विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
5 अगस्त 2022 विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य यह वक्तव्य (i) विनियमन और पर्यवेक्षण; (ii) वित्तीय बाजार; और (iii) भुगतान और निपटान प्रणाली से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है। I. विनियमन और पर्यवेक्षण 1. वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर मास्टर निदेश विनियमित संस्थाएं (आरई) लागत को कम करने के साथ-साथ आंतरिक रूप से अनुपलब्ध विशेषज्ञता का लाभ उठाने के साधन के रूप में आउटसोर्सिंग का उत्तरोत्तर उपयोग कर रही हैं। यद्यपि एक अनुमत गतिविधि की आउटसोर्सिंग आरई का एक परिचालनगत निर्णय है, यह आरई को विभिन्न जोखिमों के प्रति उजागर करता है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को छोड़कर), गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी), आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सहकारी बैंकों को वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिमों के प्रबंधन पर विभिन्न दिशानिर्देश/ निदेश जारी किए हैं। मौजूदा दिशानिर्देशों को अद्यतन और सुसंगत बनाने, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और समाविष्ट करने के साथ-साथ आरई को संदर्भ हेतु एक ही स्थान पर वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग से संबंधित सभी वर्तमान दिशा-निर्देश प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए, रिज़र्व बैंक, सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए, शीघ्र ही, भारतीय रिज़र्व बैंक (वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम और आचार संहिता का प्रबंधन) निदेश, 2022 का मसौदा जारी करने का प्रस्ताव करता है। इन निदेशों के दायरे का विस्तार, आरआरबी, स्थानीय क्षेत्र बैंकों (एलएबी), अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान, ऋण सूचना कंपनियों और गैर-अनुसूचित भुगतान बैंकों को भी शामिल करने के लिए किया जा रहा है। 2. रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) 2021 के अंतर्गत ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) को शामिल करना और आंतरिक लोकपाल (आईओ) तंत्र का विस्तार करना रिज़र्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) 2021 के अंतर्गत शहरी सहकारी बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और ₹50 करोड़ और उससे अधिक की कुल जमा राशि वाले गैर-अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंकों सहित अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक जैसी विनियमित संस्थाओं (आरई) शामिल हैं। आरबी-आईओएस को और अधिक व्यापक बनाने के लिए, ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) को भी आरबी-आईओएस 2021 के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया है। यह सीआईसी के विरुद्ध शिकायतों के लिए आरई के ग्राहकों को एक लागत मुक्त वैकल्पिक निवारण तंत्र प्रदान करेगा। इसके अलावा, सीआईसी के आंतरिक शिकायत निवारण को मजबूत करने और इसे और अधिक कुशल बनाने के लिए, सीआईसी को आंतरिक लोकपाल (आईओ) ढांचे के अंतर्गत लाने का भी निर्णय लिया गया है। II. आर्थिक बाज़ार 3. स्टैंडअलोन प्राथमिक व्यापारी (एसपीडी) - अनुमत गतिविधियों के दायरे में विस्तार वर्तमान में, स्टैंडअलोन प्राथमिक व्यापारियों (एसपीडी) को सीमित उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार करने की अनुमति है। प्राथमिक व्यापारी व्यवसाय का संचालन करने वाले बैंकों के समान, बाजार निर्माताओं के रूप में एसपीडी की भूमिका को मजबूत करने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों के अधीन, वर्तमान में श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारियों को अनुमत सभी विदेशी मुद्रा निर्माता सुविधाएं प्रदान करने के लिए एसपीडी को सक्षम बनाया जाए। यह उपाय विदेशी मुद्रा ग्राहकों को अपने मुद्रा जोखिम के प्रबंधन में बाजार निर्माताओं का एक व्यापक समूह प्रदान करेगा, जिससे भारत में विदेशी मुद्रा बाजार में विस्तार होगा। व्यापक बाजार उपस्थिति सरकारी प्रतिभूतियों में प्राथमिक निर्गमन और द्वितीयक बाजार गतिविधियों को सहायता प्रदान करने के लिए एसपीडी की क्षमता में सुधार करेगी, जो प्राथमिक व्यापारी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बना रहेगा। इस संबंध में विनियम अलग से जारी किए जाएंगे। 