मौद्रिक नीति पर डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर का वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
मौद्रिक नीति पर डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर का वक्तव्य
15 जनवरी 2015 मौद्रिक नीति पर डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर का वक्तव्य जुलाई 2014 से मुद्रास्फीति दवाब (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बदलावों द्वारा मापित) सहज हो रहा है। मुद्रास्फीति पथ जो प्रत्याशित विकास पथ से नीचे है, वह रिज़र्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में जोखिम संतुलन के आकलन के साथ अनुरूप रहा है। कुछ हद तक, अपेक्षा से कम मुद्रास्फीति सितंबर से सब्जियों और फलों की कीमतों में अपेक्षा से अधिक कमी, खाद्यान्न में कम कीमत दवाब और अंतरराष्ट्रीय पण्य वस्तुओं विशेषकर कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के कारण रही है। भौगोलिक-राजनीतिक झटकों को छोड़कर कच्चे तेल की कीमतें इस वर्ष कम रहने की संभावना है। कम मांग स्थिति, विशेषकर दिसंबर माह में खाद्य और ईंधन को छोड़कर, से भी मुद्रास्फीति में सुधार हुआ है। अंततः सरकार ने अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के प्रति अटल रहने की वचनबद्धता को बार-बार दोहराया है। इन कारकों ने अनुकूल आधार प्रभावों की व्यापक प्रत्याशित समाप्ति से क्षतिपूर्ति करते हुए मुद्रास्फीति की गति को काफी कम कर दिया है। परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं अनुकूल हो गई हैं और दोनों हाल की अवधि और दीर्घावधि मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं सितंबर 2009 से पहली बार एक अंक तक सहज हो गई हैं। मुद्रास्फीति परिणाम जनवरी 2015 तक लक्षित 8 प्रतिशत से काफी कम हो गए हैं। वर्तमान नीतिगत व्यवस्था में जनवरी 2016 तक मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से कम होने की संभावना है। इन गतिविधियों ने मौद्रिक नीति के रुख में बदलाव की गुंजाइश प्रदान की। यह स्मरण किया जाए कि दिसंबर के पांचवें द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में कहा गया था कि “यदि वर्तमान मुद्रास्फीति गति और मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं में बदलाव जारी रहते हैं और राजकोषीय गतिविधियां उत्साहवर्धक रहती हैं तो अगले वर्ष नीति समीक्षा चक्र से बाहर भी मौद्रिक नीति के रुख में बदलाव की संभावना है”। अपनी सार्वजनिक चर्चा में भारतीय रिज़र्व बैंक मौद्रिक सहजता की प्रक्रिया शुरू करने के प्रति वचनबद्ध है जैसे ही आंकड़े दर्शाएंगे कि मध्यावधि मुद्रास्फीतिजन्य लक्ष्य पूरे हो जाएंगे। इस प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि:
इसके परिणामस्वरूप चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत प्रत्यावर्तनीय रिपो दर 6.75 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा दर (एमएसएफ) और बैंक दर 8.75 प्रतिशत पर तत्काल प्रभाव से समायोजित हो जाएंगी। पांचवें द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में यह भी कहा गया कि मौद्रिक नीति के रुख में एक बार बदलाव होने के बाद इसके बाद की नीतिगत कार्रवाइयां इस रुख के अनुरूप होंगी। आगे की सहजता के लिए वे आंकड़े महत्वपूर्ण हैं जो निरंतर अवस्फीतिकारी दवाबों की पुष्टि करते हैं। इसके साथ-साथ संधारणीय उच्च गुणवत्ता राजकोषीय समेकन और आपूर्ति प्रतिबंधों पर काबू पाने के उपाय तथा विद्युत, भूमि, खनिज़ और मूलभूत सुविधा जैसे प्रमुख इनपुटों की उपलब्धता आश्वस्त करना भी महत्वपूर्ण होगा। प्रमुख इनपुटों की आवश्यकता यह सुनिश्चित करने के लिए पड़ेगी कि आने वाली तिमाहियों में संभाव्य आउटपुट अनुमानित वृद्धि गति से अधिक बढ़ रहा है जिससे कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके। इस अवसर पर सभी को मकर संक्रांति, पोंगल और उत्तरायण की शुभकामनाएं। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1486 |