विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों से संबंधित वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों से संबंधित वक्तव्य
22 मई 2020 विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों से संबंधित वक्तव्य यह वक्तव्य बाजारों और बाजार सहभागियों के कामकाज में सुधार; निर्यात और आयात को बढ़ावा देने के उपाय; COVID-19 व्यवधानों के कारण वित्तीय दबाव को कम करने के लिए ऋण सेवा पर राहत प्रदान करने और कार्यशील पूंजी तक पहुंच में सुधार; और राज्य सरकारों को हो रही वित्तीय कठिनाइयों को कम करने हेतु विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है। I. बाजार की कार्यप्रणाली में सुधार के उपाय इन उपायों का उद्देश्य बाजार सहभागियों की बाधाओं को कम करने और COVID-19 संबंधी अव्यवस्थाओं से प्रभावित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में चलनिधि प्रवाहित करना है। 1. भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के लिए पुनर्वित्त सुविधा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी), लघु उद्योगों की दीर्घकालिक वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। COVID-19 महामारी के कारण वित्तीय स्थिति के दबाव और बाजार से संसाधन जुटाने में कठिनाइयों के मद्देनजर, रिज़र्व बैंक ने सिडबी को उधारी/ पुनर्वित्तीकरण के लिए ₹15,000 करोड़ की विशेष पुनर्वित्त सुविधा की घोषणा की थी। इस सुविधा के अंतर्गत रिज़र्व बैंक की पॉलिसी रेपो दर पर 90 दिनों की अवधि के लिए अग्रिम उपलब्ध कराए गए थे । सिडबी को अपने परिचालन में अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए, इस सुविधा को 90 वें दिन के अंत से अतिरिक्त 90 दिनों की दूसरी अवधि के लिए प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। 2. स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा निवेश ऋण में एफपीआई निवेश के लिए विनियामक ढांचा पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुआ है, जो प्रचलित समष्टि- विवेकपूर्ण ढांचे के भीतर ऐसे प्रवाह को प्रोत्साहित करने के नीतिगत उद्देश्य के अनुरूप है। मार्च 2019 में शुरू किया गया स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर), ऋण में दीर्घकालिक और स्थिर एफपीआई निवेश की सुविधा देता है और लिखत चयनों के मामलों में परिचालनगत लचीलापन और कतिपय विनियामक अपेक्षाओं से छूट प्रदान करता है। इसकी शुरुआत के बाद से, वीआरआर योजना ने मजबूत निवेशक भागीदारी को विकसित किया है और इसका निवेश, योजना के तहत आवंटित सीमा से 90 प्रतिशत अधिक है। COVID-19 से संबंधित व्यवधानों के कारण एफपीआई और उनके संरक्षकों द्वारा आवंटित सीमा का कम से कम 75 प्रतिशत निवेश तीन महीने के भीतर किया जाना चाहिए, इस शर्त का पालन करने में व्यक्त की गई कठिनाइयों को देखते हुए, यह निर्णय किया गया है कि एफपीआई को इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया जाए। विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं। II. निर्यात और आयात को बढ़ाने के उपाय COVID-19 के प्रकोप और इसके तेजी से फैलने के कारण वैश्विक गतिविधि और व्यापार में संकुचन गहराई से बढ़ा है, जिसने बाहरी मांग को समाप्त कर दिया है। फलस्वरूप, भारत के निर्यात और आयात दोनों प्रभावित हुए और हाल के महीनों में दोनों में तेजी से संकुचन हुआ है। विदेशी मुद्रा अर्जित करने तथा आय और रोजगार प्रदान करने में निर्यात; और कच्चे माल, मध्यवर्ती, तैयार माल और प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने में आयात के महत्व को देखते हुए, विदेशी व्यापार क्षेत्र को बढ़ाने के उपाय किए जा रहे हैं। 