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रिज़र्व बैंक ने विदर्भ अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., अकोला, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया

10 मई 2010

रिज़र्व बैंक ने विदर्भ अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., अकोला, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विदर्भ अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., अकोला, (महाराष्ट्र) के अर्थक्षम नहीं रह जाने और महाराष्ट्र सरकार के परामर्श से बैंक को पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होनेवाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 22 अप्रैल 2010 को सुबह 10.15 बजे बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र राज्य से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निपेक्ष बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआइसीजीसी) से सामान्य शर्तो के अधीन 1,00,000 (एक लाख रुपये मात्र) रुपये की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

11 अप्रैल 1998 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग कारोबार करने के लिए बैंक को लाईसेंस प्रदान किया था। 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति खराब है। 13 सितंबर 2006 को बैंक को परिचालनात्मक अनुदेश जारी किए गए। 31 मार्च 2008 की वित्तीय स्थिति के लिए किए गए निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक कि आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गयी है। इसके बाद 31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की स्थिति अत्यधिक खराब हुई है। बैंक की बिगडती स्थिति को ध्यान में रखकर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 क के अंतर्गत बैंक को 12 अक्तूबर 2009 को कारोबार समाप्ति पर निदेशाधीन रखा गया जिससे बैंक के परिचालनों पर प्रतिबंध लगाए गए। भारतीय रिज़र्व बैंक के कहने पर 29 अक्तूबर 2009 के आदेश द्वारा बैंक के निदेशक मंडल का अधिक्रमण किया। बैंक को 17 नवंबर 2009 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें यह कहा गया था कि अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत उन्हें 11अप्रैल 1998 को बैंकिंग कारोबार करने के लिए जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए। कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा भेजा गया 22 जनवरी 2010 का उत्तर संतोषजनक नहीं था। बैंक ने पुनरुज्जीवन के लिए कोई सक्षम कार्य योजना भी प्रस्तुत नहीं की।

बैंक की प्रदत्त पूंजी का वसूली योग्य मूल्य तथा आरक्षित निधि नकारात्मक था तथा पुनरुज्जीवन किए जाने की कोई आशा नहीं थी। सक्षम कार्य योजना के अभाव में बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्तिम उपाय के रूप में लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से विदर्भ अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., अकोला, (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में विदर्भ अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., अकोला, (महाराष्ट्र) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत जमाराशियां स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती एम.यशोदाबाई, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, नागपुर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:

डाक पता : अतिरिक्त कार्यालय भवन, ईस्ट हाईकोर्ट रोड, पो.बा.सं. 118, नागपुर 440001 टेलीफोन नंबर : (0712) 2538696; फैक्स नंबर : (0712) 2552896; ई-मेल

जे.डी.देसाई
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/1514

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