विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
यह वक्तव्य (i) विनियमन और (ii) भुगतान प्रणालियों से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है। I. विनियमन 1. जिम्मेदार ऋण आचरण – ऋणों पर पुरोबंध प्रभार/ पूर्व भुगतान दंड लगाना मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंकों और एनबीएफसी को कारोबार के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए, सह-बाध्यताकारी(बाध्यताकारियों) के साथ या उनके बिना, व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को स्वीकृत किसी भी अस्थायी दर मीयादी ऋण पर पुरोबंध प्रभार/ पूर्व भुगतान दंड लगाने की अनुमति नहीं है। बेहतर पारदर्शिता और ऋणदाताओं द्वारा ग्राहक केन्द्रीकरण के माध्यम से ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से, ऐसे विनियमों के दायरे को व्यापक बनाने का निर्णय लिया गया है, ताकि रिज़र्व बैंक की विनियमित संस्थाओं द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) को दिए जाने वाले ऋणों को भी इसमें शामिल किया जा सके। इस संबंध में परिपत्र का मसौदा सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया जाएगा। 2. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए पूंजी जुटाने के अवसरों पर चर्चा पत्र बैंककारी विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के साथ संरेखण सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए शेयर पूंजी और प्रतिभूतियों के निर्गम और विनियमन पर प्रारंभिक दिशानिर्देशों का संकलन 2022 में जारी किया गया था। तथापि, इन दिशानिर्देशों में नव सक्षम पूंजी संबंधी प्रावधान, यथा, विशेष शेयर जारी करना, प्रीमियम पर शेयर जारी करना आदि, जो सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए नए हैं, शामिल नहीं थे। श्री एन.एस.विश्वनाथन, भूतपूर्व उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक की अध्यक्षता में प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट ने इन प्रावधानों पर अपनी सिफारिशों के माध्यम से व्यापक मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान किए थे। नव सक्षम पूंजी संबंधी प्रावधानों पर विशेषज्ञ समिति की व्यापक-आधारित सिफारिशों को परिचालनगत बनाने के लिए रिज़र्व बैंक में एक कार्य दल का गठन किया गया। कार्य दल की सिफारिशों के आधार पर, प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए पूंजी जुटाने के अवसरों पर एक चर्चा पत्र जारी किया जाएगा ताकि हितधारकों से प्रतिक्रिया और सुझाव प्राप्त किए जा सकें। 3. रिज़र्व बैंक जलवायु जोखिम सूचना प्रणाली (आरबी-सीआरआईएस) का निर्माण जलवायु परिवर्तन, वित्तीय प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण जोखिमों में से एक के रूप में उभर रहा है। विनियमित संस्थाओं के लिए अपने तुलन-पत्र और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जलवायु जोखिम का आकलन करना महत्वपूर्ण है। इस तरह के आकलन के लिए, अन्य बातों के साथ-साथ, स्थानीय जलवायु परिदृश्यों, जलवायु पूर्वानुमानों और उत्सर्जन से संबंधित उच्च गुणवत्ता वाले डेटा की आवश्यकता होती है। उपलब्ध जलवायु संबंधी आंकड़ों में विभिन्न अंतराल हैं, जैसे खंडित और विविध स्रोत, भिन्न प्रारूप, आवृत्तियां और इकाइयां। इन अंतरालों को कम करने के लिए, रिज़र्व बैंक ने एक डेटा भंडार बनाने का प्रस्ताव किया है, जिसका नाम रिज़र्व बैंक - जलवायु जोखिम सूचना प्रणाली (आरबी-सीआरआईएस) है, जिसमें दो भाग शामिल होंगे। पहला भाग एक वेब-आधारित डायरेक्टरी होगी, जिसमें विभिन्न डेटा स्रोतों (मौसम विज्ञान, भू-स्थानिक, आदि) की सूची होगी, जो रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगी। दूसरा भाग डेटा पोर्टल होगा जिसमें डेटासेट (मानकीकृत प्रारूपों में संसाधित डेटा) शामिल होंगे। इस डेटा पोर्टल तक पहुँच, चरणबद्ध तरीके से केवल विनियमित संस्थाओं को ही उपलब्ध कराई जाएगी। II. भुगतान प्रणालियाँ 4. यूपीआई - सीमा में वृद्धि: यूपीआई को व्यापक रूप से अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, यूपीआई के निम्नलिखित उत्पादों की सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है: i) यूपीआई123पे: यूपीआई123 की मार्च 2022 में शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य फीचर-फोन उपयोगकर्ताओं को यूपीआई का उपयोग करने में सक्षम बनाना था। यह सुविधा अब 12 भाषाओं में उपलब्ध है। वर्तमान में, यूपीआई123पे में प्रति-लेनदेन सीमा ₹5000 तक सीमित है। उपयोग के मामलों को व्यापक बनाने के लिए, हितधारकों के परामर्श से, प्रति-लेनदेन सीमा को बढ़ाकर ₹10,000 करने का निर्णय लिया गया है। एनपीसीआई को शीघ्र ही आवश्यक अनुदेश जारी किए जाएंगे। ii) यूपीआई लाइट: वर्तमान में प्रति लेनदेन ₹500 की सीमा और प्रति यूपीआई लाइट वॉलेट ₹2000 की समग्र सीमा लागू है, जिसमें स्व-पुनःपूर्ति (ऑटो-रिप्लेनिशमेंट) की सुविधा भी शामिल है। इस उत्पाद के उपयोग के दायरे को बढ़ाने के लिए, अब यूपीआई लाइट वॉलेट की सीमा को बढ़ाकर ₹5,000 और प्रति लेनदेन सीमा को बढ़ाकर ₹1,000 करने का निर्णय लिया गया है। ऑफलाइन डिजिटल मोड में छोटे मूल्य के भुगतान की सुविधा के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ढांचे, जिसके अंतर्गत यूपीआई लाइट को सक्षम बनाया गया है, में उचित संशोधन किया जाएगा। यूपीआई और आईएमपीएस जैसी भुगतान प्रणालियां, भुगतान लेनदेन शुरू करने से पहले विप्रेषक को प्राप्तकर्ता (लाभार्थी) का नाम सत्यापित करने की सुविधा प्रदान करती हैं। तत्काल सकल निपटान प्रणाली (आरटीजीएस) और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणालियों के लिए ऐसी सुविधा शुरू करने का अनुरोध किया गया है। तदनुसार, आरटीजीएस और एनईएफटी में धन विप्रेषकों को धन अंतरण करने से पहले लाभार्थी खाताधारक के नाम को सत्यापित करने में सक्षम बनाने के लिए, अब 'लाभार्थी खाता नाम देखने की सुविधा' शुरू करने का प्रस्ताव है। धन विप्रेषक द्वारा लाभार्थी का खाता नंबर और शाखा आईएफएससी कोड दर्ज करने के बाद लाभार्थी का नाम प्रदर्शित हो जाएगा। इस सुविधा से ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा क्योंकि इससे गलत जमा और धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाएगी। विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
(पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1254 |