3. निर्यात ऋण निर्यातकों को वास्तविक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि ऑर्डर का विलंब / स्थगित होना और बिलों के वसूली में देरी, जिससे उनके उत्पादन और वसूली चक्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा हैं। इसी संदर्भ में रिज़र्व बैंक ने 31 जुलाई 2020 तक या उससे पहले किए गए निर्यात के संबंध में निर्यात की तारीख से नौ महीने से 15 महीने तक भारत में निर्यात आय की वसूली और प्रत्यावर्तन की अवधि में वृद्धि की अनुमति दी । अब 31 जुलाई 2020 तक किए गए संवितरण के लिए, बैंकों द्वारा स्वीकृत प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट निर्यात ऋण की अधिकतम अनुमत अवधि को वर्तमान एक वर्ष से 15 माह तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। 4. भारतीय आयात-निर्यात बैंक के लिए चलनिधि की सुविधा भारतीय आयात-निर्यात बैंक देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निर्यातकों और आयातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। COVID-19 महामारी के कारण, हालांकि, वैश्विक व्यापार में तेजी से संकुचन हुआ है और वैश्विक वित्तीय बाजारों को अत्यधिक अस्थिरता और जोखिम का सामना करना पड़ा है, विशेषकर ईएमई को। चूंकि एक्जिम बैंक अपने परिचालनों के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों से उठाए गए विदेशी मुद्रा संसाधनों पर मुख्य रूप से निर्भर करता है, यह अंतरराष्ट्रीय ऋण पूंजी बाजार में धन जुटाने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहा है। तदनुसार, यह निर्णय किया गया कि एक्जिम बैंक को सुविधा का लाभ उठाने की तारीख से 90 दिनों की अवधि के लिए एक वर्ष के अधिकतम रोलओवर के साथ रू.15,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट लाइन प्रदान की जाए, ताकि वह अपनी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अमेरिकी डॉलर स्वैप सुविधा का लाभ उठा सके। 5. आयात के भुगतान के लिए समय-सीमा में विस्तार सीमा पार व्यापार को COVID-19 संबंधी व्यवधानों से विनिर्माण / तैयार उत्पादों की बिक्री में मंदी आ गई, और घरेलू और विदेशी दोनों तरह की बिक्री आय की वसूली में विलंब हुआ। इसके परिणामस्वरूप, कारोबारी संस्थाओं के लिए परिचालन चक्र को लंबा कर दिया है। इस स्थिति में, यूनिटों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत निर्धारित समय के भीतर अपने आयात के लिए भुगतान करना मुश्किल लग रहा है। वर्तमान में, भारत में सामान्य आयात के लिए प्रेषण (सोने/हीरे और बहुमूल्य पत्थरों/आभूषणों के आयात को छोड़कर) को विदेशी आपूर्तिकर्ता द्वारा शिपमेंट की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर पूरा करने की आवश्यकता होती है, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां कार्यनिष्पादन की गारंटी के लिए राशि रोक दी जाती है। भारत में सामान्य आयात के लिए प्रेषण की समय सीमा (उन मामलों को छोड़कर जहां कार्यनिष्पादन की गारंटी के लिए राशि रोक दी जाती है) 31 जुलाई 2020 तक या उससे पहले किए गए इस तरह के आयात के लिए शिपमेंट की तारीख से छह महीने से बारह महीने तक बढ़ाने का निर्णय किया गया है। COVID-19 के माहौल में यह उपाय आयातकों को उनके परिचालन चक्रों का प्रबंधन करने के लिए अधिक लचीलापन प्रदान करेगा। III. वित्तीय दबाव कम करने के उपाय COVID-19 व्यवधानों की तीव्रता ने पुनर्भुगतान के दबाव को कम करने और ऋण सेवा के बोझ को कम करके कार्यशील पूंजी तक पहुंच सुधारने, वास्तविक अर्थव्यवस्था में वित्तीय दबाव के प्रसारण को रोकने, और व्यवहार्य कारोबारों और परिवारों की निरंतरता सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दी है। 6. सावधि ऋण किस्तों पर अधिस्थगन 27 मार्च 2020 को, रिज़र्व बैंक ने सभी वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, लघु वित्त बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों सहित), सहकारी बैंकों, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों और एनबीएफसी (आवास वित्त कंपनियों और सूक्ष्म-वित्त संस्थानों सहित) (जिसे इसके बाद "उधार ऋण देने वाली संस्थाओं" के रूप में संदर्भित किया गया है) को 1 मार्च 2020 तक बकाया सभी मीयादी ऋणों के संबंध में किश्तों के भुगतान पर तीन महीने का अधिस्थगन प्रदान करने की अनुमति दी। COVID-19 के कारण निरंतर व्यवधानों और लॉकडाउन बढ़ने के मद्देनजर, उधार देने वाली संस्थाओं को मीयादी ऋण किस्तों पर अधिस्थगन अवधि को तीन महीने अर्थात 1 जून 2020 से 31 अगस्त 2020 तक बढ़ाने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है। तदनुसार, पुनर्भुगतान अनुसूची और बाद की सभी देय तारीखें, इस तरह के ऋणों के लिए अवधि के साथ अगले तीन महीने तक बढ़ाई जा सकती है। 