जमानती अग्रिमों पर भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्देशों का उल्लंघन किया था; इ) बैंक ने अधिनियम की धारा 29 और 31 का उल्लंघन करते हुए निर्धारित समय में बैलेंस शीट और लाभ और हानि खाते की लेखा परीक्षित प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत नहीं की और 31 मार्च 2006 और 2007 के लिए अलेखा परीक्षित बैलेंस शीट जिस पर निर्देशकों के हस्ताक्षर भी नहीं थे प्रकाशित की; एफ) वर्ष 2005 में बैंक के स्टाफ के सदस्यों द्वारा की गयी ₹123.84 लाख धोखाधड़ी राशि के लेन - देन के लिए अपेक्षित प्रावधान नहीं किया था, जिस राशि का उपयोग विभिन्न शाखाओं के 840 ऋण खातों को नियमित करने के लिए किया गया था। उपर्युक्त निरीक्षण रिपोर्टों के लिए बैंक द्वारा प्रस्तुत अनुपालन की जांच की गयी परंतु संतोषजनक नहीं पाया गया। 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक के निरीक्षण से पता चला था कि बैंक की वित्तीय स्थिति काफी खराब थी। सीआरएआर (-) 151.5% था जबकि न्यूनतम विनियामक अपेक्षा 9% है। प्रदत्त शेयर पूंजी और आरक्षित निधि का वास्तविक या विनिमय मूल्य के साथ मूल्यांकन (-) ₹ 483.77 लाख था, संपूर्ण स्वाधिकृत निधियों और जमा का 59.1% ह्रास हुआ था। सकल और निवल एनपीए सकल और निवल अग्रिम के क्रमशः 52.4% और 46.9% थे और वर्ष 2010-11 में बैंक ने सीआरआर और एसएलआर रखने में चूक की थी। बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 11 (1), 18, 22 (3) (क) और 24 का अनुपालन नहीं किया था, इसके अलावा बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 23 और 31 का उल्लंघन करते हुए मुख्य कार्यालय का स्थानांतरण किया था, भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना आबंटीत केद्रों में से एक केंद्र पर बैंकिंग कारोबार करना बंद किया तथा निर्धारित समय सीमा में बैंक का तुलन पत्र और लाभ हानि लेखा प्रकाशित नहीं किया, इसके अलावा गैरजमानती अग्रिम की विवेकपूर्ण एक्सपोज़र सीमा का उल्लंघन, लागू सर्व समावेशी निर्देशों का उल्लंघन, तथा प्रभावी परिचालनात्मक अनुदेशौं का उल्लंघन किया। बैंक की चिंताजनक वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए और अधिमान्य भुगतान को रोकने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के उदेश्य से 17 अप्रैल 2012 को कारोबार समाप्ति से बैंककारी अधिनियम 1949 की धारा 35 (क) के तहत बैंक को निर्देशाधीनन रखा गया था तथा प्रति जमाकर्ता ₹1000 आहरण का प्रतिबंध लगाया गया। वित्तीय स्थिति में निरंतर गिरावट तथा विनियमन दिशानिर्देशों के उल्लंघन से यह पता चला कि बैंक का कार्यकालाप जमाकर्ताओं के हित के विरुद्ध हो रहा है। बैंक को इस प्रकार आगे कारोबार करने के लिए अनुमति देना वर्तमान एवं भावी जमाकर्ताओं के लिए हानिकारक होगा। उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 17 मई 2012 को कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसमें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 के अधीन बैंकिंग कारोबार करने के लिए बैंक को 25 मई 2000 को जारी लाईसेंस क्यों न रद्द किया जांए तथा बैंक का परिसमापन क्यों न किया जाए यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया था। बैंक ने 16 जून 2012 के पत्र से उक्त का जवाब दिया जिसमें बैंक ने निरीक्षण निष्कर्षों का विरोध नहीं किया है। बैंक को अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। 31 मार्च 2012 की स्थिति के लिए सितंबर 2012 में की गयी संवीक्षा में बैंक द्वारा वित्तीय स्थिति और एनपीए की वसूली में प्रगति होने का दावा विफल पाया गया। बैंक द्वारा प्रस्तुत पुनरुज्जीवन योजना तर्कसंगत नहीं थी क्योंकि बैंक, पुछा गया स्पष्टिकरण नहीं दे पाया। 6 जनवरी 2012 को बैंक को अन्य बातों के साथ-साथ यह सूचित किया गया था कि वे किसी सुदृढ बैंक के साथ विलयन की संभावना के बारे में पता लगाए, फिर भी बैंक कोई ठोस विलयन प्रस्ताव नहीं दे पाया। उक्त से यह स्थापित होता है कि - ii. बैंक के कार्यकलाप जमाकर्ताओं के हित के विरुद्ध किए जा रहे है। iii. बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 11(1), 18, 22(3)(बी) एवं 24 का अनुपालन नहीं कर रहा है। iv. बैंक की वित्तीय स्थिति सुधार के लिए कोई अवसर नहीं देता है। V. यदि बैंक को आगे कारोबार करने के लिए अनुमति दी जाती है तो सभी प्रकार से जनता का हित प्रभावित होगा। अत: भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से अभिनव सहकारी बैंक लि., राहुरी, (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। अत: भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से अभिनव सहकारी बैंक लि., राहुरी, (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती सुचित्रा मौर्य, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क का विवरण नीचे दिया गया है: डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, दूसरी मंज़िल, गारमेंट हाउस, वरली, मुंबई-400 018; टेलीफोन सं. : (022) 24932609; फैक्स सं. : (022) 24935495; ई-मेल आर. आर. सिन्हा प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1512 |