भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विश्वकर्मा नागरी सहकारी बैंक मर्यादित, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया गया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विश्वकर्मा नागरी सहकारी बैंक मर्यादित, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया गया
22 अक्टूबर 2013 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विश्वकर्मा नागरी सहकारी बैंक मर्यादित, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विश्वकर्मा नागरी सहकारी बैंक मर्यादित, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) अर्थक्षम नहीं रह गया है और सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 12 सितंबर 2013 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने के लिए दिनांक 10 सितंबर 2013 के आदेश को उक्त बैंक को 12 सितंबर 2013 को दिया था। सहकारी समिति पंजीयक, महाराष्ट्र राज्य से भी बैंक के परिसमापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के परिसमापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर ₹1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 28 अक्तूबर 1999 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक ने आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखने के संबंध में विभिन्न अवासरों में चूक की है तथा केवाईसी/एएमएल से संबंधित दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है और प्रतिभूति रहित अग्रिमों की मंज़ूरी दी है। साथ ही, आवास क्षेत्र को निर्धारित सीमा से अधिक अग्रिम दिया है। बैंक की प्रबंधन गुणवत्ता संतोषजनक नहीं पाई गई। शहरी सहकारी बैंकों के लिए गठित कार्यदल (टैफकब) की सिफारिशों के अनुसार, 25 नवंबर 2009 के भारतीय रिज़र्व बैंक के पत्र के माध्यम से बैंक को परिचालनगत अनुदेश जारी किए गए। 31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में उक्त अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि बैंक ने जोखिम भारित अस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) के 9 % निर्धारित मानदंड का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया है। सरकारी प्रतिभूतियों में और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों में बैंक का निवेश वर्तमान में निर्धारित निवल मांग और मीयादी देयताओं(एनडीटीएल) का 15% से कम था। बैंक ने केवाईसी/ एएमएल से संबंधित दिशानिर्देश और व्यक्ति/ समूह उधारकर्ताओं के लिए विनिर्दिष्ट एक्सपोज़र सीमा को पार किया है तथा प्रतिभूति रहित अग्रिमों के लिए मंज़ूरी दी है। बैंक की प्रणाली व नियंत्रण और प्रबंधन की गुणवत्ता संतोषजनक पाई नहीं गई। 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में उक्त अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि बैंक की निवल मालियत में काफी गिरावट हुई और वह 31 मार्च 2010 की स्थिति के अनुसार ₹ 5.46 लाख थी और 31 मार्च 2011 तक वह घटकर (-) ₹ 52.69 लाख हो गई। सीआरएआर में भी गिरावट दर्ज की गई और वह 31 मार्च 2010 के अनुसार 1.3% पर रहा और 31 मार्च 2011 तक वह गिरकर (-)9.4% पर पहुंच गया था। 31 मार्च 2010 के अनुसार सकल और निवल अग्रिम क्रमश: 51.8% और 48.7% पर रहे और 31 मार्च 2011 तक ये क्रमश: बढ़कर 52.8% और 50.0% पर दर्ज हुए। बैंक की निवल हानि 31 मार्च 2011 के अनुसार बढ़़कर ₹ 98.18 लाख पर पहुँच गई जबकि 31 मार्च 2010 में बैंक ने ₹ 54.30 लाख की हानि दर्ज की थी। परिणामस्वरूप, बैंक की जमाराशि में 6.5% तक का ह्रास हुआ। समीक्षाधीन अवधि के दौरान बैंक ने एसएलआर बनाए रखने में चूक की है और नियमित सदस्यों की तुलना में नॉमिनल सदस्यों की निर्धारित 20% की सीमा को पार किया है। आंतरिक नियंत्रण संबंधी प्रबंधकीय कमियां पाई गईं और संदिग्ध लेनदेनों की निगरानी के लिए और उन्हें सीटीआर/ एसटीआर एफआईयू-आईएनडी, नई दिल्ली रिपोर्ट करने की कोई प्रणाली नहीं थी। बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक के 15 फरवरी 2011 और 13 अक्तूबर 2012 के पत्रों के ज़रिए परिचालनगत अनुदेश जारी किए गए। 