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आरबीआई की घोषणाएं
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विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) चलनिधि और वित्तीय बाजार; (ii) विनियमन; (iii) संचार; (iv) वित्तीय समावेशन;(v) भुगतान प्रणाली; और (vi) फिनटेक से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है।

I. चलनिधि और वित्तीय बाजार

1. आरक्षित नकदी निधि अनुपात को कम करना

सभी बैंकों के लिए आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को 25 बीपीएस की दो बराबर शृंखलाओं में 50 बीपीएस घटाकर निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) का 4.0 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है, जो क्रमशः 14 दिसंबर 2024 और 28 दिसंबर 2024 से शुरू होने वाले पखवाड़े से प्रभावी होगा। इससे सीआरआर एनडीटीएल के 4 प्रतिशत हो जाएगा, जो अप्रैल 2022 में नीति के सख्ती चक्र की शुरुआत से पहले लागू था। सीआरआर में इस कमी से बैंकिंग प्रणाली में लगभग ₹ 1.16 लाख करोड़ की प्राथमिक चलनिधि आएगी।

2. एफसीएनआर(बी) जमाराशियों पर ब्याज दरें

वर्तमान में, विदेशी मुद्रा अनिवासी बैंक [एफसीएनआर (बी)] जमाराशियों पर ब्याज दरें 1 वर्ष से 3 वर्ष से कम तक की परिपक्वता अवधि की जमाराशियों के लिए संबंधित मुद्रा/स्वैप के लिए एक-दिवसीय वैकल्पिक संदर्भ दर (एआरआर) में 250 आधार अंक के योग की अधिकतम सीमा तथा 3 वर्ष से अधिक और 5 वर्ष तक की परिपक्वता अवधि की जमाराशियों के लिए एक-दिवसीय एआरआर में 350 आधार अंक के योग की अधिकतम सीमा के अधीन हैं। और अधिक पूंजी अंतर्वाह को आकर्षित करने के लिए, एफसीएनआर (बी) जमाराशियों पर ब्याज दर की अधिकतम सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, आज (6 दिसंबर 2024) से बैंकों को 1 वर्ष से 3 वर्ष से कम तक की परिपक्वता अवधि की नई एफसीएनआर (बी) जमाराशियों को एआरआर प्लस 400 बीपीएस तक की दरों पर तथा 3 से 5 वर्ष की परिपक्वता अवधि की जमाराशियों को एआरआर प्लस 500 बीपीएस तक की दरों पर जुटाने की अनुमति है। यह छूट 31 मार्च 2025 तक उपलब्ध रहेगी।

3. भारत कनेक्ट के साथ संबद्धता के माध्यम से एफएक्स-रिटेल प्लेटफॉर्म की पहुंच का विस्तार

उपयोगकर्ताओं, विशेष रूप से व्यक्तियों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए विदेशी मुद्रा के मूल्य निर्धारण में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के उद्देश्य से, भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) ने 2019 में एफएक्स-रिटेल प्लेटफॉर्म की शुरुआत की। वर्तमान में, एफएक्स-रिटेल प्लेटफॉर्म को इंटरनेट-आधारित एप्लिकेशन के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है। एफएक्स-रिटेल प्लेटफॉर्म की पहुंच का विस्तार करने और उपयोगकर्ता अनुभव को बढ़ाने के लिए, एनपीसीआई भारत कनेक्ट द्वारा संचालित भारत कनेक्ट (जिसे पहले भारत बिल भुगतान प्रणाली के रूप में जाना जाता था) के साथ एफएक्स-रिटेल प्लेटफॉर्म को संबद्ध करने की सुविधा का प्रस्ताव है। यह संबद्धता उपयोगकर्ताओं को बैंकों (मोबाइल एप्लीकेशन, इंटरनेट बैंकिंग आदि) और गैर-बैंक भुगतान प्रणाली प्रदाताओं, जो भारत कनेक्ट के साथ एकीकृत हैं, के ऐप के माध्यम से एफएक्स-रिटेल प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण और लेनदेन करने में सक्षम बनाएगा। पहले चरण में, व्यक्तियों और एकल स्वामियों द्वारा रुपये के सापेक्ष अमेरिकी डॉलर की खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिए एक प्रयोग (पायलट) को लागू करने का प्रस्ताव है। आगे चलकर, रुपये के सापेक्ष अमेरिकी डॉलर की बिक्री और उपयोगकर्ताओं की अन्य श्रेणियों सहित अन्य एफएक्स लेनदेन को शामिल करने के लिए दायरे का विस्तार किया जाएगा। उपयोगकर्ताओं के पास पहले की तरह एफएक्स-रिटेल प्लेटफॉर्म तक सीधे पहुंचने और मौजूदा व्यवस्था के अंतर्गत लेनदेन करने का विकल्प बना रहेगा। पायलट के परिचालन पहलुओं पर अनुदेश बैंकों को अलग से जारी किए जाएंगे।

