वर्ष 2016-17 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति: प्रेस सम्मेलन में गवर्नर का उद्घाटन संबोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
वर्ष 2016-17 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति: प्रेस सम्मेलन में गवर्नर का उद्घाटन संबोधन
07 जून 2016 वर्ष 2016-17 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति: अप्रैल 2016 के हमारे मौद्रिक नीति वक्तव्य में हमने कहा था कि हम आने वाले महीनों में समष्टि आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों पर नज़र रखेंगे जिससे कि गुंजाइश होने पर जवाब दिया जा सके। तब से आवक आंकड़े मुद्रास्फीतिकारी दबावों में प्रत्याशा की अपेक्षा अधिक तेज उछाल दिखा रहे हैं और यह दवाब कई खाद्य मदों (मौसमी प्रभावों से परे) तथा पण्य-वस्तुओं की कीमतों में प्रत्यावर्तन के कारण उत्पन्न हुआ। अच्छे मानसून, निरंतर कार्यकुशल खाद्य प्रबंधन और आपूर्ति क्षमता, विशेषकर सेवाओं में स्थिर विस्तार से इन उपरि दबावों को बराबर करने में मदद मिल सकती है। अनिश्चिताओं को देखते हुए, रिज़र्व बैंक नियंत्रण जारी रखेगा किंतु मौद्रिक नीति का रुख उदार रहेगा। रिज़र्व बैंक नीतिगत कार्रवाई के लिए किसी और गुंजाइश के लिए समष्टि आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों पर निगरानी जारी रखेगा। बैंक उधार दरों में नीति के संचरण पर अभी भी कार्य चल रहा है। मुद्दों को सुलझाने के लिए हम सीमांत लागत उधार दर ढांचे के परिचालन की शीघ्र ही समीक्षा करेंगे। अल्प पूंजी वाले (कन्स्ट्रैंड) सार्वजनिक बैंकों में समय पर पूंजी डालने से ऋण प्रवाह में भी सहायता मिलेगी। चलनिधि पर, दो मुद्दे बने हुए हैं। पहला, एफसीएनआर(बी) जमाराशियों की परिपक्वता पर हमारा मानना है कि उन जमाराशियों के लीवरेज वाले अंश को नवीकृत नहीं किया जाएगा। इसलिए, संभावना है कि 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बहिर्वाह हो सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने उन आवश्यकताओं को वायदा बाजारों में कवर किया है और जमाराशियों की परिपक्वता तक पहले ही कुछ अग्रिम डिलीवरी ले लेंगे। निस्संदेह रूप से कुछ काउंटरपार्टियां चिंतित हैं कि हम आसानी से डॉलरों में भुगतान नहीं कर पाएंगे जो हमारे ऊपर देय हैं तथा इस प्रकार बाजार में डॉलर की कुछ कमी आ सकती है। इसकी हमें निगरानी करनी होगी। हम अधिक अस्थिरता के मामले में डॉलर की आपूर्ति कर सकते हैं किंतु हम व्यक्ति को इसे सही नहीं मान लेना चाहिए। तथापि, हम अपने मौद्रिक रुख की सहायता में आवश्यक अल्पकालिक रुपया चलनिधि की आपूर्ति करने के प्रति वचनबद्ध हैं। चलनिधि पर दूसरी चिंता यह है कि हम प्रणालीगत चलनिधि की घाटे वाली स्थिति से तटस्थता की स्थिति में जाने में कितना समय लेने का प्रस्ताव करते हैं। यह बाजार और बाह्य स्थितियों पर निर्भर करता है। जैसाकि आप जानते हैं कि टिकाऊ चलनिधि की उचित मात्रा की पहले से ही आपूर्ति की गई है। इसके अतिरिक्त, हम देख रहे हैं कि बकाया नकदी शेष कुछ कम हो रहा है। हम कोई समयसीमा नहीं देंगे किंतु प्रणाली को लक्ष्य की ओर ले जाने में अवसर की प्रतीक्षा में रहेंगे। आखिरकार, बैंकों के तुलन-पत्रों को ठीक करने के मामले में हम इस प्रक्रिया के लिए सरकार के साथ कार्य कर रहे हैं। उन क्रियाविधियों पर चर्चाएं हो रही हैं जो परियोजनाओं के लिए उचित पूंजी संरचनाएं मुहैया कराएंगी और ऋण के प्रति पहुंच होगी तथा इस कठिनाई से निकलने के लिए प्रवर्तकों के लिए कुछ प्रोत्साहन देंगी। सेबी से भी परामर्श लिया जा रहा है। दबावग्रस्त स्थितियों में निवेश करने के लिए विभिन्न प्रकार की निधियों पर भी चर्चा की गई है। तथापि, सहनशीलता के दिनों में वापस जाने या पारदर्शी बैंक तुलन पत्रों के लिए उठाए गए कदम को वापस लेने का कोई इरादा नहीं है। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2837 |