विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
8 जून 2022 विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य यह वक्तव्य (i) विनियमन; (ii) वित्तीय बाजार; तथा (iii) भुगतान और निपटान प्रणाली से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है। I. विनियमन और पर्यवेक्षण 1. सहकारी बैंकों द्वारा व्यक्तिगत आवास ऋण - सीमा में वृद्धि वर्तमान दिशानिर्देश व्यक्तिगत आवास ऋण की राशि पर विवेकपूर्ण सीमाएं निर्धारित करते हैं जो प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी), और ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी - राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों) द्वारा उनके ग्राहकों को प्रदान की जा सकती हैं। इन सीमाओं को पिछली बार यूसीबी के लिए वर्ष 2011 में और आरसीबी के लिए वर्ष 2009 में संशोधित किया गया था। पिछली बार सीमा को संशोधित करने के बाद से आवास की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए और ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, सहकारी बैंकों द्वारा व्यक्तिगत आवास ऋण पर मौजूदा सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, टियर I/ टियर II शहरी सहकारी बैंकों की सीमा क्रमश: ₹30 लाख/₹70 लाख से ₹60 लाख/₹140 लाख तक संशोधित मानी जाएगी। आरसीबी के संबंध में, निर्धारित निवल मालियत ₹100 करोड़ से कम वाले आरसीबी के लिए सीमा ₹20 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख कर दी जाएगी; और अन्य आरसीबी के लिए यह ₹30 लाख से बढ़ाकर ₹75 लाख तक की जाएगी। विस्तृत परिपत्र अलग से जारी किया जाएगा। 2. ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी) को वाणिज्यिक भूसंपदा - आवासीय आवास (सीआरई-आरएच) क्षेत्र को उधार देने की अनुमति देना वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) को वाणिज्यिक भूसंपदा क्षेत्र को ऋण देने से प्रतिबंधित किया गया है। किफायती आवास की बढ़ती आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और आवास क्षेत्र को ऋण सुविधाएं प्रदान करने में उनकी क्षमता को पहचानने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि एसटीसीबी और डीसीसीबी को उनकी कुल आस्तियों के 5 प्रतिशत की वर्तमान कुल आवास वित्त सीमा के भीतर, वाणिज्यिक भूसंपदा - आवासीय आवास (सीआरई-आरएच) को वित्त प्रदान करने की अनुमति दी जाए। विस्तृत परिपत्र अलग से जारी किया जाएगा। 3. शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को द्वारस्थ बैंकिंग सेवा प्रदान करने की अनुमति देना आरई में विनियामक ढांचे में सामंजस्य प्राप्त करने और ग्राहकों को उनके दरवाजे पर बैंकिंग सेवाओं की सुविधा प्रदान करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के समान अपने ग्राहकों को द्वारस्थ बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी जाए। विस्तृत परिपत्र अलग से जारी किया जाएगा। II. वित्तीय बाजार 4. गैर-केंद्रीय रूप से समाशोधित डेरिवेटिव (एनसीसीडी) के लिए मार्जिन आवश्यकताएँ काउंटर पर (ओटीसी) एनसीसीडी लेनदेन के लिए सुस्थापित विविधता और प्रारंभिक मार्जिन आवश्यकताएँ, वित्तीय स्थिरता में योगदान करती हैं और ये इन बाजारों के लिए संकट के बाद जी20 सिफारिशों का प्रमुख घटक हैं। ओटीसी डेरिवेटिव बाजार की आघात सहनीयता को मजबूत करने के उद्देश्य से, रिज़र्व बैंक ने ओटीसी डेरिवेटिवों के लिए मार्जिन आवश्यकताओं से संबंधित वैश्विक प्रथाओं को कार्यान्वित करने के लिए पूर्व में एक चर्चा पत्र जारी किया था। ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के द्विपक्षीय नेटिंग के लिए कानूनी मान्यता सुनिश्चित करने वाले अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग अधिनियम, 2020 की घोषणा ने कुशल मार्जिन के लिए एक महत्वपूर्ण सक्षमकर्ता उपलब्ध करवाया है। इस पृष्ठभूमि में, एनसीसीडी के लिए विविधता मार्जिन (वीएम) के आदान-प्रदान संबंधी निदेश दिनांक 1 जून 2022 को जारी किए गए थे। एनसीसीडी के लिए प्रारंभिक मार्जिन (आईएम) के आदान-प्रदान पर मसौदा निदेश अलग से जनता की प्रतिक्रिया के लिए जारी किए जा रहे हैं। III. भुगतान और निपटान प्रणाली 5. आवर्ती भुगतानों के लिए कार्डों पर ई-अधिदेश - सीमा में वृद्धि ई-अधिदेश आधारित आवर्ती भुगतानों के प्रसंस्करण संबंधी ढांचा, अन्य बातों के साथ-साथ, पंजीकरण के दौरान प्रमाणीकरण का एक अतिरिक्त कारक (एएफए), नामे-पूर्व अधिसूचना भेजने, बाद में आवर्ती लेनदेन को एएफए के बिना निष्पादित करने और ऐसे अधिदेश को वापस लेने के लिए एक आसान तरीका प्रदान करता है। उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधा, हिफाजत और सुरक्षा के लाभ उपलब्ध हैं। उपयोगकर्ताओं के विश्वास से सिस्टम को भी लाभ होता है। प्रमुख बैंक सुविधा प्रदान कर रहे हैं और लेनदेन की मात्रा में अच्छा कर्षण देखा जा रहा है। अब तक, इस ढांचे के अंतर्गत 6.25 करोड़ से अधिक अधिदेश पंजीकृत किए जा चुके हैं, जिसमें 3,400 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापारी शामिल हैं। सदस्यता, बीमा प्रीमियम, शिक्षा शुल्क इत्यादि जैसे बड़े मूल्य के भुगतान की सुविधा के लिए ढांचे के अंतर्गत सीमा बढ़ाने के लिए हितधारकों से अनुरोध प्राप्त हुए हैं। ग्राहक सुविधा को और बढ़ाने और ढांचे के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए, प्रति आवर्ती भुगतान सीमा को ₹5,000 से बढ़ाकर ₹15,000 करने का प्रस्ताव है। आवश्यक अनुदेश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे। 6. एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) में सुधार - रुपे क्रेडिट कार्डों को लिंक करना यूपीआई भारत में भुगतान का सबसे समावेशी माध्यम बन गया है। वर्तमान में, 26 करोड़ से अधिक विशिष्ट उपयोगकर्ता और 5 करोड़ व्यापारी यूपीआई प्लेटफॉर्म पर जुड़े हुए हैं। केवल मई 2022 में, यूपीआई के माध्यम से ₹10.40 लाख करोड़ की राशि के 594.63 करोड़ लेनदेन किए गए। यूपीआई वर्तमान में उपयोगकर्ताओं के डेबिट कार्ड के माध्यम से बचत / चालू खातों को जोड़कर लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है। पीपीआई की इंटरऑपरेबिलिटी ने लेनदेन करने के लिए यूपीआई भुगतान प्रणाली तक पीपीआई की पहुंच की सुविधा भी प्रदान की है। पहुंच और उपयोग को और गहन बनाने के लिए, क्रेडिट कार्डों को यूपीआई से जोड़ने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। शुरुआत में रुपे क्रेडिट कार्ड इस सुविधा के साथ सक्षम होंगे। इस व्यवस्था से यूपीआई प्लेटफॉर्म के माध्यम से भुगतान करने में ग्राहकों को अधिक अवसर और सुविधा प्रदान करने की उम्मीद है। प्रणाली में आवश्यक सुधार किए जाने के बाद यह सुविधा उपलब्ध होगी। एनपीसीआई को आवश्यक अनुदेश अलग से जारी किए जाएंगे। 7. भुगतान अवसंरचना विकास निधि योजना की समीक्षा भुगतान अवसंरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) योजना का संचालन रिज़र्व बैंक द्वारा जनवरी 2021 में किया गया था, ताकि टियर-3 से 6 केंद्रों और उत्तर पूर्वी राज्यों में भौतिक प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस), एमपीओएस (मोबाइल पीओएस), क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड जैसे भुगतान स्वीकृति अवसंरचना के नियोजन को प्रोत्साहित किया जा सके। इस योजना ने 90 लाख पॉइंट ऑफ़ सेल (पीओएस) टर्मिनलों और क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड को तीन वर्षों में (2023 के अंत तक) नियोजित करने का लक्ष्य रखा था। अगस्त 2021 में टियर-1 और 2 केंद्रों में पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों को शामिल किया गया था। अप्रैल 2022 के अंत तक, योजना के तहत 1.18 करोड़ से अधिक नए स्पर्श बिंदु नियोजित किए गए हैं। अब अन्य बातों के साथ-साथ, सब्सिडी की राशि बढ़ाकर, सब्सिडी दावा प्रक्रिया को सरल बनाकर, आदि के माध्यम से पीआईडीएफ योजना में संशोधन करने का प्रस्ताव है। यह लक्षित भौगोलिक क्षेत्रों में भुगतान स्वीकृति अवसंरचना के नियोजन में और तेजी लाएगा और इसे बढ़ाएगा। संशोधनों को शीघ्र ही अधिसूचित किया जाएगा। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/334 |