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विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

30 सितंबर 2022

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) विनियमन और पर्यवेक्षण; और (ii) भुगतान और निपटान प्रणाली से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है।

I. विनियमन और पर्यवेक्षण

1. बैंकों द्वारा ऋण हानि प्रावधानीकरण के लिए अपेक्षित हानि आधारित दृष्टिकोण पर चर्चा पत्र

बैंकों द्वारा प्रावधानीकरण के लिए उपगत हानि दृष्टिकोण की अपर्याप्तता और इसकी प्रचक्रीयता, जिसने 2007-09 के वित्तीय संकट के बाद मंदी को बढ़ा दिया था, को व्यापक रूप से प्रलेखित किया गया है। इन निष्कर्षों पर वैश्विक प्रतिक्रिया के प्रमुख तत्वों में से, प्रावधानीकरण के लिए अपेक्षित ऋण हानि (ईसीएल) व्यवस्था में अंतरण रहा है। वैश्विक स्तर पर स्वीकृत विवेकपूर्ण मानदंडों के साथ अभिसरण की दिशा में एक और कदम के रूप में, बैंकों द्वारा अपने एक्सपोजर के लिए आवश्यक हानि प्रावधान हेतु अपेक्षित हानि दृष्टिकोण को अपनाने का प्रस्ताव है। पहले चरण के रूप में, परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर एक चर्चा पत्र शीघ्र ही जारी किया जाएगा।

2. दबावग्रस्त आस्तियों का प्रतिभूतिकरण ढांचा (एसएसएएफ) पर चर्चा पत्र

सितंबर 2021 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने मानक आस्तियों के प्रतिभूतिकरण के लिए संशोधित ढांचा जारी किया था। गैर-निष्पादित आस्तियों के प्रतिभूतिकरण के संबंध में, वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्रचना एवं प्रतिभूति हित का प्रवर्तन (एसएआरएफ़एईएसआई) अधिनियम, 2002 वर्तमान में अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) द्वारा किए जाने वाले ऐसे प्रतिभूतिकरण के लिए एक ढांचा प्रदान करता है। तथापि, बाजार की प्रतिक्रिया, हितधारक परामर्श और कॉर्पोरेट ऋणों के लिए द्वितीयक बाजार के विकास पर कार्य बल (भारतीय रिज़र्व बैंक, 2019) की सिफारिशों के आधार पर, दबावग्रस्त आस्तियों के प्रतिभूतिकरण के लिए एआरसी मार्ग के अलावा मानक आस्तियों के प्रतिभूतिकरण ढांचे के समान एक ढांचा प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है। तद्नुसार, प्रस्तावित ढांचे की प्रासंगिक रूपरेखा का विवरण देते हुए एक चर्चा पत्र (डीपी) कुछ विशिष्ट पहलुओं पर टिप्पणियों को आमंत्रित करते हुए शीघ्र ही जारी किया जाएगा।

3. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के ग्राहकों के लिए इंटरनेट बैंकिंग सुविधा

कुछ वित्तीय और गैर-वित्तीय मानदंडों को पूरा करने के अधीन, आरआरबी को वर्तमान में भारतीय रिज़र्व के पूर्व अनुमोदन से अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग सुविधा प्रदान करने की अनुमति है। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग के प्रसार को बढ़ावा देने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, आरआरबी को इंटरनेट बैंकिंग प्रदान करने के पात्रता मानदंडों को युक्तिसंगत बनाया जा रहा है और दिशानिर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं।

II. भुगतान और निपटान प्रणाली

4. ऑफलाइन भुगतान एग्रीगेटर्स को विनियमित करना

भुगतान एग्रीगेटर (पीए) भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसलिए उन्हें मार्च 2020 में विनियमों के अधीन लाया गया था और भुगतान प्रणाली परिचालकों (पीएसओ) के रूप में नामित किया गया था। तथापि, वर्तमान विनियम, ऑनलाइन या ई-कॉमर्स लेनदेन को संसाधित करने वाले पीए पर लागू होते हैं। इन विनियमों में ऑफ़लाइन पीए शामिल नहीं हैं जो निकट/ भौतिक लेनदेन करते हैं और डिजिटल भुगतान के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन पीए द्वारा की जाने वाली गतिविधियों की समान प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान विनियमों को ऑफलाइन पीए पर भी लागू करने का प्रस्ताव है। इस उपाय से डेटा संग्रह और भंडारण के मानकों पर अभिसरण के अलावा पीए की गतिविधियों और परिचालन को कवर करने वाले विनियमन में सहक्रिया लाने की आशा है। विस्तृत निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/968

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