भारतीय रिजर्व बैंक ने नाबार्ड और एनएचबी में अपनी हिस्सेदारी वापस ली - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिजर्व बैंक ने नाबार्ड और एनएचबी में अपनी हिस्सेदारी वापस ली
24 अप्रैल 2019 भारतीय रिजर्व बैंक ने नाबार्ड और एनएचबी में अपनी हिस्सेदारी वापस ली रिज़र्व बैंक ने नाबार्ड और एनएचबी में 26 फरवरी 2019 और 19 मार्च 2019 को क्रमशः ₹ 20 करोड़ (बीस करोड़) और ₹1450 करोड़ (एक हज़ार चार सौ पचास करोड़) की अपनी पूरी हिस्सेदारी वापस ले ली है। इसके साथ, अब दोनों वित्तीय संस्थानों में भारत सरकार की हिस्सेदारी 100% हो गई है। नरसिंहम समिति II और विकासात्मक वित्तीय संस्थानों और बैंकों की भूमिका और परिचालन में सामंजस्य पर रिज़र्व बैंक द्वारा तैयार किए गए चर्चा पत्र के आधार पर रिज़र्व बैंक ने नाबार्ड और एनएचबी में अपनी हिस्सेदारी वापस ली है। अनुशंसा के आधार पर, रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2001-02 के लिए मौद्रिक और ऋण नीति में केंद्र सरकार को एसबीआई, एनएचबी और नाबार्ड में अपने शेयरों के स्वामित्व को अंतरित करने के प्रस्ताव की घोषणा की थी । नाबार्ड में रिज़र्व बैंक की हिस्सेदारी को दो चरणों में वापस लिया गया था। नाबार्ड के शेयरों में रिज़र्व बैंक की हिस्सेदारी 72.5 प्रतिशत अर्थात 1450 करोड़ थी, जिसमें से 1430 करोड़ अर्थात 71.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी को 16 सितंबर 2010 की भारत सरकार की अधिसूचना के आधार पर अक्टूबर 2010 में वापस लिया गया । बाकी हिस्सेदारी को 26 फरवरी 2019 को वापस लिया गया । एनएचबी में रिज़र्व बैंक की 100% हिस्सेदारी थी जिसे 19 मार्च 2019 को वापस लिया गया । दोनों वित्तीय संस्थानों की पूंजी संरचना में वर्तमान परिवर्तन को भारत सरकार द्वारा नाबार्ड अधिनियम, 1981 और एनएचबी अधिनियम, 1987 में संशोधन के माध्यम से लाया गया, जिसे क्रमशः 19 जनवरी 2018 और 29 मार्च 2018 को राजपत्र अधिसूचना द्वारा अधिसूचित किया गया । योगेश दयाल प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/2528 |