4. सुरक्षित एक-दिवसीय रुपया दर (एसओआरआर) की शुरूआत - सुरक्षित मुद्रा बाजारों पर आधारित एक बेंचमार्क

रिज़र्व बैंक ने देश में रुपया ब्याज दर बेंचमार्क, विशेष रूप से मुंबई अंतर-बैंक प्रस्तावित दर (माइबोर) के उपयोग की समीक्षा करने और नए बेंचमार्क में बदलाव की आवश्यकता की जांच करने के लिए माइबोर बेंचमार्क पर एक समिति (अध्यक्ष: श्री रामनाथन सुब्रमण्यन) का गठन किया था। समिति ने ब्याज दर डेरिवेटिव बाजार को और विकसित करने तथा ब्याज दर बेंचमार्क की विश्वसनीयता में सुधार करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपायों की सिफारिश की। समिति की रिपोर्ट रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई, जिसमें जन सामान्य से टिप्पणियां आमंत्रित की गई थीं। रिज़र्व बैंक ने समिति की सिफारिशों के साथ-साथ प्राप्त टिप्पणियों की भी जांच की है। सिफारिशों के अनुरूप तथा वर्तमान बाजार गतिकी को ध्यान में रखते हुए, सुरक्षित मुद्रा बाजार (बास्केट रेपो और टीआरईपी दोनों) पर आधारित एक बेंचमार्क - सुरक्षित एक-दिवसीय रुपया दर (एसओआरआर) विकसित करने का प्रस्ताव है। फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया लिमिटेड (एफबीआईएल) से इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया जा रहा है। समिति की अन्य सिफारिशें विचाराधीन हैं।

II. विनियमन

5. ‘Connect 2 Regulate’ – निष्पक्ष विनियमन के लिए एक पहल

रिज़र्व बैंक अपने विनियमनों को तैयार करने में हितधारकों के साथ लगातार बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया का पालन करता रहा है। इसी दिशा में एक और सक्रिय कदम के रूप में, रिज़र्व बैंक ने जारी RBI@90 स्मरणोत्सव कार्यक्रमों के अंतर्गत Connect 2 Regulate’ नामक एक कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। इस कार्यक्रम के लिए रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर एक समर्पित खंड उपलब्ध कराया जाएगा। इससे हितधारकों को समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा घोषित विषयों पर केस स्टडी/कॉन्सेप्ट नोट्स आदि के रूप में अपने विचार और इनपुट साझा करने का अवसर मिलेगा। कार्यक्रम पर एक प्रेस प्रकाशनी अलग से जारी की जाएगी।

III. संचार

6. संचार के अतिरिक्त माध्यम के रूप में पॉडकास्ट सुविधा की शुरूआत

भारतीय रिज़र्व बैंक अपने निर्णयों की पारदर्शिता और उनका अत्यधिक प्रभाव सुनिश्चित करने, अपने निर्णयों के पीछे के तर्क को समझाने और व्यापक दर्शकों तक विभिन्न जागरूकता संदेशों का प्रसार करने के लिए अपने उपकरणों के एक प्रमुख हिस्से के रूप में पारंपरिक और साथ ही नए युग की संचार तकनीकों का उपयोग कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में रिज़र्व बैंक सोशल मीडिया सहित अपनी जन जागरूकता गतिविधियों के दायरे का विस्तार कर रहा है। इस प्रयास को जारी रखते हुए, रिज़र्व बैंक आम जनता के हित से संबंधित जानकारी के व्यापक प्रसार के लिए पॉडकास्ट शुरू करने का प्रस्ताव करता है।

IV. वित्तीय समावेशन

7. संपार्श्विक-मुक्त कृषि ऋण – सीमा में वृद्धि

वर्तमान में बैंकों द्वारा प्रति उधारकर्ता ₹1.6 लाख तक का संपार्श्विक-मुक्त कृषि ऋण प्रदान करना अपेक्षित है। वर्ष 2010 में निर्धारित ₹1 लाख की सीमा को वर्ष 2019 में बढ़ाकर ₹1.6 लाख कर दिया गया था। तब से लेकर अब तक समग्र मुद्रास्फीति और कृषि इनपुट लागत में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए संपार्श्विक-मुक्त कृषि ऋण की सीमा को ₹1.6 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख करने का निर्णय लिया गया है। इससे औपचारिक ऋण प्रणाली में अधिक छोटे और सीमांत किसान शामिल होंगे। इस संबंध में परिपत्र शीघ्र ही जारी किया जाएगा।

