भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय समावेशन सूचकांक की शुरुआत की - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय समावेशन सूचकांक की शुरुआत की
17 अगस्त 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय समावेशन सूचकांक की शुरुआत की 07 अप्रैल 2021 को 2021-2022 हेतु पहले द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में किए गए घोषणा के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने देश भर में वित्तीय समावेशन की सीमा को मापने के लिए एक सम्मिश्र वित्तीय समावेशन सूचकांक (एफआई-सूचकांक) का निर्माण किया है। इस एफआई-सूचकांक को सरकार और संबंधित क्षेत्र के विनियामकों के परामर्श से बनाया गया है, जिसमे बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक के साथ-साथ पेंशन क्षेत्र के विवरण को शामिल करते हुए एक व्यापक सूचकांक के रूप में संकल्पित किया गया है। यह सूचकांक 0 और 100 के बीच की एकल संख्या में वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्राप्त करता है, जहां 0 पूर्ण वित्तीय अपवर्जन का प्रतिनिधित्व करता है वहीं 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है। एफआई-सूचकांक में तीन व्यापक पैरामीटर (भार कोष्ठक में दर्शाए गए हैं) अर्थात्त, पहुंच (35%), उपयोग (45%) और गुणवत्ता (20%) शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में विभिन्न आयाम शामिल हैं, जिसकी गणना कुछ संकेतकों के आधार पर की जाती है। यह सूचकांक सेवाओं की पहुंच, उपलब्धता एवं उपयोग तथा सेवाओं की गुणवत्ता में आसानी के लिए अनुक्रियाशील है, जिसमे सभी 97 संकेतक शामिल हैं। इस सूचकांक की एक अनूठी विशेषता गुणवत्ता पैरामीटर है जो वित्तीय समावेशन के गुणवत्ता पहलू, जैसा कि वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता संरक्षण, और सेवाओं में असमानताओं और कमियों द्वारा परिलक्षित है, से संबंधित जानकारी एकत्र करता है। इस एफआई-सूचकांक का निर्माण बिना किसी 'आधार वर्ष' के किया गया है और इस तरह यह वित्तीय समावेशन की दिशा में वर्षों से सभी हितधारकों के संचयी प्रयासों को दर्शाता है। मार्च 2021 को समाप्त अवधि के लिए वार्षिक एफआई-सूचकांक 53.9 है, जबकि मार्च 2017 को समाप्त अवधि के लिए यह 43.4 था। एफआई-सूचकांक को वार्षिक आधार पर प्रति वर्ष जुलाई में प्रकाशित किया जाएगा। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/703 |