RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

81115141

सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) - जमाराशियों का स्वीकरण

17 जून 2008

सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) -
जमाराशियों का स्वीकरण

भारतीय रिज़र्व बैंक ने धारा 45 के (4) और 45एमबी(1) के अंतर्गत अधिकारों का प्रयोग करते हुए 4 जून 2008 के अपने आदेश द्वारा सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) को आम जनता से जमाराशियाँ स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाया था तथा अन्य बातों के साथ-साथ सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) को निर्देश दिया था कि वह जमाकर्ताओं को परिपक्वता राशि पर चुकौती करे और भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुदेशों का अनुपालन करे। सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधिकार क्षेत्र के माननीय लखनऊ न्यायपीठ के समक्ष एक रिट याचिका दर्ज की तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 4 जून 2008 को जारी किए गए आदेश के परिचालन को स्थगित करने वाला एक आदेश 5 जून 2008 को प्राप्त किया। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 6 जून 2008 को दर्ज की गई विशेष अनुमति याचिका में माननीय उच्चतम न्यायालय ने 9 जून 2008 के अपने आदेश द्वारा यह टिप्पणी की थी कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने 4 जून 2008 का अपना आदेश पारित करते समय प्राकृतिक न्याय के नियमों का पालन किया था लेकिन यह महसूस किया कि यह समुचित होगा कि सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) को एक व्यक्तिगत सुनवाई उपलब्ध कराई जाए और एक नया आदेश पारित किया जाए।

माननीय उच्चतम न्यायालय के अनुदेशों के अनुपालन में सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) के अधिकारियों की 12 जून 2008 और 16 जून 2008 को व्यक्तिगत सुनवाई की गई। सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) द्वारा किए गए सभी मौखिक और लिखित प्रस्तुतीकरणों पर विचार करने के बाद तथा इस बात से संतुष्ट होने पर कि जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा की जाए और जनहित में ऐसा करना आवश्यक हो जाने पर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45 के (3) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने निम्नलिखित निर्देशों वाला एक नया आदेश पारित किया:

"(i) सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) को एतदद्वारा निर्देश दिया जाता है कि वह ऐसी कोई नई जमाराशि स्वीकार नहीं करे जो 30 जून 2011 के बाद परिपक्व होती हो तथा इस तारीख से वर्तमान जमा खातों की किस्तों को स्वीकार करना भी बंद कर दे। जमाकर्ताओं की सकल देयता (एएलडी) 30 जून 2009 तक 15,000 करोड़ रुपए (पूर्णांकित), 30 जून 2010 तक 12,600 करोड़ रुपए (पूर्णांकित) और 30 जून 2011 तक 9,000 करोड़ रुपए (पूर्णांकित) से अधिक नहीं होगी।

(ii) सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) जमाराशियों की जब और जैसे वे परिपक्व होती हैं चुकौती करेगा और 30 जून 2015 के पहले जमाकर्ताओं की सकल देयता (एएलडी) को शून्य पर लायेगा।

(iii) सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) किसी जारी दैनिक जमा अथवा अन्य आवर्ती जमा योजनाओं की किस्तों की जमाकर्ताओं द्वारा भुगतान नहीं किए जाने को जमाकर्ता द्वारा कोई चूक नहीं मानेगा और सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) जमाराशि की समस्त अवधि के लिए अपने द्वारा धारित वास्तविक राशियों पर सहमत ब्याज दर की चुकौती के लिए यह मानते हुए उत्तरदायी होगा कि कोई चूक नहीं की गई है।

(iv) सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) अपने जमाकर्ताओं की सकल देयता (एएलडी) के संबंध में अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी (आरएनबीसी) निर्देशों के पैराग्राफ 6 के अंतर्गत निदेशित निदेशों की अपेक्षाओं का पालन करेगा।

(v) सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) सभी नई जमाराशियों के लिए अपने ग्राहक को जानें का 100 % अनुपालन सुनिश्चित करेगा।

(vi) सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) उपर्युक्त (i) (ii) (iii) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के लागू सभी प्रावधानों, निर्देशों, दिशानिर्देशों, अनुदेशों तथा इनके अंतर्गत समय-समय पर जारी परिपत्रों का तब तक पालन करेगा जब तक सभी जमाराशियों की चुकौती पूरे ब्याज के साथ नहीं की जाती है। जमाकर्ताओं को चुकौती करने के लिए सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) अवशिष्ट गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (आरएनबीसी) निर्देशों के पैराग्राफ 6 के अंतर्गत बनाए रखने के लिए अपेक्षित निवेशों के अलावा अपनी आय और निवेशों का पहले उपयोग करेगा।

(vii) सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) उपर्युक्त के प्रति कोई पक्षपात किए बिना कानून के अनुसार अपने अन्य कारोबार जारी रखने के लिए पात्र होगा।

(viii) सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) 16 अगस्त 2008 को कारोबार की समाप्ति के पूर्व एक व्यापक कारोबार योजना प्रस्तुत करेगा।"

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने आदेश में व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) के प्रबंध कार्यकर्ता और अध्यक्ष तथा सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) के वरिष्ठ कार्यपालकों द्वारा किए गए प्रस्ताव को शामिल किया है। गुणवत्ता कंपनी अभिशासन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने प्रस्ताव किया है कि (क) 16 जून 2008 से तीस दिनों की अवधि के भीतर सहारा इंडिया फाइनेन्सियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआइएफसीएल) के निदेशक बोर्ड का पुनर्गठन किया जाएगा ताकि बोर्ड में 50 प्रतिशत ऐसे स्वतंत्र निदेशक शामिल किए जाएं जो भारतीय रिज़र्व बैंक को स्वीकार्य हों; (ख) कंपनी की आगामी वार्षिक आम सभा में इन स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति संपुष्ट की जाएगी और उक्त व्यवस्था उस समय तक जारी रखी जाएगी जब तक कि सभी जमाकर्ताओं को पूरी चुकौती नहीं की जाती है; और (ग) 31 अगस्त 2008 को कंपनी की अनुमानित आगामी वार्षिक आम सभा में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सुझाए गए लेखा परिक्षकों की सूची से सांविधिक लेखा परिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सुझाई गई सूची से प्रत्येक वर्ष सांविधिक लेखा परिक्षकों को नियुक्त करना सभी जमाकर्ताओं को पूरी चुकौती किए जाने तक जारी रखा जाएगा।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/1610

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?