7. कार्यशील पूंजी सुविधाओं पर ब्याज का आस्थगन नकद ऋण / ओवरड्राफ्ट के रूप में स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाओं के संबंध में, उधार देने वाली संस्थाओं को 1 जून 2020 से 31 अगस्त 2020 तक, और तीन महीनों के लिए आस्थगन देने की अनुमति दी जा रही है। यह 1 मार्च 2020 तक बकाया ऐसी सभी सुविधाओं के संबंध में ब्याज के भुगतान पर 27 मार्च 2020 को तीन महीने की दी गई अनुमति के अलावा है । 8. आस्थगन अवधि के लिए कार्यशील पूंजी सुविधाओं पर ब्याज का भुगतान कार्यशील पूंजी सुविधाओं पर आस्थगित अवधि के लिए संचित ब्याज को एकबारगी चुकाने में उधारकर्ताओं को होने वाली कठिनाइयों को सुधारने के लिए, उधार देने वाली संस्थाओं को आस्थगन अवधि (31 अगस्त 2020 तक) के लिए कार्यशील पूंजी सुविधाओं पर जमा ब्याज को एक वित्तपोषित ब्याज मीयादी ऋण में परिवर्तित करने की अनुमति प्रदान की गई है जिसे चालू वित्त वर्ष (अर्थात 31 मार्च 2021) के अंत से पहले चुकाना होगा। तदनुसार, उधार देने वाली संस्थाएं पैरा 6, 7, 8 में घोषित उपायों को लागू करने के लिए एक बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति को लागू कर सकते हैं। 9. आस्ति वर्गीकरण (i) चूँकि COVID-19 व्यवधानों से उधारकर्ताओं को उबारने के लिए विशेष रूप से ऋणस्थगन /अधिस्थगन प्रदान किया जा रहा है, इसलिए इसे उधारकर्ताओं की वित्तीय कठिनाई के कारण ऋण करारों के नियमों और शर्तों में परिवर्तन के रूप में नहीं माना जाएगा और, परिणामस्वरूप, इससे आस्ति वर्गीकरण में गिरावट नहीं होगी। । (ii) पहले की तरह, ऋणस्थगन / अधिस्थगन के कारण भुगतानों का पुनर्निर्धारण, पर्यवेक्षी रिपोर्टिंग और उधार देने वाली संस्थानों द्वारा क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को रिपोर्टिंग के प्रयोजनों के लिए एक डिफ़ॉल्ट के रूप में अर्हता प्राप्त नहीं करेगा। सीआईसी यह सुनिश्चित करेगी कि आज की गई घोषणाओं के अनुसरण में ऋण संस्थानों द्वारा की गई कार्रवाई से उधारकर्ताओं के क्रेडिट इतिहास पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े। (iii) उन सभी खातों के संबंध में, जिनके लिए उधार देने वाली संस्थाएं ऋणस्थगन / अधिस्थगन देने का निर्णय करती हैं, और जो 1 मार्च 2020 तक मानक थे, उन पर 90-दिवसीय एनपीए मानदंड के अनुसार विस्तारित ऋणस्थगन/अधिस्थगन नहीं होगा। परिणामस्वरूप, 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 तक ऋणस्थगन/अधिस्थगन अवधि के दौरान ऐसे सभी खातों के लिए एक परिसंपत्ति वर्गीकरण ठहराव होगा। इसके बाद, सामान्य मानदंड लागू होंगे। (iv) एनबीएफ़सी, जिन्हें भारतीय लेखा मानकों (IndAS) का अनुपालन करना आवश्यक है, वे अपने बोर्डों द्वारा अनुमोदित दिशानिर्देशों तथा कमियों को पहचानने में भारतीय सनदी लेखकार संस्थान (आईसीएआई) के परामर्शों का पालन कर सकते हैं। इस प्रकार, एनबीएफसी के पास अपने उधारकर्ताओं को इस तरह की राहत देने के लिए निर्धारित लेखांकन मानकों के तहत लचीलापन है। 10. कार्यशील पूंजी वित्तपोषण को सुगम बनाना (i) नकद ऋण / ओवरड्राफ्ट के रूप में स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाओं के संबंध में, उधार देने वाली संस्थाओं को विस्तारित अवधि अर्थात, 31 अगस्त, 2020 तक मार्जिन को कम करके 'ड्राइंग पावर' की पुन: गणना करने की अनुमति है । उधारकर्ताओं के लिए प्रभाव को सुचारू करने के लिए, उधार देने वाले संस्थानों को 31 मार्च 2021 तक मूल स्तर तक मार्जिन को बहाल करने की अनुमति है। (ii) इसके अलावा, उधार देने वाली संस्थाओं को 31 मार्च, 2021 तक एक विस्तारित अवधि तक एक उधार लेने वाली