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भारतीय रिज़र्व बैंक ने कर्नाटक राज्य कैगारिका वाणिज्य सहकार बैंक नियमित, बंगलूरु (कर्नाटक) द्वारा लाइसेंस प्रदान करने के संबंध में किया गया आवेदन नामंजूर किया

23 अप्रैल 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक ने कर्नाटक राज्य कैगारिका वाणिज्य सहकार बैंक नियमित, बंगलूरु (कर्नाटक)
द्वारा लाइसेंस प्रदान करने के संबंध में किया गया आवेदन नामंजूर किया

भारतीय रिज़र्व बैंक (द बैंक) ने इस बात की पुष्टि के बाद कि कर्नाटक राज्य कैगारिक वाणिज्य सहकार बैंक नियमित, बंगलूरु (कर्नाटक) द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) [अधिनियम] की धारा 22(3) के अंतर्गत अपेक्षित शर्तों को पूरा नहीं किया गया है, उक्त अधिनियम की धारा 22(4) के अंतर्गत बैंकिंग कारोबार के लिए लाइसेंस प्रदान करने के लिए उक्त बैंक द्वारा किया गया 23 मई 1966 का आवेदन अस्वीकृत करने संबंधी आदेश जारी किया। यह आदेश 25 मार्च 2014 को कारोबार की समाप्ति से लागू हो गया जिससे बैंक तत्काल प्रभाव से उक्त अधिनियम की धारा 5(ख) के अर्थ में ‘बैंकिंग’ कारोबार बंद करने के लिए बाध्य हो गया। पंजीयक, सहकारी समिति, कर्नाटक सरकार से भी बैंक के परिसमापन और परिसमापक नियुक्त करने के लिए आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह भी उल्लेख किया जाए कि बैंक के परिसमापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर 1,00,000/- (एक लाख रुपए मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार है।

वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) द्वारा 12 अगस्त 2009 को आयोजित अपनी 171 वीं बैठक में यह निदेश दिए गए थे कि 31 मार्च 2010 को एक-बारगी उपाय के रुप में सीमित उद्देश्य से और सीमित अवधि के लिए जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी का अनुपात (सीआरएआर) 9% नियामक अपेक्षाओं की तुलना में न्यूनतम 2% निर्धारित किया गया था। तथापि, बैंकिंग लाइसेंस प्रदान करने के आवेदन पत्र का विचार करने हेतु आवश्यक न्यूनतम 2% का सीआरएआर प्राप्त करने में बैंक सफल नहीं हुआ। यह स्थिति राज्य सरकार की जानकारी में लाई गई और शहरी सहकारी बैंको के लिए कार्य बल (टीएएफसीयूबी) के माध्यम से रिज़र्व बैंक की चिंता विविघ स्टेकधारकों की सूचना में लाई गई।

अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2010 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आयोजित सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि बैंक की निवल संपत्ति (-) 2212.25 लाख रहीं और 9% की विनियामक अपेक्षाओं की तुलना में पूंजी और जोखिम भारित आस्तियों का अनुपात (सीआरएआर) (-5) 5.3% रहा। बैंक की जमाराशियों में 8.7% गिरावट हुई है तथा चुकता पूंजी और प्रारक्षित निधियों में 100% गिरावट आई है।

31 मार्च 2011 को बैंक की वित्तीय स्थिति की तुलना से पता चला कि सीआरएआर (-) 9.2% रहा ओर निवल आस्तियां (-)2956.86 लाख रही। बैंक की सकल अनर्जक आस्तियां 2017.98 लाख रहीं जो कि उसके कुल अग्रिमों के 15.2% थी। बैंक वित्तीय आसूचना इकाई-भारत को सीटीआर/एसटीआर प्रस्तुत नहीं कर रही थी और केवाईसी दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन भी नहीं कर रही थी। विभिन्न शाखाओं में धोखाधड़ी की रिपोर्ट की गई थी। 10 नवंबर 2011 को आयोजित टीएएफसीयूबी की 55 वीं बैंठक में बैंक की वित्तीय स्थिति की समीक्षा की गई। व्यवसाय की कायापलट करने और अपनी मुख्य परिसंपत्तियां बेचकर न्यूनतम सीआरएआर प्राप्त करने के बैंक के आश्वासन को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि 31 मार्च 2012 तक की समयावधि आबंटित की जाए।

31 मार्च 2012 की वित्तीय स्थिति में कोई सुधार नहीं देखा गया। बैंक का सीआरएआर (-)3.4% और निवल संपत्ति (-) 2603.16 लाख निर्धारित की गई। आस्तियों के पुनर्मुल्यन के कारण सीआरएआर में सुधार हुआ किंतु बैंक लाइसेस जारी करने के लिए पात्र बनने के लिए अपेक्षित सीआरएआर प्राप्त न कर सकी। बैंक की निवल अनर्जक आस्तियां 12.6% रही। अरक्षित ऋण मंजूर करके बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी परिचालनात्मक अनुदेशों का उल्लंघन किया। बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति लिए बगैर सात साल से अधिक अवधि के लिए अपना परिसर किराए पर देकर और गैर-बैंकिंग आस्तियां स्वीकृत करके बैंककारी अधिनियम की धारा 6 और 9 का उल्लंघन किया है।पर्यवेक्षी कार्रवाई योजना (एसएएफ) के अंतर्गत बैंक को 19 अक्तूबर 2012 के पत्र द्वारा विशिष्ट तारीख को जमाओं के स्तर से अधिक कुल जमाओं में वृद्धि करने के लिए प्रतिबंधित करने सहित परिचालनात्मक अनुदेश जारी किए गए। टीएएफसीयूबी की बैंठक में सहकारी समिति पंजीयक (आरसीएम) ने आश्वासित किया कि पूंजी बढ़ाने की सभी संभावनाओं जैसेकि राज्य सरकार द्वारा पूंजी का लगाया जाना, अचल आस्तियों की बिक्री, जमाओं का शेयरों में रुंपातरण आदि का अन्वेषण किया जाए। बैंक को पुन: सूचित किया गया कि 31 मार्च 2013 की समाप्ति तक सीआरएआर को न्यूनतम रखने की दिशा में प्रगति पर पूरा ध्यान केंद्रीत किया जाए।