V. भुगतान प्रणाली

8. यूपीआई के माध्यम से पूर्व-स्वीकृत ऋण व्यवस्था – एसएफबी तक दायरा बढ़ाना

सितंबर 2023 में, पूर्व-स्वीकृत ऋण व्यवस्थाओं को एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) के माध्यम से जोड़कर और भुगतान बैंकों, लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा निधीयन खाते के रूप में उपयोग करने में सक्षम बनाकर एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) के दायरे का विस्तार किया गया था।

यूपीआई पर ऋण व्यवस्था में ‘नए-क्रेडिट-वाले’ ग्राहकों को कम-टिकट, कम-अवधि के उत्पाद उपलब्ध कराने की क्षमता है। एसएफबी अंतिम मील के ग्राहक तक पहुँचने के लिए एक उच्च तकनीक, कम लागत वाले मॉडल का उपयोग करते हैं और यूपीआई पर ऋण की पहुँच का विस्तार करने में एक सक्षम भूमिका निभा सकते हैं। अतएव, एसएफबी को यूपीआई के माध्यम से पूर्व-स्वीकृत ऋण व्यवस्थाओं का विस्तार करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। आवश्यक दिशा-निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

VI. फिनटेक

9. वित्तीय क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (FREE-AI) के दायित्वपूर्ण और नैतिक उपयोग के लिए रूपरेखा - एक समिति का गठन

अग्रणी प्रौद्योगिकियों के आगमन के साथ वित्तीय क्षेत्र परिदृश्य में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिल रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)/ मशीन लर्निंग (एमएल), टोकनाइजेशन, क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी प्रौद्योगिकियां वित्तीय क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी क्षमता रखती हैं क्योंकि वे बड़ी मात्रा में डेटा का प्रबंधन कर सकती हैं, जटिल प्रक्रियाओं को स्वचालित कर सकती हैं, निर्णयन क्षमता को बढ़ा सकती हैं और अभूतपूर्व दक्षता ला सकती हैं। भले ही इसके कई लाभ हैं, लेकिन एल्गोरिदम पूर्वाग्रह, निर्णयों की व्याख्या, डेटा गोपनीयता आदि जैसे जोखिम भी अधिक हैं। इनका लाभ उठाने लिए, स्वीकृति चक्र में प्रारंभिक रूप से जोखिमों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

इस दिशा में एक उपाय के रूप में, वित्तीय क्षेत्र में एआई (FREE-AI) के दायित्वपूर्ण और नैतिक उपयोग के लिए रूपरेखा तैयार करने हेतु एक समिति गठित करने का प्रस्ताव है। समिति में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे और यह वित्तीय क्षेत्र के लिए एक मजबूत, व्यापक और अनुकूलनीय एआई रूपरेखा की सिफारिश करेगी। समिति का विवरण अलग से अधिसूचित किया जाएगा।

10. अवैध धन वाहक (म्यूल) बैंक खातों की पहचान करने के लिए एआई समाधान - MuleHunter.AITM

भारतीय रिज़र्व बैंक वित्तीय क्षेत्र में डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने और कम करने के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय में विभिन्न उपाय करता रहा है। इनमें साइबर सुरक्षा, साइबर धोखाधड़ी की रोकथाम और लेन-देन की निगरानी को मजबूत करने के लिए विनियमित संस्थाओं को रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देश शामिल हैं। धोखाधड़ी से प्राप्त आय को चैनल करने के लिए जालसाजों द्वारा अवैध धन वाहक खातों का उपयोग एक आम पद्धति है। रिज़र्व बैंक वर्तमान में "शून्य वित्तीय धोखाधड़ी" विषय पर एक हैकथॉन चला रहा है जिसमें अवैध धन वाहक खातों पर एक विशिष्ट समस्या विवरण शामिल है, ताकि अवैध धन वाहक खातों के उपयोग को रोकने के लिए नवोन्मेषी समाधानों के विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। इस दिशा में एक और पहल है एआई/एमएल आधारित मॉडल जिसे MuleHunter.AITM कहा जाता है, जिसे रिज़र्व बैंक की सहायक संस्था रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (आरबीआईएच) द्वारा संचालित किया जा रहा है। यह मॉडल कुशल तरीके से अवैध धन वाहक बैंक खातों का पता लगता है। दो बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ किए गए प्रयोग ने उत्साहजनक परिणाम दिए हैं। बैंकों को MuleHunter.AITM पहल को और विकसित करने के लिए आरबीआईएच के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए अवैध धन वाहक बैंक खातों के इस्तेमाल की समस्या से निपटा जा सके।

 

 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1648

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