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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि मिर्जापुर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) का लाइसेंस रद्द किया गया

25 सितंबर 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि मिर्जापुर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)
का लाइसेंस रद्द किया गया

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि मिर्जापुर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) अर्थक्षम नहीं रह गया है, उसे पुनरूज्‍जीवित करने के सभी प्रयास विफल हुए हैं और सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 11 सितंबर 2014 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने के लिए आदेश दिया था। सहकारी समितियों के पंजीयक, उत्तर प्रदेश से भी बैंक के परिसमापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के परिसमापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 9 फरवरी 1990 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू)(इसके बाद से अधिनियम) की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2013 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से अन्‍य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक की चुकता पूंजी और आरक्षित निधियों का असली या विनिमय योग्‍य मूल्‍य (–)325.39 लाख रहा जबकि जमा राशियों का 27.03% तक ह्रास हो चुका था। दिनांक 31 मार्च 2013 को बैंक का सीआरएआर 9% की विनियामकीय अपेक्षा की तुलना में (-) 169.8% पाया गया। दिनांक 31 मार्च 2013 को संचित हानि 217.09 लाख दर्ज की गई तथा सकल अनर्जक आस्तियां और निवल अनर्जक आस्तियां क्रमश: 421.67 लाख (जोकि सकल ऋणों और अग्रिमों का 84.64% है) और 256.37 लाख (जो निवल अग्रिमों का 77.01% है) पाई गईं। वर्ष 2012-2013 के दौरान बैंक की निवल हानि 334.27 लाख आंकी गई़। बैंक की अनर्जक आस्तियों की बड़ी राशि, संचित हानि, बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए वसूली के कम अवसर को देखते हुए निकट भविष्‍य में बैंक के पुनरूज्‍जीवन की संभावनाएं निराशाजनक पाई गई।

31 मार्च 2009 के संदर्भ में किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण में पाया गया कि बैंक ने आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरएआर) की न्‍यूनतम विनियामक अपेक्षा 9 प्रतिशत को बनाए रखने में चूक की जो 3.83 प्रतिशत रहा। बैंक ने कई मामलों में आरक्षित अग्रिमों के एकल उधारकर्ताओं की निर्धारित विनियामक सीमाओं का उल्‍लंघन किया। सकल और निवल एनपीए काफी अधिक अर्थात क्रमश: 54.14 प्रतिशत और 48.74 प्रतिशत रहे। बैंक ने आईआरएसी और केवाईसी मानदंडों का अनुपालन नहीं किया। शहरी सहकारी बैंकों के लिए गठित कार्यदल (टैफकब) की सिफ़ारिशों के अनुसार बैंक को सूचित किया गया कि वह पुनरूज्‍जीवन और वसूली के लिए उठाए जाने वाले कदमों की कार्य योजना 6 सप्‍ताहों में प्रस्‍तुत करें। 31 मार्च 2009 से 31 मार्च 2012 की वित्तीय स्थितियों के संबंध में किए गए निरीक्षणों से पता चला कि बैंक के वित्तीय संकेतकों में अवनति बनी रही। बैंक को 14 दिसंबर 2011 को टैफकब सिफारिशों के अनुसार परिचालनात्‍मक अनुदेश जारी किए गए और निदेशक मंडल द्वारा विधिवत अनुमोदित पुनरूज्‍जीवन के लिए कार्य योजना प्रस्‍तुत करने के लिए सूचित किया गया। बैंक प्रबंधन को यह भी सूचित किया गया कि अगर बैंक के लिए उपर उल्लिखित विशिष्‍ट अवधि में अर्थक्षमता मानदंडों को प्राप्‍त करना संभव नहीं हो, तो वह किसी अर्थक्षम सहकारी बैंक में बैंक के विलयन की संभावना का विचार करें अथवा सदस्‍येतरों को जमाराशियां लौटाकर बैंक को सोसाईटी में परिवर्तित कर दें। 17वी टैफकब बैठक की सिफारिशों पर विचार करते हुए बैंक को 27 नवंबर 2012 को अतिरिक्‍त परिचालनात्‍मक अनुदेश जारी किए गए कि अन्‍य बातों के साथ-साथ 26 नवंबर 2012 को अग्रिम और जमाओं के स्‍तर से अधिक अपने कुल अग्रिम और जमाराशियां न बढ़ने दें। इन अनुदेशों द्वारा बैंक को मीयादी जमाओं के अवधि पूर्व आहरण नए उच्‍च जोखिम भारित एक्‍सपोजर लेने, नए अरक्षित ऋण मंजूर करने की अनुमति देने के लिए प्रतिबद्धित किया गया और बैंक को कम जोखिम भारवाली आस्तियों में निवेश करने एवं अपनी पूंजी में वृद्धि करने के लिए सूचित किया गया।

31 मार्च 2013 को जमाओं में कमी 27.03 प्रतिशत तक पहुंच गई। इसे देखते हुए बैंक को बीआर अधिनियम की धारा 35ए के अधीन सर्वसमावेशी निदेश जारी किए गए तथा ये निदेश 11 सितंबर 2014 तक बढ़ाए गए।

उपर्युक्त गंभीर अनियमितताओं से यह पता चला कि बैंक का कारोबार जमाकर्ताओं के हित में नहीं था। बैंक ने अधिनियम की धारा 11(1), 18, 22(3)(ए), 22(3)(बी) तथा 31 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया। अत: भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को 13 फरवरी 2014 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें यह कहा गया था कि अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत उन्हें बैंकिंग कारोबार करने के लिए 9 फरवरी 1990 को जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए तथा बैंक का समापन क्यों न किया जाए। 28 मार्च 2014 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी। कारण बताओ नोटिस के संदर्भ में दिया गया बैंक का उत्‍तर संतोषजनक नहीं रहा साथ ही उस पत्र में बैंक के संचालन के संबंध में पुनुरुज्‍जीवन/सुधार के लिए कोई ठोस प्रस्‍ताव का उल्‍लेख नहीं था। जून 2014 में बैंक के विलयन के लिए प्रस्‍ताव प्राप्‍त हुआ लेकिन विनियामक अपेक्षाओं की पूर्ति करने में सक्षम न होने के कारण उसे अर्थक्षम नहीं पाया गया।

अत: उपर्युक्‍त के मद्देनज़र, भारतीय रिज़र्व बैंक ने जर्माकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक के लाइसेंस को रद्द किया है। लाइसेन्स रद्द किये जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से दि मिर्जापुर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम के अनुसार निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन बीमाकृत की गई जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप दि मिर्जापुर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) को अधिनियम की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता, श्री पी. गंगटे, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, लखनऊ से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क करने के ब्‍यौरे निम्‍ननुसार है:

डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, 8-9 विपिन खंड, गोमती नगर, लखनऊ-226010  टेलीफोन सं. : 0522 2304878, फैक्स सं. :   0522 2307973; ई-मेल  

अजीत प्रसाद
सहायकमहाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/639

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