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रिज़र्व बैंक ने श्री चल्लकेरे अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड,चल्लकेरे(कर्नाटक) का लाइसेन्स रद्द किया

3 अगस्त 2006

रिज़र्व बैंक ने श्री चल्लकेरे अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड,चल्लकेरे(कर्नाटक) का लाइसेन्स रद्द किया

श्री चल्लकेरे अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, चल्लकेरे (कर्नाटक) के अर्थक्षम नहीं रह जाने और कर्नाटक सरकार के परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के चलते जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश 02 अगस्त 2006 को कारोबार की समाप्ति पर जारी किया। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से 1,00,000/- रुपये (एक लाख रुपये) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियां वापस पाने का हकदार होता है।

रिज़र्व बैंक ने 09 दिसंबर 1987 को बैंक को बैंकिंग कारोबार आरंभ करने के लिए लाइसेन्स प्रदान किया था। अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत 30 सितंबर 2003 को बैंक की वित्तीय स्थिति संबंधी सांविधिक निरीक्षण में बैंक के काम करने में अनेक अनियतिजजाएं पाई गईं। इन अनियमितताओं के चलते सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार,कर्नाटक ने 27 अक्तूबर 2003 को निदेशक मंडल का स्थान ले लिया।

अगस्त 2004 के दौरान बैंक की खाता बहियों के निरीक्षण से पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। बैंक के समक्ष चलनिधि संबंधी समस्याएं भी थीं। इसीलिए जमाकर्ताओं के हित में 30 अक्तूबर 2004 से बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत बैंक को निदेशों के अधीन रखा गया और प्रति जमाकर्ता 1000 रुपये की उच्चतम सीमा तक ही जमाराशियां चुकाने के प्र्रतिबंध सहित इसकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया।

31 मार्च 2005 को बैंक की वित्तीय स्थिति के बाद के निरीक्षण से पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति में और क्षरण हुआ है और उसकी पूंजी और प्रारक्षित निधि का वसूली योग्य मूल्य कुल जमाराशियों के 100.00 प्रतिशत क्षरित हो चुका है। अतएव भारतीय रिज़र्व बैंक ने 13 अप्रैल 2006 को बैंक को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया जिसमें उनसे इस बात का कारण बताने के लिए कहा गया कि बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए उन्हें अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत 9 दिसंबर 1987 को जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए। कारण बताओ नोटिस का बैंक द्वारा दिये गये उत्तर की जांच की गई और उसे अस्वीकार्य पाया गया।

उस पत्र में बैंक को विशेष रूप से सूचित किया गया था कि इस पत्र की प्राप्ति से एक माह के भीतर यदि उसका कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो यह माना जाएगा कि इस विषय में बैंक को कुछ नहीं कहना है और भारतीय रिज़र्व बैंक तदनुसार आगे की कार्रवाई करेगा। तथापि, बार-बार स्मरण कराए जाने के बावजूद बैंक से कोई उत्तर नहीं मिला। उपर्युक्त परिस्थितियों में यह अर्थ लगाया गया कि बैंक को उसे जारी की गई कारण बताओ नोटिस के प्रत्युत्तर में कुछ नहीं कहना है।

चूँकि बैंक की चुकता पूँजी और प्रारक्षित निधियां ऋणात्मक हो चुकी थीं और बैंक के पास पुनरुज्जीवन की किसी व्यवहार्य योजना के अभाव में उसके पुनरुज्जीवित होने की बहुत कम गुंजाईश को देखते हुए रिज़र्व बैंक ने इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी विकल्पों को परखने के बाद बैंक जमाकर्ताओं के हित में इस बैंक का लाइसेंस रद्द करने संबंधी पराकोटि का निर्णय लिया। इसका लाइसेंस रद्द करने और समापन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार श्री चल्लकेरे अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) के जमाकर्ताओं की बीमाकृत राशि की अदायगी करने का कार्य शुरू किया जायेगा।

लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में श्री चल्लकेरे अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड,चल्लकेरे(कर्नाटक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में निर्धारित किये अनुसार जमाराशियां स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री सी.आर.जी.नायर, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, बंगलूर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:

डाक पता : 10/3/8, नृपथुंगा रोड, बंगलूर-560001; टेलीफोन नंबर : (080) 22291696; फैक्स नंबर : (080) 22293668 / 22210185; ई-मेल पता: crgnair@rbi.org.in

जाी.रIाुराज

उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/172

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