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रिजर्व बैंक ने राजीव गाँधी सहकारी बैंक लि., लातूर (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया

12 सितंबर 2012

रिजर्व बैंक ने राजीव गाँधी सहकारी बैंक लि., लातूर (महाराष्ट्र)
का लाइसेंस रद्द किया

राजीव गाँधी सहकारी बैंक लि., लातूर, (महाराष्ट्र) (आगे बैंक कहा जाएगा) अपने वर्तमान एवं भविष्य के जमाकर्ताओं को भुगतान करने में असफल रह जाने की स्थिति में होने, बैंक के कार्यकलाप जमाकर्ताओं के हित के विपरीत हो जाने तथा बैंक की वित्तीय स्थिति के पुनरुज्जीवन के लिए कोई गुंजाइश न छोड़ने के कारण भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश 30 अगस्त 2012 को जारी किया। सहकारी समितियों के पंजीयक, पुणे से बैंक के परिसमापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध भी किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के परिसमापन पर जमाकर्ता, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों के अधीन 1,00,000 (एक लाख रुपये मात्र) की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने 15 दिसंबर 1997 को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 22 के अंतर्गत बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए लाईसेंस प्रदान किया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत 30 सितंबर 2004 की वित्तीय स्थिति के अनुसार किए गए सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक का एनपीए 23.5% आकलित किया गया है, मूल्यांकित निवल संपत्ति (-) 6.14 लाख है, सीआरएआर (-) 7.8% है तथा संचित हानि 21.41 लाख है।

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के अनुसार किए गए सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति अत्यधिक खराब हुई है। बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 36(1) के अंतर्गत अपने 6 अक्तूबर 2006 के पत्र के माध्यम से परिचालनात्मक विनिर्देश जारी किए हैं, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ नए जमा स्वीकार करने, सांविधिक जमा की समयपूर्व वापसी तथा नए ऋण एवं अग्रिमों की मंज़ूरी पर रोक लगा दी गई है।

बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2007 तथा 31 मार्च 2008 के अनुसार किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह प्रकट हुआ है कि बैंक की वित्तीय स्थिति में कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है।

31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के अनुसार किए गए सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि बैंक की वित्तीय स्थिति खराब हुई है। यह ह्रास निवल संपत्ति एवं सीआरएआर की दृष्टि से क्रमश : (-) 22.85 लाख और (-) 15.4% आँका गया, सकल एनपीए सकल अग्रिमों का 35.2% रहा और मूल्यांकित हानि 58.32 लाख एवं जमा राशि में गिरावट 11.9% रही है। 23 जून, 2011 को हुई बैठक में टैफकब द्वारा 31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के अनुसार निरीक्षण निष्कर्षों की समीक्षा की गई और निदेशक मंडल का अधिक्रमण, विनिर्देश जारी करने तथा लाईसेंस रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस ज़ारी करने की सिफारिश की गई। तदनुसार 2 अगस्त 2011 के आदेश के माध्यम से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 क के अंतर्गत बैंक पर विनिर्देश जारी किए गए जिसे समय-समय पर बढाया गया। इसके अतिरिक्‍त हमारे 2 अगस्त 2011 के अनुरोध को मानते हुए आरसीएस ने 16 अगस्त 2011 के आदेश के माध्यम से बोर्ड का अधिक्रमण किया और 16 अगस्त 2011 को प्रशासक मंडल की नियुक्ति की।

31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के अनुसार किए गए अद्यतन सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि बैंक की वित्तीय स्थिति अत्यधिक खराब हुई है। चुकता पूँजी एवं आरक्षित निधियों (निवल संपत्ति) के वास्तविक या विनिमय मूल्य 31 मार्च 2010 की स्थिति के अनुसार के (-) 22.85 लाख से घटकर 31 मार्च 2011 की स्थिति के अनुसार (-) 98.40 लाख पर पहुँच गई है, अत: बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11(1) एवं 22(3) का अनुपालन नहीं किया है। बैंक का सीआरएआर 31 मार्च 2010 के (-) 15.4% से घटकर 31 मार्च 2011 को (-) 41.8% तक पहुँच गया है। 31 मार्च 2010 के अनुसार आकलित 67.12 लाख (35.2%) और 54.82 लाख (30.7%) के सकल एवं निवल एनपीए 31 मार्च 2011 के अनुसार बढ़कर 148.92 लाख (99.0%) और 129.13 लाख (93.5%) तक पहुँच गए हैं। 2009-10 के दौरान 58.32 लाख के रूप में निर्धारित हानि 2010-11 के दौरान 129.27 लाख हो गई, जबकि बैंक की मूल्यांकित संचित हानि 31 मार्च 2010 के 68.68 लाख से बढ़कर 31 मार्च 2011 में 133.87 लाख रही। जमा राशि में गिरावट जो 31 मार्च 2010 के अनुसार 11.9% थी वह 31 मार्च 2011 में 52.8% तक पहुँच गई।

बैंक की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 17 मई, 2012 को बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें बैंक से यह स्‍पष्‍ट करने के लिए कहा गया था कि उन्हें बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत 15 दिसंबर, 1997 को बैंकिंग कारोबार करने के लिए जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए और बैंक का परिसमापन क्यों न किया जाए। कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा दिए गए 20 जून 2012 के उत्तर की जांच की गयी लेकिन उत्‍तर संतोषजनक नहीं पाया गया। इसके अलावा बैंक ने विलयन/पुनरुज्जीवन की कोई जीवनक्षम योजना प्रस्तुत नहीं की थी।

बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 11(1), 18, 22(3)(क), 23(3)(ख) तथा 24 का अनुपालन नहीं किया जा रहा है तथा बैंक वर्तमान और भविष्य के जमाकर्ताओं को भुगतान करने की स्थिति में नहीं है। बैंक के कार्यकलाप जमाकर्ताओं के हित के विरुद्ध हो रहे हैं। बैंक की वित्तीय स्थिति के पुनरुज्जीवन की कोई संभावना नहीं है और आगे बैंक को बैंकिंग व्यापार की अनुमति देने से सभी प्रकार से जनहित प्रभावित होंगे। इसलिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया है। लाइसेन्स रद्द किए जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से राजीव गाँधी सहकारी बैंक लि., लातूर, (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अंतर्गत बीमाकृत राशि के भुगतान की प्रक्रिया निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन प्रारंभ की जाएगी।

लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में राजीव गाँधी सहकारी बैंक लि., लातूर, (महाराष्ट्र) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत 'बैंकिंग' के रूप में पारिभाषित कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री एस त्यागराजन, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, नागपुर क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:

डाक पता : शहरी बैंक विभाग, नागपुर क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, अतिरिक्त कार्यालयीन भवन, पूर्व उच्च न्यायालय मार्ग, नागपुर–440001; टेलीफोन नंबर : (0712) 2806829 फैक्स नंबर : (0712) 2552896; ई-मेल.

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/430

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