रिज़र्व बैंक ने क्रेडिट काड़ विनियमों पर रिपोर्ट जारी की - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने क्रेडिट काड़ विनियमों पर रिपोर्ट जारी की
25 अप्रैल 2005
रिज़र्व बैंक ने क्रेडिट काड़ विनियमों पर रिपोर्ट जारी की
रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर कार्डों के विनियामक तंत्र पर कार्यदल की रिपोर्ट जारी की। कार्यदल द्वारा की गयी कुछ खास सिफारिशें इस तरह से हैं : यदि प्राप्तकर्ता के अनुमोदन के बिना काड़ एक्टिवेट हो जाए तो उस स्थिति में न चाहे गये काड़ के प्राप्तकर्ता को दंड का भुगतान, डायरेक्ट सेलिंग एजेंटों के लिए आचार संहिता, भारतीय बैंक संघ द्वारा बनायी जानेवाली वेबसाइट ‘कॉल न करें रजिस्ट्री’, सभी चरणों पर ग्राहकों को महत्वपूर्ण मदें दर्शानेवाली अत्यधिक महत्वपूर्ण शर्तें भेजना तथा काड़ कारोबार से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों से निपटने के लिए बैंकिंग लोकपाल को प्राधिवफ्त करना।
आपको याद होगा कि रिज़र्व बैंक ने अक्तूबर 2004 में कार्डों के लिए विनियामक तंत्र के लिए एक कार्यदल गठित करने की घोषणा की थी। रिज़र्व बैंक को क्रेडिट काड़ जारी करने वाले बैंकों/संस्थाओं तथा उनके एजेंटों द्वारा अवांछित/आपत्तिजनक व्यवहार अपनाये जाने के बारे में कई शिकायतें मिल रही थीं। भारत में तेजी से बढ़ते हुए प्लास्टिक काड़ के इस्तेमाल के संबंध में विनियामक चिंता का प्रमुख क्षेत्र ग्राहक सेवाओं/उपभोक्ता रक्षा के मामले से जुड़ा हुआ है। इस लक्ष्य को तथा प्लास्टिक काड़ कारोबार से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य और व्यवहारों को ध्यान में रखते हुए कार्यदल से यह अपेक्षा की गयी थी की वह ऐसे विनियामक उपाय सुझाये जो प्लास्टिक कार्डों की सुरक्षित, संरक्षित तथा कुशल तरीके से वफ्द्धि को प्रोत्साहित करते हुए शुरू किये जाने की ज़रूरत थी। यह सिफारिश करने की भी अपेक्षा की गयी थी कि काड़ जारीकर्ताओं द्वारा अपनाये जाने वाले नियम, विनियम, मानक तथा व्यवहार बेहतरीन ग्राहक व्यवहारों के अनुरूप हों। इसके अलावा, कार्यदल से यह अपेक्षा की गयी थी कि वह काड़ उपयोगकर्ताओं के लिए शिकायत नियंत्रण तंत्र गठित करने के लिए राह सुझाये।
दल ने सिफारिश की है कि काड़ जारीकर्ताओं तथा कार्उ प्रयोग के लिए शर्तें आसान भाषा में होनी चाहिए और वे किसी आम आदमी को भी समझ में आ सकें। इन्हें प्रमुख रूप से पठनीय तरीके से प्रदर्शित किया जाना चाहिए और महत्वपूर्ण मदों को अत्यधिक महत्वपूर्ण शर्त दस्तावेज़ के रूप में रेखांकित किया जाना चाहिए। काड़ जारीकर्ता बैंक को चाहिये कि वह काड़ धारक को सभी पत्राचार में वार्षिक आधार पर ब्याज प्रभारों का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख करे। दल ने यह भी सिफारिश की है कि काड़ जारीकर्ता बैंकों को अपने डायरेक्ट सेलिंग एजेंटों/डायरेक्ट मार्केटिंग एजेंटों के लिए व्यापक आचार संहिता तैयार करनी चाहिए और इस संहिता का उल्लंघन करने वाली फर्मों को यथोचित रूप से दंडित करना चाहिए। दल ने भारतीय बैंक संघ द्वारा डायरेक्ट सेलिंग एजेंटों के लिए तैयार की गयी संहिता अपनाने की सिफारिश की है।
दल ने ‘कॉल न करें रजिस्ट्री’ बनाये जाने सहित ग्राहक की सूचना की प्रायवेसी के अधिकार की रक्षा के संबंध में भी और सिफारिशें की हैं। दल ने सिफारिश की है कि भारतीय बैंक संघ एक ऐसी वेबसाइट बना सकता है जहां पर ग्राहक अपने फोन नंबर दर्ज कर सकें और भारतीय बैंक संघ आवधिक रूप से और गोपनीय तरीके से काड़ जारीकर्ता बैंकों के बीच ‘कॉल न करें रजिस्ट्री’ की विषयवस्तु को परिचालित कर सकता है। दल ने सिफारिश की है कि बैंकिंग लोकपाल शुरुआत में काड़ धारकों और काड़ जारीकर्ता बैंकों के बीच किसी क्रेडिट काड़ विवाद के लिए मध्यस्थता कर सकता है। दल के अनुसार गैर ग्राहकों को अनचाहे काड़ जारी नहीं किये जाने चाहिए। यदि प्राप्तकर्ता के अनुमोदन के बिना अनचाहा काड़ एक्टिवेट कर दिया जाता है और प्राप्तकर्ता को उसके लिए बिल भी दिया जाता है तो काड़ जारीकर्ता बैंक न केवल प्रभारों को तत्काल वापिस करेगा बल्कि वापिस किये गये प्रभारों के मूल्य की दुगुनी राशि के बराबर दंड भी काड़ के प्राप्तकर्ता को अदा करेगा।
कार्यदल ने यह भी सिफारिश की है कि काड़ जारीकर्ता बैंक भारतीय बैंक संघ, फिक्स्ड इन्कम एंड मनी मार्केट डीलर्स एसोसिएशन (फिम्मडा) तथा फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ही तर्ज़ पर एक स्वयं विनियमित निकाय गठित करने के बारे में विचार कर सकते हैं ताकि सभी काड़ जारीकर्ता बैंकों को प्रभावित करने वाले एक-समान हित के मामलों पर चर्चा की जा सके।
सूरज प्रकाश
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/1111