विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
8 फरवरी 2023 विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य यह वक्तव्य (i) वित्तीय बाजारों; (ii) विनियमन; (iii) भुगतान और निपटान प्रणाली और (iv) मुद्रा प्रबंधन, से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है। I. वित्तीय बाजार 1. सरकारी प्रतिभूतियों में प्रतिभूतियां उधार देने और उधार लेने की शुरुआत प्रतिभूतियां उधार देने और उधार लेने के लिए एक सुव्यवस्थित बाजार से, सरकारी प्रतिभूति बाजार में गहनता आएगी और चलनिधि की भी प्रचुरता होगी, जिससे कुशल मूल्य खोज में मदद मिलेगी। अतः, सरकारी प्रतिभूतियां उधार देने और उधार लेने की अनुमति देने का प्रस्ताव है जो 'विशेष रेपो' के लिए मौजूदा बाजार को समृद्ध करेगा। आशा की जाती है कि यह प्रणाली, निवेशकों को निष्क्रिय प्रतिभूतियों को अभिनियोजित करने और पोर्टफोलियो रिटर्न बढ़ाने के लिए एक अवसर प्रदान करके प्रतिभूति उधार बाजार में व्यापक सहभागिता की सुविधा प्रदान करेगी। हितधारकों की प्रतिक्रियाओं के लिए निदेशों का मसौदा अलग से जारी किया जाएगा। II. विनियमन 2. ऋणों पर दंडात्मक प्रभारों की वसूली वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, विनियमित संस्थाओं (आरई) के पास अग्रिमों पर दंडात्मक ब्याज लगाने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करने की परिचालनगत स्वायत्तता है, जो उचित और पारदर्शी होगी। दंडात्मक ब्याज का आशय अनिवार्य रूप से नकारात्मक प्रोत्साहनों के माध्यम से उधारकर्ताओं के बीच ऋण अनुशासन की भावना उत्पन्न करना था, लेकिन इस तरह के प्रभारों का उपयोग ब्याज की संविदागत दर के ऊपर राजस्व वृद्धि उपकरण के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। पर्यवेक्षी समीक्षाओं से पता चला है कि आरई के बीच दंडात्मक ब्याज लगाने के संबंध में अलग-अलग प्रणालियाँ प्रचलित हैं जो कतिपय मामलों में काफी अधिक थे, जिससे ग्राहकों की शिकायतें और विवाद उत्पन्न हुए। उपरोक्त संदर्भ में दंडात्मक ब्याज लगाने पर वर्तमान विनियामकीय दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है। यह निर्णय लिया गया है कि ऋण की चुकौती में देरी/चूक या ऋणकर्ता द्वारा ऋण संबंधी करार के किसी अन्य महत्वपूर्ण नियम और शर्तों का पालन न करने पर उचित और पारदर्शी तरीके से 'दंडात्मक प्रभार’ के रूप में दंड लगाया जाएगा और न कि 'दांडिक ब्याज' के रूप में, जोकि अग्रिमों पर लगाए जाने वाले ब्याज की दर में जोड़ा जाता है। इसके अलावा, दंडात्मक प्रभार का कोई पूंजीकरण नहीं होगा (अर्थात्, इसे अलग से वसूल किया जाएगा और बकाया मूलधन में नहीं जोड़ा जाएगा)। हालांकि, उधारकर्ता के ऋण जोखिम प्रोफाइल में किसी भी गिरावट के मामले में, आरई, ब्याज दर पर वर्तमान दिशानिर्देशों के अंतर्गत ऋण जोखिम प्रीमियम को बदलने के लिए स्वतंत्र होंगे। उपरोक्त से संबंधित दिशानिर्देश का मसौदा, हितधारकों की प्रतिक्रियाओं के लिए शीघ्र ही भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखा जाएगा। 3. जलवायु जोखिम और धारणीय वित्त संबंधी विनियामकीय पहल अपने अधिदेश के भाग के रूप में वित्तीय स्थिरता के साथ एक पूर्ण-सेवा वाला केंद्रीय बैंक होने के नाते, रिज़र्व बैंक यह मानता है कि जलवायु परिवर्तन, विनियमित संस्थाओं (आरई) के लिए जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों में परिवर्तित हो सकता है, जिसके कारण वित्तीय स्थिरता से संबंधित व्यापक परिणाम हो सकते हैं। अतः, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रणालियों पर आधारित एक कार्यनीति तैयार करने के लिए, सार्वजनिक टिप्पणियों और प्रतिक्रिया के लिए 27 जुलाई 2022 को जलवायु जोखिम और धारणीय वित्त पर एक चर्चा पत्र (डीपी) भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखा गया था। इस संबंध में प्राप्त प्रतिक्रिया के विश्लेषण के आधार पर, आरई के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी करने का निर्णय लिया गया है: (क) हरित जमाराशियों की स्वीकृति के लिए व्यापक रूपरेखा; (ख) जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों पर प्रकटीकरण ढांचा, और; (ग) जलवायु परिदृश्य विश्लेषण और तनाव परीक्षण पर दिशानिर्देश। ये दिशानिर्देश, चरणबद्ध तरीके से जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, रिज़र्व बैंक के पास अपनी वेबसाइट पर एक समर्पित वेबपेज होगा जो जलवायु जोखिम और धारणीय वित्त पर सभी अनुदेशों, प्रेस प्रकाशनियों, प्रकाशनों, भाषणों और संबंधित आरबीआई संचार को समेकित करेगा। III. भुगतान और निपटान प्रणाली 4. व्यापार प्राप्य बट्टा प्रणाली (ट्रेड्स) के दायरे का विस्तार एमएसएमई के व्यापार प्राप्तियों के वित्तपोषण की सुविधा के उद्देश्य से दिसंबर 2014 में व्यापार प्राप्य बट्टा प्रणाली (ट्रेड्स) संबंधी दिशानिर्देश जारी किए गए थे। इसके बाद, तीन संस्थाओं ने ट्रेड्स प्लेटफार्मों का संचालन शुरू किया और दो अन्य संस्थाओं को सैद्धांतिक रूप से प्राधिकार प्रदान किया गया। ये संस्थाएं प्रतिवर्ष लगभग ₹60,000 करोड़ के लेनदेन प्रसंस्कृत करती हैं। ट्रेड्स प्लेटफार्मों को और गति प्रदान करने के लिए, उनकी गतिविधि का दायरा निम्नानुसार बढ़ाने का प्रस्ताव है। इन उपायों से एमएसएमई के नकदी प्रवाह को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। (i) ट्रेड्स पर अब बीमा सुविधा की अनुमति दी जाएगी। यह क्रेताओं की क्रेडिट रेटिंग पर ध्यान दिए बिना उनकी देय राशियों के वित्तपोषण/ भुनाई को प्रोत्साहित करेगा। तदनुसार, एमएसएमई विक्रेताओं, खरीदारों और वित्तपोषकों के अलावा, बीमा कंपनियों को ट्रेड्स पर "चौथे सहभागी" के रूप में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। (ii) फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम के अंतर्गत फैक्टरिंग कारोबार करने के लिए पात्र सभी संस्थानों/ संस्थाओं को ट्रेड्स में वित्तपोषकों के रूप में भाग लेने की अनुमति होगी। (iii) द्वितीयक बाजार परिचालन, अब ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे। यह वित्तपोषकों को आवश्यकता पड़ने पर उसी ट्रेड्स प्लेटफॉर्म के भीतर अन्य वित्तपोषकों को अपने मौजूदा पोर्टफोलियो को भारी मात्रा में बिक्री करने की अनुमति देगा। 5. भारत में आने वाले यात्रियों के लिए यूपीआई उपलब्ध करवाना एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) भारत में खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों के लिए एक सर्वव्यापी भुगतान साधन बन गया है। हाल ही में उन अनिवासी भारतीयों को यूपीआई एक्सेस प्रदान करने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है, जिनके पास अपने एनआरई/एनआरओ खातों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबर हैं। अब भारत आने वाले सभी यात्रियों को देश में रहने के दौरान उनके व्यापारिक भुगतान (पी2एम) के लिए यूपीआई एक्सेस करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। शुरुआत में, यह सुविधा चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों पर पहुंचने वाले जी-20 देशों के यात्रियों को दी जाएगी। आगे चलकर, यह सुविधा देश के अन्य सभी प्रवेश बिंदुओं पर सक्षम हो जाएगी। आवश्यक परिचालनगत अनुदेश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे। IV. मुद्रा प्रबंधन 6. क्यूआर कोड आधारित कॉइन वेंडिंग मशीन – प्रायोगिक परियोजना आम जनता के बीच सिक्कों के वितरण में सुधार करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक कुछ प्रमुख बैंकों के सहयोग से क्यूआर कोड आधारित कॉइन वेंडिंग मशीन (क्यूसीवीएम) पर एक प्रायोगिक परियोजना तैयार कर रहा है। क्यूसीवीएम एक नकदी रहित कॉइन वितरण मशीन है, जो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोग करके ग्राहक के बैंक खाते से नामे किए गए राशि के बदले में सिक्कों का वितरण करेगी। नकद-आधारित पारंपरिक कॉइन वेंडिंग मशीन के विपरीत, क्यूसीवीएम बैंकनोटों की भौतिक भुनाई और उनके प्रमाणीकरण की आवश्यकता को समाप्त कर देगा। ग्राहकों के पास क्यूसीवीएम में आवश्यक मात्रा और मूल्यवर्ग में सिक्कों के आहरण का भी विकल्प होगा। प्रायोगिक परियोजना को शुरू में देश भर के 12 शहरों में 19 स्थानों पर लागू करने की योजना है। इन वेंडिंग मशीनों को आसानी और पहुंच बढ़ाने के लिए सार्वजनिक स्थानों, जैसे, रेलवे स्टेशनों, शॉपिंग मॉल, मार्केटप्लेस पर स्थापित किया जा सकता है। प्रायोगिक परीक्षणों से प्राप्त अनुभव के आधार पर, क्यूसीवीएम का उपयोग करके सिक्कों के बेहतर वितरण को बढ़ावा देने के लिए बैंकों को दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1681 |