विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
यह वक्तव्य (i) विनियमन; (ii) भुगतान प्रणाली; और (iii) फिनटेक से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है। I. विनियमन 1. दबावग्रस्त आस्तियों के प्रतिभूतिकरण का ढांचा विवेकपूर्ण ढंग से संरचित प्रतिभूतिकरण लेनदेन दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए एक सक्षमकर्ता हो सकता है क्योंकि इससे जोखिम वितरण में सुधार होने और ऋणदाताओं के लिए ऐसे एक्सपोज़रों से बाहर निकलने का मार्ग प्रदान करने की आशा है। इस उद्देश्य से, रिज़र्व बैंक ने जनवरी 2023 में दबावग्रस्त आस्तियों के प्रतिभूतिकरण ढांचे पर एक चर्चा पत्र जारी किया था, ताकि ढांचे के विभिन्न पहलुओं पर बाजार सहभागियों से टिप्पणियां मांगी जा सकें। चर्चा पत्र पर हितधारकों से प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए, दबावग्रस्त आस्तियों के प्रतिभूतिकरण के लिए ढांचे का मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किया जा रहा है। इस ढांचे का उद्देश्य सरफेसी अधिनियम, 2002 के अंतर्गत वर्तमान एआरसी मार्ग के अलावा, बाजार-आधारित तंत्र के माध्यम से दबावग्रस्त आस्तियों के प्रतिभूतिकरण को सक्षम करना है। 2. सह-उधार व्यवस्था (सीएलए) का ढांचा सह-उधार पर मौजूदा दिशा-निर्देश केवल प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के लिए बैंकों और एनबीएफसी के बीच व्यवस्थाओं पर लागू होते हैं। इस तरह की उधार पद्धतियों के विकास और एक व्यापक क्षेत्र की ऋण आवश्यकताओं को स्थायी तरीके से पूरा करने में इस तरह की उधार व्यवस्था की क्षमता को देखते हुए, सह-उधार के दायरे का विस्तार करने और आरई के बीच सभी प्रकार की सह-उधार व्यवस्थाओं के लिए एक सामान्य विनियामक ढांचा जारी करने का निर्णय लिया गया है। दिशानिर्देशों का मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किया जा रहा है। 3. स्वर्ण आभूषणों के बदले उधार देने संबंधी दिशानिर्देशों की समीक्षा स्वर्ण आभूषणों और गहनों के संपार्श्विक के बदले ऋण, विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा उपभोग और आय-अर्जन दोनों उद्देश्यों के लिए दिए जाते हैं। ऐसे ऋणों के लिए समय-समय पर विवेकपूर्ण और आचरण संबंधी विनियमन जारी किए गए हैं और वे विभिन्न श्रेणियों के आरई के लिए अलग-अलग हैं। आरई की जोखिम लेने की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए सभी आरई के लिए ऐसे विनियमनों को सुसंगत बनाने और साथ ही देखी गई कतिपय चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से, ऐसे ऋणों के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों और आचरण संबंधी पहलुओं पर व्यापक विनियमन जारी करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में दिशानिर्देशों का मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किया जा रहा है। 4. गैर-निधि आधारित सुविधाओं की समीक्षा गैर-निधि आधारित (एनएफबी) सुविधाएं जैसे गारंटी, साखपत्र, सह-स्वीकृति आदि, प्रभावी ऋण मध्यस्थता को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, साथ ही व्यापार लेनदेन सहित निर्बाध कारोबारी लेनदेन को सक्षम बनाती हैं। अब सभी विनियमित संस्थाओं में इन सुविधाओं को शामिल करने वाले दिशानिर्देशों को सुसंगत बनाने और समेकित करने का निर्णय लिया गया है। संशोधित दिशानिर्देशों में आरई द्वारा आंशिक ऋण वृद्धि जारी करने संबंधी अनुदेशों की समीक्षा शामिल है, जिसका उद्देश्य, अन्य बातों के साथ-साथ, बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए निधीयन स्रोतों को व्यापक बनाना है। इस संबंध में दिशानिर्देशों का मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किया जा रहा है। II. भुगतान प्रणाली 5. यूपीआई में लेनदेन की सीमा बढ़ाना वर्तमान में, यूपीआई के लिए लेनदेन राशि, जिसमें व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से व्यापारी (पी2एम) दोनों भुगतान शामिल हैं, की सीमा ₹1 लाख है, पी2एम भुगतान के विशिष्ट उपयोग मामलों को छोड़कर, जिनकी सीमा अधिक है, कुछ के लिए ₹2 लाख और अन्य के लिए ₹5 लाख है। पारितंत्र को नए उपयोग मामलों के लिए कुशलतापूर्वक प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाने के लिए, यह प्रस्तावित है कि एनपीसीआई, बैंकों और यूपीआई पारितंत्र के अन्य हितधारकों के परामर्श से, उपयोगकर्ता की बदलती जरूरतों के आधार पर ऐसी सीमाओं की घोषणा और संशोधन कर सकता है। उच्चतर सीमाओं से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए उचित सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। बैंकों को एनपीसीआई द्वारा घोषित सीमाओं के भीतर अपनी आंतरिक सीमाएँ तय करने का विवेकाधिकार जारी रहेगा। यूपीआई पर पी2पी लेनदेन की सीमा पहले की तरह ₹1 लाख ही रहेगी। एनपीसीआई को तदनुसार सूचित किया जाएगा। III. फिनटेक 6. विषय तटस्थ विनियामक सैंडबॉक्स के अंतर्गत ‘ऑन-टैप’ आवेदन सुविधा रिज़र्व बैंक 2019 से विनियामक सैंडबॉक्स (आरएस) ढांचे का संचालन कर रहा है, और अब तक चार विशिष्ट विषयगत कोहोर्ट की घोषणा की गई है और उन्हें पूरा किया गया है। बंद कोहोर्ट के विषय के लिए 'ऑन टैप' आवेदन सुविधा की घोषणा अक्तूबर 2021 में की गई थी। आवेदन प्राप्त करने के लिए निर्दिष्ट समय- सीमा के साथ पांचवें ‘विषय तटस्थ’ कोहोर्ट की भी अक्तूबर 2023 में घोषणा की गई थी, जो मई 2025 में बंद हो जाएगी। इस कोहोर्ट के अंतर्गत, रिज़र्व बैंक के विनियामक दायरे में किसी भी नवोन्मेषी उत्पाद या समाधान, यदि वह योग्य पाया जाता है, का परीक्षण किया जा सकता है। प्राप्त अनुभव और हितधारकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर, अब विनियामक सैंडबॉक्स को ‘विषय तटस्थ’ और 'ऑन टैप' बनाने का प्रस्ताव है। इस पहल से निरंतर नवाचार को बढ़ावा मिलने और तेजी से विकसित हो रहे फिनटेक/ विनियामक परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखने की आशा है। इस संबंध में अतिरिक्त विवरण अलग से सूचित किए जाएंगे। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/63 |