इकाई के कार्यशील पूंजी चक्र को पुनः निर्धारित करने की अनुमति है। यह ऋणदाताओं को संबंधित इकाई पर महामारी के प्रभाव के बारे में सूचित मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक मार्ग प्रदान करेगा। (iii) दिनांक 7 जून 2019 के भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के संकल्प हेतु विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश, 2019 (‘विवेकपूर्ण ढांचा’) के अनुबंध के पैराग्राफ 2 के अंतर्गत उधारकर्ताओं को विशेष रूप से COVID-19 के नतीजों से उबरने के लिए ऋण शर्तों में किए गए ऐसे बदलाव को, उधारकर्ता की वित्तीय कठिनाई के कारण दी गई रियायतों के रूप में नहीं माना जाएगा, और इसके परिणामस्वरूप, आस्ति वर्गीकरण में गिरावट नहीं आएगी। 11. संकल्प समय में विस्तार विवेकपूर्ण ढांचे के अंतर्गत, उधारदाता संस्थानों को चूक (डिफ़ॉल्ट) के तहत बड़े खातों के मामले में 20 प्रतिशत का अतिरिक्त प्रावधान रखने की आवश्यकता होती है, यदि इस तरह की चूक की तारीख से 210 दिनों के भीतर एक संकल्प योजना लागू नहीं की गई हो । दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए निरंतर चुनौतियों को देखते हुए, यदि 1 मार्च 2020 तक समीक्षा / संकल्प अवधि समाप्त नहीं हुई हो तो, ऋण संस्थानों को 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 तक की 30 दिनों की समीक्षा अवधि या 180-दिवसीय संकल्प अवधि की गणना से संपूर्ण ऋणस्थगन/अधिस्थगन अवधि को निकाल देने की अनुमति है। 12. बड़े एक्सपोजर फ्रेमवर्क के तहत ग्रुप एक्सपोजर पर सीमा बड़े एक्सपोज़र फ्रेमवर्क पर मौजूदा दिशा-निर्देशों के तहत, जुड़े हुए समकक्षों के समूह की तुलना में बैंक का एक्सपोज़र हर समय बैंक के पात्र पूंजी आधार के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। COVID-19 महामारी के कारण, ऋण बाजार और अन्य पूंजी बाजार खंडों में अनिश्चितता देखी जा रही है। परिणामस्वरूप, कई कॉरपोरेट्स को पूंजी बाजार से धन जुटाने में कठिनाई हो रही है और वे मुख्य रूप से बैंकों से वित्त पोषण पर निर्भर हैं। कॉरपोरेट्स को संसाधनों के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से, एकबारगी उपाय के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि जुड़े हुए समकक्षों के समूह की तुलना में बैंक के एक्सपोज़र को बैंक के पात्र पूंजी आधार के 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए। बढ़ी हुई सीमा 30 जून 2021 तक लागू रहेगी। IV. ऋण प्रबंधन 13. राज्य सरकारों की समेकित ऋण शोधन निधि (सीएसएफ़) - दिशानिर्देशों में छूट राज्य सरकारें अपनी देयताओं को चुकाने के लिए एक बफर के रूप में रिज़र्व बैंक के साथ एक समेकित ऋण शोधन निधि (सीएसएफ़) को बनाए रखती हैं। Covid-19 महामारी और राज्य सरकार के वित्त पर परिणामी तनाव के मद्देनजर, आरबीआई ने इस योजना की समीक्षा की है और सीएसएफ से आहरण नियंत्रित करने वाले नियमों को शिथिल करने का निर्णय लिया है, साथ ही यह सुनिश्चित करते हुए कि निधि शेष की कमी को विवेकपूर्ण तरीके से पूरा किया जा रहा है।यह राज्यों को सीएसएफ से चालू वित्त वर्ष में देय होने वाले उनके बाजार ऋणों के के मोचन के एक बड़े हिस्से को पूरा करने में सक्षम करेगा। राज्यों को दी जानेवाली ऐसी छूट के लिए लगभग रु. 13,300 करोड़ की अतिरिक्त राशि जारी की जाएगी। सामान्य रूप से अनुमत आहरण को मिलाकर, यह उपाय राज्यों को सीएसएफ से आहरण के माध्यम से 2020-21 में उनके देय मोचन का लगभग 45 प्रतिशत पूरा करने में सक्षम करेगा। आहरण मानदंडों में यह बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू होगा और 31 मार्च 2021 तक मान्य रहेगा। COVID-19 के जवाब में, राजकोषीय संसाधनों की आवश्यकता, बाजार की स्थितियों के आगे बढ़ने के संभावित प्रभाव से बढ़ी है। रिज़र्व बैंक सतर्क रहेगा और न्यूनतम विघटनकारी तरीके से केंद्र और राज्यों के उधार कार्यक्रम को सुगमता से पूरा करने में सहयोग करेगा। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/2392 |