31 मार्च 2013 की बैंक की वित्तीय स्थिति के संबंध में आयोजित सांविधिक निरीक्षण से यह पत्ता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति और भी बदतर हो गई है जो कि सीआरएआर (-) 3.3%, निवल संपत्ति (-) 2813.47 लाख और जमाओं में 8.8% की गिरावट से स्पष्ट हो गई। बैंक की कुल अनर्जक आस्तियां उसके कुल अग्रिमों के 10.4% थी, कुल हानियों का मूल्य (-)3765.91 लाख लगाया गया। बैंक ने अधिनियम की धारा 11(1),22(3)(ए), 22(3)(बी) और 22(3)( डी) का अनुपालन नहीं किया। बैंक बीदर और हासन में स्थित अपने परीसरों को किराए पर देकर अधिनियम की धारा 6 का उल्लंघन करता रहा। भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति के बगैर 7 साल से अधिक अवधि के लिए गैर-बैंकिंग आस्तियों को कब्जे में रखकर बैंक ने अधिनियम की धारा 9 का उल्लंघन किया। बैंक ने नई जमाराशियों का स्वीकार करके और जमाओं का मुदत-पूर्व आहरण स्वीकृत करके परिचालनगत अनुदेशों का अनुपालन नहीं किया। बोर्ड द्वारा भी परिचालनगत अनुदेशों का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा गया। बैंक द्वारा नुकसान करने वाली 6 शाखाओं को बंद करने के लिए, जिसके लिए भारतीय रिज़र्व बैँक द्वारा विशेष अनुमति दी गई थी, कोई प्रयास नहीं किए गए। अपनी निवल संपत्ति बढ़ाने के लिए प्रमुख परिसंपत्तियों में से किसी को भी बेचने में बैंक कामयाब नहीं हुआ। राज्य सरकार द्वारा कोई पूंजी नहीं लगाई गई और विलयन की संभावनाओं का पता करने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किए गए।

28 अक्तूबर 2013 को आयोजित टीएएफसीयूबी की बैँठक में बैँक की वित्तीय स्थिति की समीक्षा की गई जिसमें बैंक को कारण बताओ सूचना जारी करने की सिफारिश की गई कि बैंक के लाइसेंस संबंधी आवेदन को क्यों न अस्वीकृत किया जाए? 2 जनवरी 2014 को बैंक को कारण बताओ सूचना जारी की गई जिसके द्वारा सूचित किया गया कि सूचना की प्रप्ति की तारीख से 30 दिनों के अंदर कारण बताएं कि की धारा 22 के अंतर्गत भारत में बैंकिंग कारोबार करने के लिए लाइसेंस प्रदान करने संबंधी आवेदन को अस्वीकृत क्यों न किया जाए और क्यों न बैंक का परिसमापन कर दिया जाए? 31 जनवरी 2014 के बैंक के उत्तर पर विचार किया गया परंतु उसे संतोषजनक नहीं पाया गया।

इसलिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कर्नाटक राज्य के कैगारिक वाणिज्य सहकार बैंक के जमाकर्ताओं के हित में निर्णय लिया गया कि इस बैँक के लाइसेंस प्रदान करने संबंधी आवेदन को अस्वीकृत किया जाए। लाइसेंस प्रदान करने के कर्नाटक राज्य के कैगारिक वाणिज्य सहकार बैंक नियमित बंगलुरु (कर्नाटक) के जमाकर्ताओं की निक्षेप बीमा प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम 1961 के अनुसार बीमाकृत राशि के भुगतान की प्रकिया निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन प्रारंभ की जाएगी।

लाइसेंस प्रदान करने के बैंक के आवेदन को अस्वीकृत किए जाने के परिणामस्वरुप कर्नाटक राज्य कैगारिक वाणिज्य सहकार बैंक नियमित, बंगलुरु (कर्नाटक) पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसाइटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत परिभाषित ‘बैंकिंग कारोबार’ करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैँ।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती दीपा डी.जॉर्ज, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, बंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, बंगलुरु से संपर्क कर सकते हैं जिसका संपर्क ब्यौरा निम्ननुसार है:

डाक पत्ता: शहरी बैंक विभाग, बंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय, पो.बॉ.संख्या 5467, 10/3/08, नृपतुंगा रोड, बंगलुरु-560 001 दूरभाषी संख्या(080) 22116260, फैक्स क्रमांक (080)-22293668, ई-मेल

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/2076

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