रिजर्व बैंक ने दि अन्योन्या को-आपरेटिव बैंक लि., वड़ोदरा (गुजरात) का लाइसेंस रद्द किय - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिजर्व बैंक ने दि अन्योन्या को-आपरेटिव बैंक लि., वड़ोदरा (गुजरात) का लाइसेंस रद्द किय
6 सितंबर 2010 रिजर्व बैंक ने दि अन्योन्या को-आपरेटिव बैंक लि., वड़ोदरा (गुजरात) का लाइसेंस रद्द किया दि अन्योन्या को-आपरेटिव बैंक लि., वड़ोदरा (गुजरात) के अर्थक्षम नहीं रह जाने और गुजरात सरकार के परामर्श से बैंक को पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होनेवाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिजर्व बैंक ने 03 सितम्बर 2010 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहकारिता आयुक्त तथा सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, गुजरात राज्य से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेखनीय है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआइसीजीसी) से सामान्य शर्तों के अधीन 1,00,000 (एक लाख रुपये मात्र) रुपये की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक को 19 दिसम्बर 1986 को बैंकिंग कारोबार करने के लिए लाईसेंस प्रदान किया था। 31 मार्च 2005 को समाप्त वर्ष के लिए बैंक के सावंधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक का सी आर ए आर (-) 49.2%, नकारात्मक निवल संपत्ति (-) ₹ 2181.61 लाख, 24.2% की सीमा तक जमाराशि में ह्वास हुआ है। बैंक की वित्तीय स्थिति वर्ष 31 मार्च 2006 व 31 मार्च 2007 में तेजी से खराब हुई जिससे बैंक की स्वाधिकृत निधिया ही न केवल समाप्त हुईं बल्कि जमाराशि का भी 24.6% ह्रास हुआ। बैंक से सांवधिक चलनिधि अनुपात के अनुरक्षण करने में भी चूक हुई। बैंक की वित्तीय स्थिति अधिक खराब होने के कारण सितम्बर 14, 2007 के पत्र शबैंवि.केंका. एनएसबी.सं.डी ड़ी – 277/12.21.08/2007-08 द्वारा बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 ए के अंर्तगत निर्देश जारी किए गए । 31 मार्च 2008 व 31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के लिए अनुवर्ती सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की स्थिति अत्यंत खराब हुई है एवं बैंक नें बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 11(1), 22 (3) (a) एवं (b) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया है। बैंक नें Religare Enterprises Ltd. के साथ उनके पदार्थों को प्रचार करने के लिये सहमति ज्ञापन दाखिल करने से बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 6 के प्रावधानों का भी अनुपालन नहीं किया। बैंक ने नियमों के अनुसार अनर्जक परिसंपत्ति को अभिज्ञात किया एवं अनर्जक परिसंपत्तियों के वसूल करने के लिये ठोस कदम नहीं उठाये। सारस्वत को-आपरेटिव बैंक के.साथ बैंक का विलय करने की कोशिशें विफल रहीं। अत: बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 22 के अंतर्गत बैंक को 26 फरवरी 2010 को लाइसेंस रद्द करने के लिये कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। कारण बताओ सूचना पर बैंक के उत्तर को जाचां गया पर उसे संतोषजनक नहीं पाया गया। बैंक द्वारा प्रस्तुत पुनर्जीवन प्रस्ताव मान्य/सहज नहीं पाया गया क्योंकि उन्होनें निवेशकर्ता द्वारा पूजीं लगाने की रकम को स्पष्ट नहीं किया, बैंक के पास पुनर्जीवन के लिये कोई मान्य कार्य योजना नहीं है। बैंक के कायापलट के लिये किसि साकार/व्यवहार्य पुनर्जीवन योजना/विलय प्रस्ताव एवं वाचिंत अपेक्षित निदेश पाने के साधन के अभाव में, बैंक के पुनर्जीवन की संभावना बहुत कठिन है। अत:बैंक के जमाकर्ताओं के हित को ध्यान में रखकर भारतीय रिज़र्व बैंक नें लाइसेंस रद्द करने का कठोर निर्णय लिया। लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से दि अन्योन्या को-आपरेटिव बैंक लि., वड़ोदरा (गुजरात) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में दि अन्योन्या को-आपरेटिव बैंक लि., वड़ोदरा (गुजरात) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत जमाराशियां स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। किसी भी स्पष्टीकरण के लिए, जमाकर्ता श्री सी एन मोदी सहायक महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, अहमदाबाद से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है: अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/347 |