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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुवनेश्वर का लाइसेंस रद्द किया

10 मार्च 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुवनेश्वर का लाइसेंस रद्द किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 22(4) के अंतर्गत बैंकिंग कारोबार के लिए दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुवनेश्वर को 7 सितंबर 1987 कोलाइसेंस प्रदान किया था।

दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुवनेश्वर, ओडिशा अर्थक्षम नहीं रह गया है और इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो गए हैं। सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 17 फरवरी 2014 को बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। पंजीयक, सहकारी समिति, ओडिशा सरकार से भी बैंक के परिसमापन और परिसमापक नियुक्त करने के लिए आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। बैंक के परिसमापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर 1,00,000/- (एक लाख रुपए मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार है।

अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2003 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आयोजित सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि बैंक की वित्तीय स्थिति बदतर हो गई है अर्थात बैंक की निवल संपत्ति (–)310.90 लाख रुपए, पूंजी और जोखिम भारित आस्तियों का अनुपात (सीआरएआर) (–) 8.1% और बैंक की सकल और निवल अनर्जक आस्तियां (एनपीए) क्रमश:(–)39.4% और 31.9% आकलित की गईं। बैंक ने अपने निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को 14 खातों के माध्यम से ऋण स्वीकृत किए जिनमें से केवल एक खाते को छोड़कर अन्य सभी खाते अनर्जक आस्ति बन गए। उपर्युक्त को देखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35(ए) के अंतर्गत बैंक पर 13 जनवरी 2014 को कारोबार की समाप्ति से निदेश लागू किए गए जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ प्रत्येक जमा खाते से 1000/- से अधिक राशि आहरित नहीं करने का प्रतिबंध लगाया गया। 14 मार्च 2006 के पत्र द्वारा बैंक को संशोधित निदेश भी जारी किए गए जिनमें जमा और चालू खातों अथवा अन्य किसी खातों में नई जमाराशियां स्वीकृत नहीं करने पर प्रतिबंध लगाया गया । बैंक की चलनिधि स्थिति की समीक्षा करने के बाद निदेशों को पुन: संशोधित किया गया और 20 जून 2007 के निदेश द्वारा आहरण की सीमा 1000/- से बढ़ाकर 3000/- कर दी गई।

31 मार्च 2008 को बैंक की बदतर होती जा रही वित्तीय स्थिति और अनियमितताओं के जारी रहने को ध्यान में रखते हुए बैंक को 11 दिसंबर 2008 को लाइसेंस रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया। कारण बताओ नोटिस पर बैंक का 13 जनवरी 2009 का उत्तर संतोषजनक नहीं पाया गया। बैंक द्वारा 15 जनवरी 2009 को प्रस्तुत बहाली योजना को भी संतोषजनक नहीं पाया गया। बैंक को ओडिशा के अंदर अथवा बाहर की अन्य किसी मजबूत शहरी सहकारी बैंक से विलयन की संभावनाओं का पता करने के लिए समय दिया गया। तथापि, बैंक कोई व्यवहार्य विलयन प्रस्ताव प्रस्तुत करने में असफल रहा। 31 मार्च 2009, 2010 और 2011 को किए गए सांविधिक निरीक्षणों में भी सुधार का कोई संकेत नहीं मिला और बैंक उक्त अधिनियम की धारा 11(1) और 22 (3) (ए) के प्रावधानों के उल्लंघन में कार्य करता रहा।

31 मार्च 2011 को इसकी वित्तीय स्थिति की समीक्षा के बाद बैंक को 6 सितंबर 2011 को लाइसेंस रद्द करने के लिए एक नया कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया। बैंक द्वारा कारण बताओ नोटिस (एससीएन) का उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया और विलयन प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा गया।

इसी बीच 31 मार्च 2012 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संबंध में सांविधिक निरीक्षण किया गया। जनवरी 2013 में अधिग्राहक बैंक द्वारा पीछे हटने के कारण प्रस्तावित विलयन संभव नहीं हुआ। 31 मार्च 2012 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर टीएएफसीयूबी की सिफारिशों के अनुसार लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया पुन: शुरू की गई और तदनुसार 31 मई 2013 को बैंक को एक नया कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया।

