रिज़र्व बैंक ने द रॉयल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात का लाइसेंस र िकिया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने द रॉयल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात का लाइसेंस र िकिया
8 जून 2005
रिज़र्व बैंक ने द रॉयल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात का लाइसेंस र िकिया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2 जून 2005 को द रॉयल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात को दिया गया लाइसेंस इस तथ्य के चलते र ि कर दिया कि यह दिवालिया हो गया था। लाइसेंस र िकरने का आदेश 7 जून 2005 को बैंक को दे दिया गया था। रजिस्ट्रार ऑफ को-आपरेटिव सोसाइटीज, गुजरात से द रॉयल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत, गुजरात का कारोबार समेटने और उसके लिए एक परिसमापक की नियुक्ति करने के लिए अनुरोध किया गया था। रिज़र्व बैंक ने यह भी कहा है कि बैंक का प्रत्येक जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम द्वारा कवर है और परिसमापन पर 1,00,000 रुपये की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक जमाराशियों की चुकौती का पात्र है। परिसमापक से अपेक्षित है कि वह सभी जमाकर्ताओं के दावे निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम को शीघ्रातिशीघ्र भेजें।
इसके पहले, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किये गये बैंक के निरीक्षण से बैंक के काम करने में गंभीर कमियों का पता चला। यह बैंक नकारात्मक निवल मालियत, नकारात्मक सीआरएआर, भारी अनर्जक आस्तियों तथा जमाराशियों के महत्त्वपूर्ण क्षरण के साथ दिवालिया हो गया था। इसके बाद, अपनी समाशोधन देयताओं को पूरा करने में बैंक की असमर्थता के कारण इसे सूरत बैंकर्स क्लियरिंग हाउस की सदस्यता से भी 6 अक्तूबर 2004 से निलंबित कर दिया गया था। बैंक की कार्यशैली में गंभीर कमियों के मेनिज़र बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 35(क) के अंतर्गत इसे 12 अक्तूबर 2004 के आदेशानुसार निर्देश जारी किये गये थे और बैंक पर नयी देयताएं अपने ऊपर लेने पर रोक लगा दी गयी थी तथा किसी भी जमा खाते से 500 रुपये से ज्यादा जमाराशियां चुकाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। गुजरात को-ऑपरेटिव सोसाइटीज़ एक्ट, 1961 की धारा 115ए के उपबंधों के अनुसार 4 नवंबर 2004 के अनुरोध पत्र के अनुसार रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज, गुजरात से यह अपेक्षित था कि वह बैंक के निदेशक मंडल स्थान ले ले। निर्देश जारी किये जाने के बावजूद बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिति में कोई सुधार नहीं दर्शाया। तत्पश्चात् 30 सितंबर 2004 को इसकी वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक के निरीक्षण से पता चला कि इस बैंक की वित्तीय स्थिति लगातार अस्थिर बनी हुई है। अत:, 8 दिसंबर 2004 को बैंक को एक नोटिस जारी की गयी और उससे कहा गया कि वह इस बात का कारण बताये कि बैंकिंग कारोबार करने के लिए उसे दिया गया लाइसेंस क्यों न र िकर दिया जाए। बैंक ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया। अत: भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस र िकरने का कठोर कदम उठाया।
लाइसेंस र िकिये जाने के अनुसरण में इस बैंक पर पूर्वोक्त अधिनियम की धारा 5(बी) में दी गयी परिभाषानुसार बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगाया गया है जिसमें जमाराशियों का स्वीकार किया जाना और चुकौती भी शामिल है। गुजरात सरकार द्वारा परिसमापन की कार्यवाही प्रारंभ करने के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार बीमा की गयी राशि जमाकर्ताओं को अदा करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
रिज़र्व बैंक ने सूचित किया है कि जमाकर्ता किसी भी प्रकार के स्पष्टीकरण के लिए महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, अहमदाबाद से संपर्क कर सकते हैं जिनका संपर्क पता निम्नानुसार है:
पता |
शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, ला गज्जर चेंबर्स, आश्रम रोड, पोस्ट बॉक्स सं.1, अहमदाबाद-380 009 |
टेलीफोन नंबर |
(079) 2658 ॐ 2360, 3650, 4039, 6019, 7324-25, 7614 और 26589338 |
फैक्स नंबर |
(079) 26584853 |
ई-मेल पता |
पी. वी. सदानंदन
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/1290