भारतीय रिज़र्व बैंक ने भंडारी को-आपरेटिव बैंक लि., मुंबई (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भंडारी को-आपरेटिव बैंक लि., मुंबई (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया
16 नवंबर 2011 भारतीय रिज़र्व बैंक ने भंडारी को-आपरेटिव बैंक लि., इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भंडारी को-आपरेटिव बैंक लि., मुंबई, (महाराष्ट्र) अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराsष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 11 नवंबर 2011 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। निबंधक, सहकारी समितियां, महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता सामान्य शर्तों के अंतर्गत निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से रुपये 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 26 अक्टूबर 1987 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। 31 मार्च 2005 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर बैंक को 4 अक्तूबर 2005 को पर्यवेक्षी अनुदेश जारी किए गए थे तथा आगे की निरीक्षण रिपोर्टो के आधार पर समय-समय पर इन पर्यवेक्षी अनुदेशों में संशोधन किया गया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत 31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण में देखा गया की बैंक की मूल्यांकित निवल संपत्ति ऋणात्मक है तथा बैंक की जमाराशि का 0.5% तक मूल्यह्रास हुआ है। 31 मार्च 2009 की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर बैंक को 8 जनवरी 2010 को सूचित किया गया कि वर्तमान पर्यवेक्षी अनुदेशों के अलावा,नऐ ऋण देने के लिए केवल जमाराशि में हुई वृद्धि, एफडी, एनएससी, केवीपी, एलआईसी और सरकारी प्रतिभूतियों के बदले में दिए गए ऋण की वसूली से प्राप्त राशि से ही देने के लिए अनुमति है। बैंक को यह भी सूचित किया गया कि वह 31 मार्च 2010 तक अपनी निवल संपत्ति बढ़ाए तथा सीआरएआर 9% तक बढ़ाए। समीक्षाधीन अवधि के दौरान ऋण संपत्ति की गुणवत्ता में अत्यधिक गिरावटआयी। ऋण पोर्टफोलिओ अत्यधिक अनियमितताओं के साथ ऑटो ऋण पर केंद्रीभूत था। 31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति और अधिक खराब हुई है। उसकी मूल्याकिंत निवल संपत्ति (-) रु 999.98 लाख हुई तथा मूल्यांकित सीआरएआर (-) 2.5% हो गया। जमाराशि का 9.5%तक मूल्यह्रास हुआ। कुल और निवल एनपीए कुल और निवल अग्रिम के क्रमश: 34.5% और 26.6% हुआ। बैंक को 1 अक्तूबर 2010 को कमियों को सुधारने तथा अनुपालन के लिए निरीक्षण रिपोर्ट भेजी गई। तथापि 11 नवंबर 2010 के अपने पत्र के साथ बैंक द्वारा प्रस्तुत अनुपालन संतोषजनक नहीं पाया गया क्योंकि निरीक्षण रिपोर्ट में दिखाई गयी प्रमुख कमियां बनी रहीं। 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की खराब वित्तीय स्थिति जारी रही। 31 मार्च 2011 की स्थिति के लिए उसकी मूल्याकिंत निवल संपत्ति (-) रु 2555.04 लाख हुई तथा सीआरएआर (-) 29.8% हो गया। जमाराशि का भी 25.6% तक मूल्यह्रास हुआ। कुल एनपीए कुल अग्रिम के 54.5% हुई। निवल एनपीए 31 मार्च 2010 की स्थिति 26.6% से बढ़कर 31 मार्च 2011 को 42.3% हुए तथा मूल्यांकित हानि 2009-10 के रु 1365.85 लाख से बढ़कर 2010-11 में रु 2498.23 हुई। बैंक ने कई ऑटो रिक्शा / आवास ऋण दिए जो धोखाधड़ी वाले साबित हुए। 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से देखी गई बैंक की नाजूक वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए तथा सुधार लाने की प्रबंधन की क्षमता न रहने के कारण अधिनियम की धारा 35क के अंतर्गत 4 अगस्त 2011 के निर्देश शबैंवि. केंका.बीएसडी-1/डी-50 /12.22.021/2011-12 के माध्यम से 11 अगस्त 20011 को कारोबार समाप्ति से 6 महीनों की अवधि के लिए सर्व समावेशक निर्देश जारी किए गए थे। बैंक के प्रबंधन ने ऑटो / आवास ऋण खाते की अनियमितताएं तथा एनपीए की वसूली के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की थी। निदेशक मंडल प्रभावी नहीं रहा तथा बैंक की वित्तीय स्थिति खराब होने के लिए जिम्मेदार था। निदेशक बोर्ड प्रभावहीन था और बैंक की वित्तीय स्थिति बिगड़ने और जमाकर्ताओं के हीत के विपरित बैंक का कार्य करने के लिए जिम्मेदार था। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 11 अगस्त 2011 का पत्र के अंतर्गत निदेशक बोर्ड का अधिक्रमण करने के अनुरोध पर आधारित आरसीएस में 17 अगस्त 2011 के अपने आदेश के अंतर्गत बैंक के निदेशक बोर्ड का अधिक्रमण किया गया और बैंक के कार्य का प्रबंधन करने के लिए प्रशासक बोर्ड नियुक्त किया गया। ऊपर उल्लिखित अत्यधिक विसंगतियों से यह पाया गया कि बैंक का कार्य जमाकर्ताओं के हीत के विपरित किया जा रहा था। बैंक ने अधिनियम की धारा 11'(1), 22(3)(ए) और 22(3) (बी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया था। यह पाया गया कि बैंक के सभी वित्तीय मानदण्ड बिगड़ गए थे। 31 मार्च 2010 को आकलित कुल स्थिति (-)999.98 लाख रुपये थी जोकि 31 मार्च 2011 को कम होकर (-)2555.04 लाख रुपये हो गयी और उक्त अवधि के दौरान जमा में कमी 9.5 प्रतिशत से 25.6 प्रतिशत हो गई। बैंक के पास कोई विलयन का व्यवहार्य प्रस्ताव नहीं था। बैंक को 26 अगस्त 2011 को कारण बताओं नाटिस जारी किया गया था जिसमें यह पूछा गया था कि बैंकिंग कारोबार करने के लिए अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत बैंक को 26 अक्टूबर 1987 को दिया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए और बैंक का समापन क्यों न किया जाए। 22 सितंबर 2011 के पत्र के माध्यम से बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जॉंच की गई थी और बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिति नाजुक होने को मान लेने के कारण इस उत्तर को संतोषजनक नहीं माना गया। बैंक ने यह भी दर्शाया था कि 31 अगस्त 2011 को कुल और सकल अनर्जक आस्तियॉं क्रमश: 3156.00 लाख रुपये से बढ़कर 1981.00 लाख रुपये हो गई थी। वित्तीय स्थिति निरंतर नाजुक थी और बैंक ने सुधार करने संबंधी कोई दस्तावेज़ी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से भंडारी को-आपरेटिव बैंक लि., मुंबई, (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम, के अंतर्गत निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप भंडारी को-आपरेटिव बैंक लि., मुंबई (महाराष्ट्र) को अधिनियम की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती के.एस.ज्योत्सना, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क का विवरण नीचे दिया गया है: डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, दूसरी मंज़िल, गारमेट हाउस, वरली, मुंबई-400018 टेलीफोन सं. : (022) 24920225; फैक्स सं. : (022) 24935495; ई-मेल अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/775 |