4. स्टैंडअलोन प्राथमिक व्यापारियों को अपतटीय विदेशी मुद्रा सेटल्ड ओवरनाइट इंडेक्सेड स्वैप बाजार में लेनदेन करने की अनुमति देना भारत में बैंकों को फरवरी 2022 में, तटवर्ती और अपतटीय ओआईएस बाजारों के बीच विभाजन को दूर करने और मूल्य खोज की दक्षता में सुधार करने की दृष्टि से, अनिवासियों और अन्य बाजार निर्माताओं के साथ अपतटीय विदेशी मुद्रा सेटल्ड ओवरनाइट इंडेक्सेड स्वैप बाजार में लेनदेन करने की अनुमति दी गई थी। तटवर्ती ओआईएस बाजार में बैंकों की तरह स्टैंडअलोन प्राथमिक व्यापारी (एसपीडी) भी बाजार-निर्माता हैं। अब यह निर्णय लिया गया है कि फेमा, 1999 की धारा 10(1) के अंतर्गत प्राधिकृत एसपीडी को भी अनिवासियों और अन्य बाजार निर्माताओं के साथ सीधे एफसीएस-ओआईएस लेनदेन करने की अनुमति होगी। जल्द ही आवश्यक निदेश जारी किए जाएंगे। 5. माइबोर बेंचमार्क संबंधी समिति मुंबई अंतर बैंक एकमुश्त दर (माइबोर) आधारित ओवरनाइट इंडेक्सेड स्वैप (ओआईएस) संविदा, तटवर्ती बाजार में ज़्यादातर उपयोग की जाने वाली ब्याज दर डेरिवेटिव्स (आईआरडीएस) हैं। सहभागी आधार में विविधता लाने और नए आईआरडी लिखतों की शुरूआत की सुविधा के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों के साथ माइबोर आधारित डेरिवेटिव संविदाओं का उपयोग बढ़ गया है। साथ ही, बाजार खुलने के बाद पहले घंटे में एनडीएस-मांग प्लेटफॉर्म पर निष्पादित मांग मुद्रा सौदों के आधार पर गणना की गई माइबोर बेंचमार्क दर, लेनदेन की एक संकीर्ण विंडों पर आधारित है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, व्यापक भागीदार आधारों (बैंकों से परे) और उच्च चलनिधि के कारण वैकल्पिक बेंचमार्क दरों में बदलाव किया गया है। इन घटनाक्रमों के बीच, एक वैकल्पिक बेंचमार्क में परिवर्तन की आवश्यकता सहित मुद्दों की गहन जांच करने और आगे के लिए सबसे उपयुक्त पद्धति का सुझाव देने के लिए एक समिति गठित करने का प्रस्ताव है। III. भुगतान और निपटान प्रणाली 6. सीमापारीय आवक बिल भुगतान को प्रसंस्कृत करने के लिए भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) को सक्षम बनाना एनपीसीआई भारत बिलपे लिमिटेड (एनबीबीएल) के स्वामित्व वाले और उसके द्वारा संचालित भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) ने देश में बिल भुगतान के अनुभव को बदल दिया है। बीबीपीएस मानकीकृत बिल भुगतान अनुभव, केंद्रीकृत ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र, एकसमान ग्राहक सुविधा शुल्क आदि के लिए एक अंतःप्रचालनीय (इंटरऑपरेबल) प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। 20,000 से अधिक बिलर्स को प्रणाली में शामिल किया गया है और मासिक आधार पर आठ करोड़ से अधिक लेनदेन प्रसंस्कृत किए जाते हैं। बीबीपीएस वर्तमान में केवल भारत के निवासियों के लिए उपलब्ध है। अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को भारत में अपने परिवारों की ओर से उपयोगिता, शिक्षा और अन्य बिल भुगतान की सुविधा प्रदान करने के लिए, बीबीपीएस को सीमा पार से आवक भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाने का प्रस्ताव है। इससे बीबीपीएस प्लेटफॉर्म पर इंटरऑपरेबल तरीके से शामिल किए गए किसी भी बिलर के बिलों के भुगतान में भी लाभ होगा। आवश्यक अनुदेश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/651 |