31 मार्च 2012 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि बैंक की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो चुकी है। बैंक की निवल मालियत 31 मार्च 2011 के अनुसार ₹ (-)52.69 लाख से गिरकर 31 मार्च 2012 तक ₹ (-)171.67 लाख हो गई, जबकि सीआरएआर 31 मार्च 2011 के अनुसार के (-)9.4% से घटकर 31 मार्च 2012 तक (-)36.3% पर पहुँच गया। 31 मार्च 2011 के अनुसार सकल व निवल एनपीए 52.8% और 50.0% से बढ़कर 31 मार्च 2012 तक सकल और निवल अग्रिमों के क्रमश: 56.4% और 54.2% पर पहुँच गए, जिसके फलस्वरूप निवल हानि 31 मार्च 2011 के (-) ₹ 98.18 लाख से 31 मार्च 2012 तक ₹ 197.79 लाख तक पहूंच गई। बैंक में जमा राशि का ह्रास 31 मार्च 2011 के 6.5% से बढ़कर 31 मार्च 2012 तक 24.2% पर पहुँच गया। बैंक ने समीक्षाधीन अवधि के दौरान 122 अवसरों पर सीआरआर और एसएलआर बनाए रखने से चूक की है और ₹ 0.30 लाख दंडस्वरूप ब्याज के रूप में अदा किए थे। बैंक ने अपने मांग और मीयादी देयाताओं की सही गणना नहीं की और उक्त बैंक महाराट्र राज्य के सहकारी बैंक (एमएससीबी) से मीयादी जमा राशि (एफडीआर) (जिसमें सांविधिक रिजर्व के लिए पात्र एफडीआर भी शामिल हैं) की जमानत पर राशि लेकर उधार दिया था। बैंक ने 20 मामलों में ₹ 1 लाख से अधिक ऋण व अग्रिमों की मंज़ूरी देते हुए 13 अक्तूबर 2011 में जारी किए गए परिचालनगत अनुदेशों का भी उल्लंघन किया था। 24.2% का जमाह्रास देखते हुए टैफकब की सिफारिशों के अनुसार अधिनियम की धारा 35 ए के अंतर्गत 10 सितंबर 2012 के निदेश शबैंवि.केंका.बीएसडी-।। सं. डी-07/12.22.781/2012-13 के माध्यम से बैंक के लिए निदेश जारी किए गए। टैफकब की सिफारिशों के अनुसार, 16 जनवरी 2013 की स्थिति के अनुसार, बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में एक विशेष संवीक्षा का आयोजन किया गया जिससे यह पता चला कि बैंक की वित्तीय मानदंडों में और गिरावट हुई है; जैसे 30.5% का जमा ह्रास, सकल और निवल एनपीए में क्रमश: 76.2 और 74.7 % की बढ़ोतरी और ₹ 204.34 लाख की निवल हानि। विशेष संवीक्षा से यह भी पाया गया कि कुछ जमाकर्ताओं को निर्धारित सीमा से अधिक राशि देना, समझौते के आधार पर ऋण खातों को बंद किया जाना और जमा खातों को अलग करना, कुल आस्तियों की तुलना में अरक्षित अग्रिम के लिए बैंक का एक्सपोजर 12.3% है जो निर्धारित सीमा 10% से अधिक है, पूरे साल में लगातार सीआरआर और एसएलआर में चूक और उसके लिए दंड स्वरूप ब्याज का भुगतान आदि के माध्यम से बैंक ने अधिनियम की धारा 35ए के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। सरकारी प्रतिभूतियों में बैंक का निवेश बैंक के एनडीटीएल का सिर्फ 10.4% है, लेकिन सांविधिक जरूरत के अनुसार एनडीटीएल का 25% सरकारी प्रतिभूतियों में होना अनिवार्य है। बैंक की चलनिधि की स्थिति में गिरावट भी जारी रही। उक्त अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत बैंक को दिनांक 23 अप्रैल 2013 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इस संबंध में बैंक द्वारा 4 मई 2013 को दिया गया उत्तर का अवलोकन किया गया परंतु संतोषजनक नहीं पाया गया। संकटपूर्ण वित्तीय स्थिति के परिप्रेक्ष्य में उसका पुनरुज्जीवन संभव नहीं था और इस तरह कारोबार जारी रहने से वह जनसाधारण के हित में नहीं होगा। उपर्युक्त के मद्देनज़र, भारतीय रिज़र्व बैंक ने जर्माकर्ताओं के हित में बैंक के लाइसेंस को रद्द किया है, लाइसेन्स रद्द किये जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से विश्वकर्मा नागरी सहकारी बैंक मर्यादित, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजी अधिनियम 1961 के अनुसार निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन बीमाकृत की गई जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप विश्वकर्मा नागरी सहकारी बैंक मर्यादित, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के अंतर्गत की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता, श्री अभिजीत मजुमदार, महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, नागपुर से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क करने का विवरण नीचे दिया गया है: डाक पता: भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, अतिरिक्त कार्यालय भवन, ईस्ट हाई कोर्ट रोड, नागपुर-440 001; टेलीफोन सं. : (0712) 2806838; फैक्स सं. : (0712) 2552896; ई-मेल. अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/828 |