प्राथमिकता प्राप्त उधार पर संशोधित दिशानिर्देश - लक्ष्य और वर्गीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्राथमिकता प्राप्त उधार पर संशोधित दिशानिर्देश - लक्ष्य और वर्गीकरण
20 जुलाई 2012 प्राथमिकता प्राप्त उधार पर संशोधित दिशानिर्देश - लक्ष्य और वर्गीकरण भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी वेबसाईट पर आज प्राथमिकता प्राप्त उधार - लक्ष्य और वर्गीकरण पर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए। प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को व्यापक रूप से अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र माना गया है जिसे यदि प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र में नामित नहीं किया जाता है तो उसे समय पर और पर्याप्त ऋण नहीं मिलेगा। विशेषत: ये छोटे मूल्य के ऋण होते हैं जो कृषि और सहबद्ध क्रियाकलापों के लिए किसानों को, सूक्ष्म और लघु उद्यमों को, आवास के लिए गरीब लोगों को, शिक्षा के लिए छात्रों को और अन्य निम्न आय समूहों और कमज़ोर वर्ग को दिए जाते हैं। संशोधित दिशानिर्देशों का लक्ष्य प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार के स्थापित और स्वीकृत ढॉंचे को बिना हटाए नायर समिति की सिफारिशों के मूल मदों को लागू करना है। नायर समिति द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत समग्र लक्ष्य को 40 प्रतिशत पर बनाए रखना है। बैंकों द्वारा एकल व्यक्तियों, स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) और संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) को प्रत्यक्ष कृषि उधार पर पुन: ध्यान केंद्रित करते हुए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कृषि दोंनों के अंतर्गत समग्र लक्ष्य को क्रमश: 13.5 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत पर रखा गया है। संशोधित दिशानिर्देशों का मुख्य ध्यान बैंक द्वारा प्रत्यक्ष उधार पर केंद्रीत है और न कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) जैसी मध्यवर्ती संस्थाओं पर। संशोधित प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र दिशानिर्देशों की मुख्य-मुख्य बातें निम्नानुसार है: • नायर समिति द्वारा सुझाव दिए गए अनुसार प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत समग्र लक्ष्य को 40 प्रतिशत पर बनाए रखा जाए। • प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कृषि उधार दोंनों के लक्ष्यों को समायोजित निवल बैंक ऋण के क्रमश: 13.5 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा जाए। • संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार अन्य के साथ-साथ निम्नलिखित महत्वपूर्ण क्रियाकलापों की शामिल किया गया है : - सूक्ष्म और लघु सेवा उद्यमों को ₹ 1 करोड़ तक के ऋण और सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों को सभी ऋण। - आवास हेतु ₹10 लाख से ऊपर की आबादी वाले महानगरीय केंद्रों में ₹15 लाख तक और अन्य केंद्रों में ₹25 लाख तक के ऋण। - खाद्य और कृषि प्रोसेसिंग इकाईयों को ऋण। - व्यावसायिक पाठ्यक्रम सहित शिक्षा के प्रयोजन के लिए एक व्यक्तियों को भारत में शिक्षा के लिए ₹10 लाख तक और विदेश में शिक्षा के लिए ₹20 लाख तक के ऋण। - केवल आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग और निम्न आय वर्ग के समूहों के लिए आवास परियोजना ऋण बशर्तें लागत प्रति आवास ₹5 लाख से अधिक न हो। - गैर-सांस्थिक उधारदाताओं से लिए गए ऋण से विपदाग्रस्त किसानों को ऋण। - नो फ्रिल्स खातों को ₹ 50000/- तक के ओवर-ड्राफ्ट। - अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए राज्य प्रायोजित संस्थाओं को ऋण। - घरों के लिए ऑफ-ग्रीड सोलार और अन्य ऑफ-ग्रीड नवीकरण ऊर्जा समाधान लगाने करने के लिए एकल व्यक्तियों को ऋण। - किसानों को छोड़कर अन्य व्यक्तियों को गैर-सांस्थिक उधारदाताओं से लिए गए ऋणों की पूर्व चुकौती के लिए ₹ 50000/- तक की राशि के ऋण। • 1 अप्रैल 2013 से शुरू करते हुए अधिकतम 5 वर्ष की अवधि के भीतर एक चरणबद्ध तरीके से प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र लक्ष्यों के लिए देश में 20 अथवा उससे अधिक शाखाओं वाली विदेशी बैंकों को घरेलू बैंकों के समरूप लाया जाएगा। उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित एक विशिष्ट समय सीमा में लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक कार्य-योजना प्रस्तुत करनी होगी। • 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को 32 प्रतिशत समग्र प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार लक्ष्य के भीतर अन्य कोई सह-लक्ष्य नहीं होगा। आशा है कि इससे वे किसी प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र श्रेणी में अपनी कोर योग्यता के अनुसार उधार दें सकेंगे। • प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पीएसीएस), कृषक सेवा समितियॉं (एफएसएस) और बड़े आकारवाली बहु-उद्देश्य समिति (एलएमपीएस) को बैंक ऋण देना जो ऐसी बैंकों द्वारा चलायी जाती है अथवा प्रबंधित/नियंत्रित की जाती है और जिसका उपयोग आगे चलकर कृषि और सहबद्ध क्रियाकलापों के लिए किसानों को उधार देने के लिए होता है, को प्रत्यक्ष कृषि के अंतर्गत शामिल किया गया है। • प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र जमानती आस्तियां, ऋणों की सीधी खरीद और कार्यों में बैंकों द्वारा निवेश किए जा सकते हैं बशर्तें प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लिए अंतर्निहित आस्ति अर्हता मानी जाती है अथवा मूल संस्था द्वारा अंतिम उधारकर्ता को लागू ब्याज दर ऐसी बैंक के आधार दर तथा (+) 8 प्रतिशत प्रति वर्ष से अधिक नहीं है। पृष्ठभूमि आपको यह याद होगा कि मौद्रिक नीति वक्तव्य 2011-12 के पैरा 94 में प्रस्ताव के अनुसार प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार वर्गीकरण और संबंधित विषयों के संबंध में वर्तमान वर्गीकरण की पुन: जांच करने और संशोधित दिशानिर्देशों का सुझाव देने के लिए अगस्त 2011 को एक समिति (अध्यक्ष : श्री एम. वी. नायर) का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट फरवरी 2012 को प्रस्तुत की जिसे अभिमतों के लिए पब्लिक डोमेन पर जारी किया गया था। विभिन्न स्टेकधारकों से चर्चा कर और उनसे प्राप्त अभिमतों के आधार पर समिति के सुझावों की जांच की गई है। समिति ने कहा है कि उचित निगरानी रखने और उपयुक्त नीति तैयार करने के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र आंकड़ों को खुरदरा बनाने और प्रणाली तैयार करने सहित एक मज़बूत रिपोर्टिंग प्रणाली बनाना अति आवश्यक है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस विषय को समझ लिया है और यथाशीघ्र अगले दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/112 |