31 मई 2013 को बैंक को जारी किए गए नए कारण बताओ नोटिस (एससीएन) के उत्तर में बैंक ने कहा कि वह एकबारगी निपटान (ओटीएस) योजना के सफल कार्यान्वयन और राज्य सरकार द्वारा 10.00 करोड की शेयर पूंजी डाली जाने पर जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा कोई वचन नहीं दिया गया, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की विभिन्न धाराओं अर्थात धारा 11, 22(3) का अनुपालन करेगा। बैंक ने इस बात पर जोर डाला कि ओटीएस/सरफेसी अधिनियम लागू करके वह 31 मार्च 2014 तक 1130.52 लाख का संग्रह करेगा। वसूली संबंधी बैंक के पिछले खराब रिकॉर्ड को देखते हुए बैंक द्वारा रखा गया लक्ष्य यथार्थ नहीं पाया गया। बैंक ने अपने उत्तर में यह भी बताया कि एक सोसाइटी ने भी उनके बैंक के प्रबंधन का कार्यभार संभालने की इच्छा व्यक्त की है। इस प्रस्ताव की जांच की गई किंतु बैंककारी विनियमन अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के कारण उसे स्वीकार्य नहीं पाया गया।

बैंक को चार अवसरों पर अर्थात 3 जुलाई 2004, 11 दिसंबर 2008, 6 सितंबर 2011 और 31 मई 2013 को लाइसेंस रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया। यद्यपि बैंक को पर्याप्त से अधिक समय दिया गया किंतु बैंक व्यवहार्य विलयन प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं कर पाया, साथ ही बैंक का जमा-ह्रास 50.96% के संकटपूर्ण स्तर तक बढ़ गया।

उपर्युक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों से देखा गया कि :

  1. बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 11(1) और 18 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया।

  2. बैंक अपने वर्तमान और भावी जमाकर्ताओं को पूरी राशि अदा करने की स्थिति में नहीं है और बैंक का कार्य वर्तमान और भावी जमाकर्ताओं के हित के विपरीत किया जा रहा है और बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 22(3) (ए) and 22(3) (बी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया।

  3. बैंक की वित्तीय स्थिति की बहाली में कोई गुंजाइश नहीं है।

  4. यदि बैंक को आगे कारोबार के लिए अनुमति दी जाती है तो उससे जनहित पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

  5. बैंक द्वारा पूंजी संवर्धन और वित्तीय पुनर्निर्माण के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं और उसके पास बहाली की कोई ठोस/व्यवहार्य योजना नहीं है। अन्य किसी सक्षम बैंक से विलयन का कोई प्रस्ताव भी अपेक्षित नहीं है।

उपर्युक्त को देखते हुए बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए प्रदत्त लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए। तदनुसार, दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुवनेश्वर, ओडिशा को भारत में बैंकिंग कारोबार करने के लिए अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत 7 सितंबर 1987 को प्रदत्त लाइसेंस रद्द किया गया है। लाइसेंस रद्द किए जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुवनेश्वर, ओडिशा के जमाकर्ताओं के भुगतान की प्रक्रिया निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन प्रारंभ की जाएगी।

लाइसेंस रद्द करने के परिणामस्वरूप दि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुवनेश्वर, ओडिशा पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत परिभाषित 'बैंकिंग' कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, इसमें जमाराशियां स्वीकृत करने एवं उनका भुगतान करना भी शामिल है।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता, श्री पी.एस.वेंकटेश्वरन, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, भुवनेश्वर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्योरा निम्नानुसार है:

उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, पंडित जवाहरलाल नेहरू मार्ग, भारतीय रिजर्व बैंक, पो.बॉक्स संख्या 16 और 17 भुवनेश्वर-751001. दूरभाष/ फैक्स संख्या: 06742394226, ई-मेल

समृद्धी चौधरी
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1787

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