भारत में विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोत, 2004-05 (अप्रैल-दिसंबर) - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोत, 2004-05 (अप्रैल-दिसंबर)
31 मार्च 2005
भारत में विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोत, 2004-05 (अप्रैल-दिसंबर)
पफ्ष्ठभूमि
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 31 जनवरी 2003 को अप्रैल-नवंबर 2002 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोतों पर अपने आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग द्वारा किये गये अध्ययन के निष्कर्षों पर एक प्रेस प्रकाशनी जारी की थी। उसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक नियमित रूप से विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां ज़ुड़ने के स्रोतों पर अपनी प्रेस प्रकाशनी के ज़रिए आंकड़ों को अद्यतन और जारी करता आ रहा है। ये प्रेस प्रकाशनियां भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध हैं।
अप्रैल-दिसंबर 2004-2005 की अवधि के लिए भुगतान संतुलन आंकड़े अब उपलब्ध हैं। ये आंकड़े रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर 31 मार्च 2005 को प्रकाशित किये गये हैं।
वर्ष 2004-05 (अप्रैल-दिसंबर) में विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोत
नीचे दर्शायी गयी तालिका अप्रैल-दिसंबर 2004-05 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में जुड़ी राशियों के मुख्य घटकों को दर्शाती है:
तालिका 1 : विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोत
(आंकड़े बिलियन अमेरिकी डॉलर में)
मदें | अप्रैल-दिसंबर | अप्रैल-दिसंबर | ||
I | चालू खाता शेष राशियां | -7.4 | 4.8 | |
II | पूंजी लेखा (निवल)(क से ड़) | 20.8 | 16.5 | |
क | विदेशी निवेश | 7.3 | 10.1 | |
ख | बैंकिंग पूंजी जिसमें से अनिवासी जमाराशियां | 1.7 | 5.9 | |
ग | अल्पकालिक ऋण | -1.3 | 3.7 | |
घ | बाहरी सहायता | 2.7 | 2.4 | |
ड़ | बाह्य वाणिज्यिक उधार | 0.7 | -1.8 | |
ञ | पूंजी लेखे में अन्य मदें | 4.1 | -3.4 | |
III | मूल्यन परिवर्तन | 4.8 | 5.8 | |
कुल (घ्+घ्घ्+घ्घ्घ्) | 18.2 | 27.1 |
अप्रैल-दिसंबर 2004-05 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के प्रमुख स्रोत
- विदेशी निवेश (40.1 प्रतिशत);
- बाह्य वाणिज्यिक उधार (22.5 प्रतिशत) और बाहरी सहायता (3.8 प्रतिशत);
- अल्पकालिक ऋण (14.8 प्रतिशत);
- पूंजी लेखे के अंतर्गत अन्य मदें, जो मुख्य रूप से आयातों/निर्यातों पर सीमा शुल्क आंकड़ों और बैंकिंग चैनल आंकड़ों के बीच अंतर रुपया ऋण सर्विस तथा अन्य लेन-देन दर्शाती है, 23.6 प्रतिशत है;
- आरक्षित निधियों में राशियां जुड़ने के स्रोत 7.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का चालू खाता घाटा और 1.3 बिलियन की अनिवासी जमाराशियों के निवल बहिर्वाहों से आंशिक रूप से संतुलित किये गये;
- मूल्यन लाभ, जो डॉलर की तुलना में यूरो, ग्रेट ब्रिटेन पाउंड में मूल्य वफ्द्धि दर्शाते हें, का योगदान अप्रैल-दिसंबर 2004-05 में 4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्यन लाभ की तुलना में 2003-04 की तदनुरूपी अवधि में 5.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा। हालांकि रिज़र्व बैंक अपनी विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियां अमेरिकी डॉलर के मूल्यवर्ग में दर्शाता है, इसमें प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय करेंसी शामिल थी। तदनुसार, जब गैर-अमेरिकी डॉलर मुद्राएं अमेरिकी डॉलर के रूप में मूल्यवफ्द्धि दर्शाती है तो मूल्यन लाभ के रूप में भंडारों में और राशियां जुड़ जाती हैं। इसके विपरीत स्थिति तब आती है जब ये मुद्राएं अमेरिकी डॉलर की तुलना में गिरावट दर्शाती हैं।
पी. वी. सदानंदन
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/1025