एमएसएमई उधार से अच्छे कारोबारी अवसर: भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर ने बैंकरों से कहा - आरबीआई - Reserve Bank of India
एमएसएमई उधार से अच्छे कारोबारी अवसर: भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर ने बैंकरों से कहा
7 अगस्त 2015 एमएसएमई उधार से अच्छे कारोबारी अवसर: अर्थव्यवस्था की बदलती गतिकी जैसे जनसांख्यिकीय पद्धतियां, शहरीकरण प्रक्रियाएं, औद्योगिकरण पर बढ़ता जोर, वित्तीय समावेशन कार्यक्रम और साक्षरता के बढ़ते स्तरों की दृष्टि से बैंकों के लिए एमएसएमई उधार से अच्छे कारोबारी अवसर बनते हैं। आज कृषि बैंकिंग महाविद्यालय, पुणे में एमएसएमई के वित्तपोषण के लिए बैंकरों के राष्ट्रीय क्षमता निर्माण मिशन की शुरुआत करते हुए यह बात भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर श्री एस.एस. मूंदड़ा ने कही। उप गवर्नर ने बैंकों से आग्रह किया कि वे अपने एमएसएमई ग्राहकों की जीवन-शैली आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील रहें और ऐसे नवोन्मेष उत्पाद विकसित करें जो कार्यशील पूंजी और पूंजीगत व्यय प्रयोजनों के लिए उनकी विशिष्ट और मौसमी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उचित हों। टीआरईडीएस और रुगाणु एसएमएसएमईज़ के पुनर्वास जैसी भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों की ओर संकेत करते हुए उप गवर्नर ने आशा व्यक्त की कि ये पहलें इस क्षेत्र में काफी सहायता और विकास करेंगी। उन्होंने कहा कि “नए लघु वित्त बैंकों को लाइसेंस देने के बाद सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के वित्तपोषण में आमूल-चूल परिवर्तन भी आएगा। ये आने वाले वर्षों में एमएसएमई के वित्तपोषण को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएंगे। बैंक इस प्रतिस्पर्धा का केवल तभी सामना कर पाएंगे जब वे लघु उद्यमियों की आवश्यकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील होंगे।” श्री मूंदड़ा ने कृषि बैंकिंग महाविद्यालय द्वारा तैयार और विकसित किए गए प्रशिक्षण किट को भी जारी किया जो (i) एमएसएमई के वित्तपोषण में विशेषीकृत बैंक शाखाओं के प्रबंधकों और (ii) बैंकों की प्रशिक्षण संस्थाओं/महाविद्यालयों/शिक्षण केंद्रों के प्रशिक्षकों पर लक्षित है। रिज़र्व बैंक के कृषि बैंकिंग महाविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में सार्वजनिक, निजी और विदेशी बैंकों से 31 बैंक उपस्थित रहे। रिज़र्व बैंक ने एमएसएमई वित्तपोषण से संबंधित कार्य करने वाले अधिकारियों को संवेदनशील बनाने और उनके कौशल को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया है। एमएसएमई क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए बैंकरों का राष्ट्रीय क्षमता निर्माण मिशन (एनएएमसीएबीएस) नामक इस कार्यक्रम का व्यापक उद्देश्य एमएसएमई उधार के लिए कौशल विकसित करना और वाणिज्यिक बैंकों की विशेषीकृत एमएसएमई शाखाओं के क्षेत्र स्तरीय कार्यकर्ताओं के बीच उद्यमी संवेदनशीलता विकसित करना है। रिज़र्व बैंक के कृषि बैंकिंग महाविद्यालय (सीएबी) को बैंकिंग प्रणाली में किए गए प्रयासों को समन्वित करने के लिए नोडल संस्था के रूप में अधिदेशित करने के साथ इस मिशन का कार्यान्वयन चार चरणों में किया जाएगाः
यह उम्मीद है कि इस पहल से प्रति वर्ष एमएसएमई उधार से सीधे जुड़े 4,500 अधिकारी प्रशिक्षित किए जाएंगे। पृष्ठभूमि देश के जीडीपी में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का लगभग 8 प्रतिशत, विनिर्माण-जन्य उत्पादों का 45 प्रतिशत तथा निर्यातों का 40 प्रतिशत का हिस्सा होता है। रोज़गार सृजन में कृषि क्षेत्र के बाद इस क्षेत्र का सर्वाधिक हिस्सा होता है। सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम स्थानीय बाज़ारों, वैश्विक बाज़ार तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मूल्य श्रृंखलाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु विभिन्न उत्पाद व सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। देश में एमएसएमई क्षेत्र में 467.56 लाख उद्यमी हैं जो 1061.52 लाख लोगों को रोज़गार के अवसर प्रदान करते हैं। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों तथा एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव, एमएसएमई के पुनर्वास के लिए ढांचा उपलब्ध कराने तथा विलंबित भुगतानों की समस्या से निपटने के लिए ट्रेड प्राप्तियां भुनाई प्रणाली की शुरुआत, सरकार और रिज़र्व बैंक द्वारा इस क्षेत्र को दिए जाने वाले महत्व को प्रकट करने आदि की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों पर ध्यान केंद्रित किया जाए। पिछले छह वर्ष के दौरान प्रणाली में ऐसे लगभग तीन लाख कार्मिक जुड़े हैं, संभव है वे एमएसएमई की जानकारी कम रखते हों। बड़ी संख्या में नव-नियुक्त इन युवाओं को प्रेरित करना और कौशल विकास करना ज़रूरी है जो एमएसएमई क्षेत्र को ऋण देने वाली टीम में शामिल हैं। इस परिप्रेक्ष्य में रिज़र्व बैंक ने एमएसएमई क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण के संबंध में राष्ट्रीय कौशल विकास की दिशा में कदम उठाया है। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/337 |