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भारतीय रिज़र्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई ने (i) सीमापारीय लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु एक रूपरेखा तैयार करने और (ii) अपने भुगतान और मैसेजिंग प्रणाली की आपसी सहबद्धता हेतु सहयोग के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए

15 जुलाई 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई ने (i) सीमापारीय लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को
बढ़ावा देने हेतु एक रूपरेखा तैयार करने और (ii) अपने भुगतान और मैसेजिंग प्रणाली की आपसी
सहबद्धता हेतु सहयोग के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई (सीबीयूएई) ने आज आबू धाबी में (i) सीमापारीय लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं अर्थात्, भारतीय रुपया (आईएनआर) और संयुक्त अरब अमीरात दिरहम (एईडी) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने; और (ii) अपने भुगतान और मैसेजिंग प्रणाली की आपसी सहबद्धता हेतु सहयोग के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापनों पर भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकान्त दास और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई के गवर्नर एच.ई. खालिद मोहम्मद बलामा द्वारा हस्ताक्षर किए गए। भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की गरिमामय उपस्थिति में, दोनों गवर्नरों के बीच समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया।

2. भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग हेतु एक रूपरेखा तैयार करने संबंधी समझौता ज्ञापन का उद्देश्य द्विपक्षीय रूप से आईएनआर और एईडी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (एलसीएसएस) स्थापित करना है। एमओयू सभी चालू खाता लेनदेन और अनुमत पूंजी खाता लेनदेन को शामिल करता है। एलसीएसएस के निर्माण से निर्यातक और आयातक अपनी संबंधित घरेलू मुद्राओं में चालान तैयार करने और भुगतान करने में सक्षम होंगे, जो बदले में आईएनआर-एईडी विदेशी मुद्रा बाजार के विकास को सक्षम करेगा। इस व्यवस्था से दोनों देशों के बीच निवेश और विप्रेषण को भी बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय मुद्राओं का उपयोग लेनदेन लागत और लेनदेन के निपटान समय को अनुकूलित करेगा, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले भारतीयों से विप्रेषण भी शामिल है।

3. ‘भुगतान और मैसेजिंग प्रणाली’ संबंधी एमओयू के अंतर्गत, दोनों केंद्रीय बैंक (ए) अपने त्वरित भुगतान प्रणाली (एफपीएस) - भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को यूएई के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म (आईपीपी) की सहबद्धता; (बी) संबंधित कार्ड स्विच (रुपे स्विच और यूएईस्विच) की सहबद्धता; और (सी) संयुक्त अरब अमीरात में मैसेजिंग सिस्टम के साथ भारत के भुगतान मैसेजिंग सिस्टम अर्थात् स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम (एसएफएमएस) की सहबद्धता का पता लगाने हेतु सहयोग करने के लिए सहमत हुए।

4. यूपीआई-आईपीपी सहबद्धता, दोनों देशों के उपयोगकर्ताओं को तीव्र, सुविधाजनक, सुरक्षित और किफ़ायती सीमापारीय धन अंतरण करने में सक्षम बनाएगा। कार्ड स्विचों की सहबद्धता से घरेलू कार्डों की पारस्परिक स्वीकृति और कार्ड लेनदेन के प्रसंस्करण में सुविधा होगी। मैसेजिंग सिस्टम की सहबद्धता का उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वित्तीय मैसेजिंग को सुविधाजनक बनाना है।

5. दोनों समझौता ज्ञापनों का उद्देश्य निर्बाध सीमापारीय लेनदेन और भुगतान की सुविधा प्रदान करना तथा दोनों देशों के बीच सुदृढ़ आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/604

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