2009-10 के दौरान भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में घटबढ़ के स्त्रोत
30 जून 2010 2009-10 के दौरान भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में घटबढ़ के स्त्रोत भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर, 2009-10 की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) और पूर्ण वर्ष (अप्रैल से मार्च) 2009-10 के लिए भुगतान संतुलन (बीओपी)आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के आधार पर, 2009-10 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में घटबढ़ के स्त्रोत संकलित किए गए है। 2009-10 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में घटबढ़ के स्रोत 2009-10 के दौरान, प्रमुख रूप से मूल्यांकन लाभों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई। इसके अलावा, विदेशी निवेश और अल्पावधि व्यापार क्रेडिट के तहत अंतर्वाहों ने 2009-10 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। विदेशी मुद्रा भंडार में घटबढ़ के स्त्रोत सारणी 1 में दिए गए हैं।
2008-09 के दौरान 57.7 बिलियन डॉलर की गिरावट के मुकाबले 2009-10 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार(मूल्यन प्रभाव सहित) में 27.1 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई (सारणी 2)।
भुगतान संतुलन आधार पर (अर्थात मूल्यन प्रभाव छोड़कर), विदेशी मुद्रा भंडार में 2008-09 के दौरान 20.1बिलि.अम.डालर की गिरावट के विरुद्ध 2009-10 के दौरान 13.4 बिलि.अम.डालर की वृद्धि हुई। प्रमुख मुद्राओं के प्रति अमरीकी डालर में मूल्यांस दर्शाते हुए , 2008-09 के दौरान की 37.7 बिलि.अम.डालर की मूल्यांकन हानि की तुलना में 2009-10 के दौरान मूल्यांकन लाभ 13.6 बिलि.अम.डालर था। तदनुसार, 2009-10 के दौरान मूल्यांकन लाभ विदेशी मुद्रा भंडार में कुल वृद्धि के 50.4 प्रतिशत था। अजीत प्रसाद |