विकासात्मक एवं विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
विकासात्मक एवं विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य
01 अगस्त 2018 विकासात्मक एवं विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य यह वक्तव्य विनियमन और वित्तीय समावेशन पहलों को मजबूत करने के लिए; वित्तीय बाजारों का विस्तार और उनको सघन बनाने के लिए और ग्राहक शिक्षण और संरक्षण में वृद्धि करने के लिए विभिन्न विकासात्मक और विनियामकीय नीति उपायों का निर्धारण करता है। I. विनियमन एवं वित्तीय समावेशन 1. अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों को एमएसएफ का विस्तार, और अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों को एलएएफ और एमएसएफ का विस्तार मुद्रा बाजार दरों पर मौद्रिक नीति के संचरण में सुधार के लिए रिजर्व बैंक के सतत प्रयासों के हिस्से के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि :
सितंबर 2018 के अंत तक विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। 2. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश मूल्य खोज व्यवस्था में और अधिक दक्षता लाने के लिए और शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए नियमों के अनुकूलीकरण की दिशा में एक कदम के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों को म्यूचुअल फंड,पेंशन / भविष्य निधि, और बीमा कंपनियों के साथ सेकेंडरी बाजार में गैर-एसएलआर निवेश के अधिग्रहण / बिक्री के लिए पात्र लेनदेन करने की अनुमति दी जाए। यह लेनदेन अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और प्राथमिक डीलरों के साथ उपयुक्त लेनदेन करने के अतिरिक्त होंगे। सितंबर 2018 के अंत तक विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। 3. प्राथमिकता क्षेत्र को उधार देने के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा ऋण की सह-उत्पत्ति प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण के लिए अत्यधिक आवश्यक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करने के लिए, यह निर्णय लिया गया कि, पात्र प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र की आस्तियों के सृजन के लिए, सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और छोटे वित्त बैंकों को छोड़कर), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां - जमाराशि स्वीकार न करने वाली-सिस्टमिक रूप से महत्वपूर्ण -(एनबीएफसी-एनडी-एसआई) के साथ ऋण की उत्पत्ति कर सकते हैं। सह-उत्पत्ति व्यवस्था सुविधा स्तर पर दोनों उधारदाताओं द्वारा ऋण के संयुक्त योगदान तक सीमित होनी चाहिए। इसमें अपने संबंधित व्यावसायिक उद्देश्यों के उचित संरेखण को सुनिश्चित करने के लिए पारस्परिक समझौते के अनुसार, बैंकों और एनबीएफसी के बीच जोखिम और पुरस्कार को साझा करना भी शामिल होना चाहिए। इस संबंध में दिशानिर्देश सितंबर 2018 के अंत तक जारी किए जाएंगे। II. वित्तीय बाजार 4. निवासियों के लिए विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न सुविधाओं की समीक्षा (विनियमन फेमा -25) विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न अनुबंध) विनियमावली 2000, जिसे आमतौर पर फेमा 25 के नाम से जाना जाता है,ऐसे विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न अनुबंधों के संबंध में व्यापक नियम बताता है जिनका भारत में कारोबार किया जा सकता है और निवासियों को जिन उत्पादों तक पहुंच प्रदान की जा सकती है। पिछले कुछ वर्षों में, फेमा 25 में कई संशोधन किए गए हैं ताकि निवासियों को अपने मुद्रा जोखिम के लिए हेजिंग करना आसान हो और हेजिंग के लिए उपलब्ध उपकरणों की सीमा को भी व्यापक बनाया जा सके। अब प्रस्ताव किया गया है कि अन्य बातों के साथ, व्युत्पन्न लेनदेन करने के लिए प्रशासनिक अपेक्षाओं को कम करने, गतिशील हेजिंग की अनुमति देने और भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों को उनकी वैश्विक अनुषंगियों के मुद्रा जोखिमों की हेजिंग भारत से करने की अनुमति देने के लिए भारत सरकार के परामर्श से फेमा 25 की व्यापक समीक्षा की जाए। संशोधित दिशानिर्देशों पर ड्राफ्ट परिपत्र सितंबर 2018 के अंत तक सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किया जाएगा। 5. बाजार के समय की व्यापक समीक्षा भारतीय रिजर्व बैंक को समय-समय पर करेंसी फ्यूचर्स, ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) विदेशी मुद्रा बाजार इत्यादि जैसे कुछ बाजार खंडों के समय में विस्तार के लिए अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं। सबसे अच्छा होता है कि बाजार के समय का निर्णय बाजार प्रतिभागियों और एक्सचेंजों / व्यापार प्लेटफार्मों पर छोड़ दिया जाए,यद्यपि यह भी आवश्यक है कि उत्पादों और वित्त पोषण बाजारों का समय एक-दूसरे के लिए पूरक रहे और अप्रत्याशित टकराव से बचा जाए। इसलिए, यह प्रस्ताव किया गया है कि विभिन्न बाजारों के समय की समीक्षा और बाजार समय के लिए अनुशंसित संशोधन का समर्थन करने के लिए आवश्यक भुगतान आधारभूत संरचना की व्यापक समीक्षा करने के लिए एक आंतरिक समूह स्थापित किया जाए। प्रस्तावित समूह अक्टूबर 2018 के अंत तक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। 6. एसजीएल / सीएसजीएल दिशानिर्देशों की समीक्षा सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) बाजारों में अधिक सहभागिता की सुविधा के लिए और सहायक सामान्य खाता-बही (एसजीएल) और ग्राहकों की सहायक सामान्य खाताबही (सीएसजीएल) खातों के उद्घाटन और संचालन में बाजार प्रतिभागियों को और अधिक सुविधापूर्ण परिचालन प्रदान करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि व्यापक रूप से एसजीएल / सीएसजीएल दिशानिर्देशों की समीक्षा की जाएं। इस संबंध में अधिसूचनाएं और निर्देश अक्टूबर 2018 के अंत तक जारी किए जाएंगे। III. ग्राहक शिक्षा और संरक्षण 7. बैंकों में आंतरिक लोकपाल तंत्र की समीक्षा बैंकों में आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से, चुनिंदा बैंकों को मई 2015 में आंतरिक लोकपाल (आईओ) को ग्राहक शिकायतों के निवारण के लिए शीर्ष प्राधिकरण के रूप में नियुक्त करने की सलाह दी गई थी। समीक्षा के आधार पर, आंतरिक लोकपाल तंत्र की स्वतंत्रता को बढ़ाने के साथ ही आंतरिक लोकपाल तंत्र के कामकाज पर निगरानी प्रणाली को भी मजबूत करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में संशोधित निर्देश सितंबर 2018 के अंत तक जारी किए जाएंगे। जोस जे. कट्टूर प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/279 |